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ताऊ देवीलाल की विरासत की जंग: हिसार लोकसभा सीट पर परिवार के तीन उम्मीदवार आमने-सामने, किसे मिलेगा जनता का साथ? - Tau Devi Lal legacy in Haryana

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 5, 2024, 12:38 PM IST

Tau Devi Lal legacy in Haryana: हिसार लोकसभा सीट पर ताऊ देवीलाल परिवार के सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों से आमने-सामने चुनावी मैदान में हैं. हर कोई उनकी विरासत पर दावा करता है. बड़ा सवाल ये है कि किसे जनता का साथ मिलेगा?

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चंडीगढ़: हरियाणा की सियासत में आज भी देश के उप प्रधानमंत्री रहे ताऊ देवीलाल का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है. आज उनके परिवार की चौथी पीढ़ी हरियाणा की सियासत में अपनी अलग पहचान रखती है. भले ही उनके परिवार के सदस्य आज अलग-अलग बैनर के तले चुनावी मैदान में हों, लेकिन सभी उनकी राजनीतिक विरासत पर अपना हक जता रहे हैं. इससे ये भी साफ हो जाता है कि जननायक ताऊ देवीलाल आज भी हरियाणा की राजनीति की धुरी बने हुए हैं.

इनेलो, जेजेपी का आधार ताऊ देवीलाल: देश के उप प्रधानमंत्री रहे ताऊ देवीलाल के नाम की राजनीतिक विरासत पर 2018 तक इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो चुनावी मैदान में उतरती थी, लेकिन साल 2018 के अंत मे इनेलो से अलग बनी जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी ताऊ देवीलाल लाल पर अपना क्लेम करती है. आज भी इनेलो हो या जेजेपी दोनों दल ताऊ देवीलाल को ही अपनी पार्टी का आधार मानते हैं.

अपनों के साथ ही विपक्षी भी ताऊ के मुरीद: इस बार हरियाणा की सबसे हॉट सीट हिसार लोकसभा पर ताऊ देवीलाल परिवार के तीन सदस्य अलग अलग दलों से ताल ठोक रहे हैं. इनेलो से सुनैना चौटाला, जेजेपी से नैना चौटाला. वहीं बीजेपी की तरफ से जेजेपी और इनेलो उम्मीदवारों के सामने चाचा ससुर मैदान में हैं. यानी ताऊ देवीलाल के पुत्र रणजीत चौटाला को बीजेपी ने मैदान में उतारा है. ये सब तो ताऊ के परिवार के सदस्य हैं, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी भी ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत पर क्लेम करने से पीछे नहीं रहे हैं.

चौटाला परिवार और ताऊ देवीलाल: ताऊ देवीलाल के परिवार के तीनों उम्मीदवार उम्मीद लगा रहे हैं कि ताऊ को चाहने वाली जनता उनकी झोली में वोट डालकर उनको जीत दिलाएगी. एक तरफ जहां जेजेपी और इनेलो के प्रत्याशी की पार्टी ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत पर क्लेम पहले से ही है. वहीं दो बहुओं के सामने खड़े चाचा ससुर ताऊ के बेटा होने के नाते उनके नाम के साथ आगे बढ़ रहे हैं. वे इसके लिए उन लोगों तक भी संपर्क साध रहे हैं, जो कभी ताऊ देवीलाल के करीबी लोगों में से थे.

रणजीत चौटाला का दावा: ताऊ देवीलाल के उस वक्त जो चालक थे, रणजीत चौटाला तो उनसे मिलने तक पहुंच गए. रणजीत चौटाला ने कहा "इन्होंने हमारे पिता के साथ गाड़ी चलाई है, साथ रहे हैं. हमें अच्छा लगता है हमारे परिवार बनकर रहे हैं. मुझे पता लगा कि यहां रहते हैं. मैं इनसे मिलने आया. जब हम छोटे थे, तो यही हमें हर जगह ले जाते थे. ये भी चौधरी देवीलाल की टकसाल के सिक्के हैं."

हिसार लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश ने भी दावा किया कि चौधरी देवीलाल की विरासत तो हम लोग थे. हमने कार्यकर्ता के रूप में काम करके इलाहाबाद में विश्वनाथ प्रताप सिंह को चुनाव जितवाया. चाहे इनेलो हो या फिर जेजेपी चौधरी देवीलाल की नीतियों पर इनमें से कोई नहीं चलता. इन्होंने 5 साल में राज्य में जो गदर मचाया. उसमें रणजीत सिंह भी आ गए ,दुष्यंत चौटाला भी आ गए, अभय चौटाला भी आ गए. पहले चौटाला ने किसानों के पक्ष में इस्तीफा दिया, फिर राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में वोट किया. ऐसे में बात विरासत की है तो उसे सोच के हम कार्यकर्ता हैं.

ताऊ देवीलाल की विरासत की जंग पर क्या कहते हैं विश्लेषक? हिसार लोकसभा सीट के चारों दावेदार ताऊ देवीलाल के नाम का जाप कर रहे हैं, तो यहां पर चुनाव देवीलाल की विरासत पर तब्दील होता दिख रहा है. इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि चारों मुख्य उम्मीदवारों का देवीलाल की विरासत पर दावा तो ठीक है, लेकिन सवाल ये है कि देवीलाल की कार्यशैली का ये सभी कितना प्रतिनिधित्व करते हैं? और जनता इन्हें कितना स्वीकार करती है? उन्होंने कहा कि इस बात का पता तो चुनावी नतीजों से साफ हो जाएगा. फिलहाल तो अभी सभी प्रत्याशी ताऊ के नाम का जप करते हुए ही नजर आ रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल ने कहा कि ताऊ देवीलाल को हरियाणा की जनता जननायक के तौर पर जानती है. इसमें कोई संदेह नहीं की आज भी उनके नाम पर हरियाणा में लोग खड़े होते हैं. ऐसे में जब कांग्रेस उम्मीदवार उनके नाम का सहारा ले रहे हैं, तो फिर परिवार के उम्मीदवारों का तो उन पर हक बनता है. ये जनता पर निर्भर करता है कि वो किस उम्मीदवार में वो सब गुण देखते हैं. जो जननायक ताऊ देवीलाल में थे.

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