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विधानसभा चुनाव में भारी मतों के अंतर से चुनाव जीते थे ये विधायक, अब लोकसभा चुनाव में दांव पर है साख - MLA effects on Lok Sabha election

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 13, 2024, 1:36 PM IST

Updated : May 13, 2024, 3:08 PM IST

Himachal Assembly Election Result Effect on Lok Sabha Election 2024: हिमाचल लोकसभा चुनाव में भले सांसदी का चुनाव लड़ रहे नेताओं की साख दांव पर हो लेकिन संसद पहुंचने की इस दौड़ में विधायकों की जिम्मेदारी भी बड़ी है. क्योंकि हर लोकसभा क्षेत्र के तहत कुछ विधानसभा सीटें आती हैं जहां विधायक का वर्चस्व अपने उम्मीदवार को वोट दिला सकता है. हिमाचल में हर लोकसभा के तहत 17 विधानसभा आती हैं ऐसे में उन विधायकों की साख भी दांव पर है जो महज डेढ साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में भारी अंतर से जीते थे.

लोकसभा चुनाव
लोकसभा चुनाव (फाइल फोटो)

शिमला: हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर वोटिंग अंतिम चरण में 1 जून को होनी है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं और जोर-शोर से चुनाव प्रचार भी हो रहा है. लेकिन ये लोकसभा चुनाव इन उम्मीदवारों के साथ-साथ विधायकों के लिए भी बड़ी चुनौती होने वाला है. खासकर 2022 में हुए हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव जीतने वाले विधायकों के लिए आने वाला लोकसभा चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. विधानसभा चुनाव में जिन प्रत्याशियों को जनता ने अधिक भरोसा जताते हुए भारी मतों के अंतर से चुनाव में जीत दिलाकर विधायक बनाया था, अब उनके सामने अपनी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव में लीड को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती है. इससे इन विधायकों की 15 महीने की लोकप्रियता सिद्ध होगी. वहीं, इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य का भी आंकलन होगा.

लीड बरकरार रही तो प्रतिद्वंदी की बढ़ेगी मुश्किलें

वैसे तो लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर लड़ा जाता है. हिमाचल प्रदेश में साल 2022 में हुआ विधानसभा चुनाव इसका एक उदाहरण है. केंद्र में बीजेपी की सरकार होते हुए भी यहां पर कांग्रेस ने प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों को अपनी गारंटियों में शामिल कर बीजेपी को पटखनी दी थी. हालांकि फिर भी बड़े नेताओं की साख हर चुनाव में दांव पर लगी होती है. यही कुछ इस बार 1 जून को होने वाले हिमाचल के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा. यहां पर प्रत्याशिओं के साथ अन्य बड़े नेताओं और विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जीत हासिल करने वाले प्रत्याशियों पर बड़ी जिम्मेवारी है. अगर बड़ी मार्जिन से चुनाव जीतने वाले विधायक वही प्रदर्शन दोहरा पाए तो लोकसभा चुनाव में विपक्षी उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

जयराम ठाकुर के कंधों पर मंडी का दारोमदार

मंडी जिले में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 सीटों में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, कांग्रेस केवल एक ही सीट पर जीत हासिल कर पाई थी. इस बार लोकसभा चुनाव में मंडी की लोकसभा सीट देश की हॉट सीटों में शुमार है. यहां पर सीधे तौर पर बीजेपी प्रत्याशी कंगना रनौत और प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है. विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत की फेहरिस्त में सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का नाम शामिल है. उन्होंने सराज विधानसभा क्षेत्र से 38,183 मतों के अंतर से चुनाव जीता था.

चुनावी जनसभा में बीजेपी प्रत्याशी कंगना और पूर्व सीएम जयराम
चुनावी जनसभा में बीजेपी प्रत्याशी कंगना और पूर्व सीएम जयराम (X Kangana Ranaut)

वहीं, लोकसभा चुनाव में कंगना रनौत के जनसंपर्क अभियान में पूर्व सीएम जयराम ठाकुर एक महत्वपूर्ण कड़ी है. ऐसे में अगर जयराम ठाकुर लीड को कायम रखने में सफल रहे तो इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बता दें कि सराज विधानसभा क्षेत्र हमेशा से भाजपा का गढ़ रहा है. 2022 में रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल करने वाले जयराम ठाकुर अगर इसी तरह का वोट शेयर कंगना के पक्ष में लाने में कामयाब हुए तो कांग्रेस के लिए मुश्किल हो सकती है.

