नैनीतालः शरीर को फिट रखना केवल इंसानों को ही नहीं बल्कि जानवरों को भी पसंद है. शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए नैनीताल चिड़ियाघर में मौजूद बाघ और गुलदार (तेंदुआ) सप्ताह में एक दिन डाइटिंग करते हैं. ताकि उनका शरीर स्वस्थ रह सके और बेवजह की चर्बी ना बढ़े.
चिड़ियाघर के डॉक्टर हिमांशु पांगती बताते हैं कि चिड़ियाघर और रेस्क्यू सेंटर में बंद बाघ और गुलदार को सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया (CJAI) के नियमों के आधार पर डाइटिंग में रखा जाता है. जंगल में इन मांसाहारी जानवरों का मूवमेंट शिकार की तलाश में रहता है और ये जानवर खाने की तलाश में कई किलोमीटर तक जंगल में घूमते रहते हैं. जिससे भोजन आसानी से पच जाता है. जबकि जू और रेस्क्यू सेंटर में केवल बाड़े तक सीमित रहता है. इसलिए इनका डाइटचार्ट भी तैयार होता है.
जंगल और जू की उम्र अलग: डीएफओ चंद्रशेखर जोशी बताते हैं कि बाघ और गुलदार को जंगल में रहने और भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है. जबकि जू में सब कुछ आसानी से मिल जाता है. जंगल में बाघ की औसत उम्र 15-16 साल और गुलदार की 14-15 वर्ष मानी जाती है. वहीं जू में दोनों की आयु का औसत 18 से 20 साल रहता है.
डीएफओ चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया के नियमों के तहत मांसाहारी पशुओं को एक दिन भूखा रखा जाता है. ताकि चिड़ियाघर में बंद जानवरों की पाचन क्रिया बनी रहे. चिड़ियाघर के साथ-साथ रेस्क्यू सेंटर में रहने वाले बाघ और गुलदार की डाइट इसी तरह रहती है. जानवरों का खास ध्यान रखा जाता है.
नैनीताल चिड़ियाघर में हैं तीन बाघ: नैनीताल चिड़ियाघर में इस समय 6 तेंदुए और तीन बाघ हैं. जबकि रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर में एक बाघिन और एक गुलदार है. सप्ताह में पांच दिन इन्हें गोश्त और एक दिन चिकन उपलब्ध करवाया जाता है. जबकि सातवें दिन डाइटिंग यानी भोजन नहीं दिया जाता है. इससे इनकी बेवजह की चर्बी और मोटापा को बढ़ने से रोका जाता है.
ढाई से आठ किलो मांस रोज: जू और रेस्क्यू सेंटर में कुल 11 बाघ और तेंदुए हैं. इनकी उम्र 2 साल से 12 साल तक है. बाघ को रोज 8 किलो मांस दिया जाता है. जबकि बड़े तेंदुए को पांच और छोटे को ढाई किलो भोजन की जरुरत होती है.
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