शिमला: संजौली मस्जिद विवाद के बाद कुल्लू, मंडी समेत प्रदेभर में अवैध निर्माण को लेकर प्रदर्शन हुए. संजौली के बाद मंडी के जेल रोड में स्थित अवैध निर्माण का मुद्दा जोर-शोर से उठा था. 13 सितंबर को एमसी कोर्ट मंडी ने फैसले में बिना अनुमति के बनाए गए मस्जिद के सारे ढांचे तो तोड़ते हुए इसे इसके पुराने स्वरूप में बहाल करने का आदेश दिया था. वहीं, 14 अक्टूबर को शिमला में टीसीपी के प्रधान सचिव की कमिश्नर कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी है. आइए जानते हैं मंडी मस्जिद के अवैध निर्माण मामले में कब क्या क्या हुआ.
संजौली मस्जिद के बाद मंडी में बीती 10 सितंबर को सबसे पहले इस अवैध मस्जिद को गिराने की मांग उठी थी. 11 सितंबर को संजौली मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद मंडी के जेल रोड पर बनी मस्जिद के अवैध हिस्से को मुस्लिम समुदाय ने 12 सितंबर को खुद ही गिराने का काम शुरू कर दिया था. उस दौरान मस्जिद के अवैध हिस्से को तोड़ने को लेकर मस्जिद कमेटी के सदस्य इकबाल अली ने कहा था कि, 'हम किसी दबाव में अवैध निर्माण को नहीं तोड़ रहे है. हम प्रशासन के आदेशों का पालन कर रहे हैं. समाज में आपसी सौहार्द और भाईचारा बना रहे, इसलिए अवैध निर्माण तोड़ रहे हैं. हमने एनओसी के लिए अप्लाई किया था, लेकिन समय पर जवाब नहीं मिले. मस्जिद निजी भूमि पर बनी है, जो अवैध निर्माण वाला हिस्सा उसे तोड़ा जा रहा है'.
काट दिए थे बिजली पानी के कनेक्शन
मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर मंडी में निगम आयुक्त की अदालत में सुनवाई भी चल रही थी. सुनवाई में सामने आया कि गुंबदनुमा ढांचे को पुरानी मस्जिद होने का दावा मुस्लिम समुदाय कर रहा था, वो पहले 45 वर्ग मीटर में बनी थी. इसमें 231 वर्ग मीटर पर अवैध निर्माण पाया गया है, जिसमें लोक निर्माण विभाग की भूमि भी शामिल है. निगम कोर्ट ने इस अवैध मस्जिद को 30 दिन के भीतर पुराने रूप में लाने का फैसला सुनाया था. इसी फैसले के तहत आगामी कार्रवाई करते हुए अवैध मस्जिद से बिजली-पानी के कनेक्शन काटने के आदेश दोनों विभागों को दिए गए थे. 20 सितंबर को नगर निगम ने मस्जिद के बिजली-पानी के कनेक्शन को काट दिया था.
मस्जिद को पहली वाली स्थिति में लाने के दिए थे आदेश
वहीं, इस अवैध निर्माण को लेकर एमसी (नगर निगम) कोर्ट मंडी के नगर निगम कमीशनर एचएस राणा ने 13 सितंबर को हुई सुनवाई के बाद कहा था कि, 'मामले की तह तक जाने के लिए नगर निगम द्वारा 27 जुलाई से इस पर सुनवाई शुरू की थी. छठी सुनवाई के दौरान जब मस्जिद कमेटी की दलीलें उचित नहीं पाई गई तो, बिना अनुमति के बने ढांचे को 30 दिनों के भीतर तोड़ने का आदेश जारी किया गया. आदेशों के तहत मस्जिद को अक्टूबर 2023 से पहले वाली स्थिति में लाना होगा.'
हाईकोर्ट के बाद टीसीपी प्रधान सचिव की कोर्ट से मिली राहत
निगम कोर्ट के फैसले से नाखुश होकर मुस्लिम पक्ष ने हिमाचल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. निगम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के 14 दिन बाद मुस्लिम पक्ष कोर्ट में पहुंचा था. वहीं, अब हिमाचल प्रदेश के मंडी में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को गिराने को लेकर नगर निगम की कोर्ट की ओर से बीते 13 सितंबर को सुनाए गए फैसले पर 14 अक्टूबर को शिमला में टीसीपी के प्रधान सचिव की कोर्ट ने रोक लगा दी है. आगामी आदेशों तक मस्जिद के अवैध निर्माण को नहीं गिराया जाएगा. इस मामले में टीसीपी के प्रधान सचिव की कोर्ट में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.
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