इन विधायकों पर भी जिम्मेदारी

वहीं, विधानसभा चुनाव में दूसरी बड़ी जीत का सेहरा कांगड़ा से पवन काजल के सिर सजा था. बीजेपी के पवन काजल 19 हजार 834 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. ऐसे में अगर पवन काजल भी लीड को कायम रखने में सफल हुए तो कांगड़ा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार राजीव भारद्वाज को फायदा हो सकता है.

पवन काजल बीजेपी प्रत्याशी
पवन काजल बीजेपी प्रत्याशी (फाइल फोटो)

शिमला संसदीय क्षेत्र के तहत रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां 2022 के विधानसभा चुनाव में मोहन लाल ब्राक्टा 19 हजार 339 मतों के अंतर से चुनाव जीतकर लीड में तीसरे नंबर पर रहे थे.

मोहन लाल ब्राक्टा, कांग्रेस विधायक
मोहन लाल ब्राक्टा, कांग्रेस विधायक (फाइल फोटो)

वहीं, कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां से आरएस बाली भी 15 हजार 891 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. विधानसभा चुनाव 2022 में सबसे ज्यादा लीड लेने के मामले में चौथे नंबर पर रहे बाली का जादू कायम रहा तो कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शर्मा को 'आनंद' की अनुभूति प्राप्त हो सकती है.

टॉप-10 में इनका भी नाम

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत गगरेट विधानसभा क्षेत्र से चैतन्य शर्मा सर्वाधिक लीड से चुनाव जीतने वालों की लिस्ट में पांचवें नंबर पर थे. 15 हजार 885 मतों के अंतर से चुनाव जीतने वाले चैतन्य शर्मा विधायक पद से अयोग्य घोषित होने के बाद अब विधानसभा उप-चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर उपचुनाव भी है ऐसे में चैतन्य के सामने अपनी सीट बचाने के साथ-साथ बीजेपी उम्मीदवार अनुराग ठाकुर को भी लीड दिलाने की चुनौत होगी.

चैतन्य शर्मा, बीजेपी प्रत्याशी
चैतन्य शर्मा, बीजेपी प्रत्याशी (फाइल फोटो)

वहीं, बड़सर से आईडी लखनपाल 13 हजार 872 वोट के साथ चुनाव जीते थे. यह विधानसभा क्षेत्र हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत पड़ता है. आईडी लखनपाल भी खुद विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित होने के बाद इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें भी अपनी साख के साथ-साथ अनुराग ठाकुर को रिपीट करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है.

लोकसभा चुनाव में प्रचार करते अनुराग ठाकुर
लोकसभा चुनाव में प्रचार करते अनुराग ठाकुर (X Anurag thkaur)

शिमला लोकसभा सीट के तहत आने वाली शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से विक्रमादित्य सिंह 13 हजार 860 मतों के अंतर से चुनाव जीतकर लीड लेने में सातवे नंबर पर रहे थे. जो अब मंडी संसदीय क्षेत्र से चुनावी मैदान में भाजपा उम्मीदवार अभिनेत्री कंगना रनोत को टक्कर दे रहे हैं. शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र शिमला संसदीय सीट के तहत पड़ता है. यहां से कांग्रेस उम्मीदवार विनोद सुल्तानपुरी को वोट दिलाने की जिम्मेदारी विक्रमादित्य सिंह के कंधों पर भी होगी.

चुनावी जनसभा में कांग्रेस प्रत्याशी अनुराग ठाकुर
चुनावी जनसभा में कांग्रेस प्रत्याशी अनुराग ठाकुर (X Vikramaditya Singh)

वहीं, नालागढ़ में केएल ठाकुर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 13 हजार 264 मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव जीते थे. नालागढ़ शिमला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. केएल ठाकुर बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं और बीजेपी प्रत्याशी सुरेश कश्यप के लिए बैटिंग करते दिखेंगे.

मतदान प्रतिशत पर भी निर्भर रहेगी लीड:

वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 76 फीसदी के करीब रहा था. ऐसे में लोकसभा चुनाव में मिलने वाली लीड मत प्रतिशत पर निर्भर करेगी. राजनीति के जानकार महेंद्र प्रताप सिंह राणा का कहना है कि लोकसभा चुनाव के लिए जितनी अधिक वोटिंग होगी, विधानसभा क्षेत्र से लीड का आंकड़ा उतना अधिक बढ़ेगा. उनका कहना है कि चुनाव में लीड को बरकरार रखने के मामले में कई अन्य फैक्टर भी कार्य करते हैं.

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Last Updated :May 13, 2024, 3:08 PM IST
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