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शिमला का सेब व्यापारी व्हाट्सएप से चलाता था नशे का कारोबार, पुलिस जांच में हुआ खुलासा - Shimla apple trader supplies drugs - SHIMLA APPLE TRADER SUPPLIES DRUGS

Shimla Police Arrested apple trader in illegal drug case: शिमला का एक सेब व्यापारी पिछले 5 से 6 सालों से व्हाट्सएप के जरिए अवैध नशे का कारोबार चलाता था. मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. पढ़िए पूरी खबर...

शिमला का सेब व्यापारी करता था नशे का कारोबार
शिमला का सेब व्यापारी करता था नशे का कारोबार (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 29, 2024, 8:39 PM IST

Updated : Sep 29, 2024, 10:52 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में नशे के कारोबार तेजी से फैल रहा है. हालांकि, पुलिस चौकसी बरत रही है और नशा तस्करों पर लगाम भी कस रही है. इसके बावजूद प्रदेश में नशा तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं. ताजा मामला शिमला का है, जहां एक सेब व्यापारी तकरीबन 6 सालों से व्हाट्सएप के जरिए नशे का रैकेट चलाता था. मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है.

शिमला पुलिस ने एक नशा तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो पूरा रैकेट व्हाट्सएप के माध्यम से चलता था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है. जानकारी के अनुसार एक सेब व्यापारी पिछले 5-6 सालों से यह ड्रग्स रैकेट चला रहा था. जिसे जानकार पुलिस भी हैरान रह गई. यह पूरा रैकेट व्हाट्सएप के जरिए चलता था, लेकिन डिलीवरी करने वाले शख्स और इसे हासिल करने वाला व्यक्ति कभी एक-दूसरे से नहीं मिलते थे.

शिमला एसपी संजीव कुमार गांधी ने कहा, "शिमला का एक सेब व्यापारी जिसका नाम शाही महात्मा (शशि नेगी) है. वह पिछले 5 से 6 सालों एक अंतरराज्यीय चिट्टा रैकेट चला रहा था, जिसका दिल्ली में नाइजीरियन ड्रग गैंग और हरियाणा के अन्य गैंग के साथ संपर्क था. आरोपी का कश्मीर में भी कुछ लोगों के साथ संपर्क है. आरोपी ने इस रैकेट को इतनी कड़ियों में बांट रखा था कि उसे यकीन था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकती है. लेकिन 20 सितंबर को उसे उस वक्त झटका लगा, जब पुलिस ने शिमला में इस साल की सबसे बड़ी ड्रग्स की जब्ती की. पुलिस को इस दौरान 465 ग्राम चिट्टा मिला".

शिमला एसपी संजीव कुमार गांधी ने कहा, "ड्रग्स की मांग व्हाट्सएप पर होती थी. ये लोग पहले सुनिश्चित करते थे कि ड्रग्स के वितरण से पहले यह चार हाथों से गुजरे. उन्होंने मांग लाने, ड्रग्स की आपूर्ति करने और भुगतान प्राप्त करने के लिए अलग-अलग अप्रत्याशित लोगों को नियुक्त किया था. ड्रग तस्कर खुद कभी भी किसी भी साझेदार के साथ सीधे संपर्क में नहीं आते थे. डिलीवरी करने वाला व्यक्ति ड्रग को एक अलग स्थान पर रखता और खरीदार को वहां से उठाने के लिए एक वीडियो साझा करता था. पैसे भी अलग-अलग खातों से होते हुए नेगी के खाते में पहुंचते थे. पिछले 15 महीनों में आरोपियों के बैंक खातों में 2.5 से 3 करोड़ रुपये के फंड फ्लो का पता चला है. पुलिस मामले में जांच कर रही है, मामले में और अभी कई बड़े खुलासे हो सकते है".

ये भी पढ़ें: कुल्लू पुलिस ने तीन नशा तस्करों को दबोचा, आरोपियों के पास से MDM और चरस बरामद

शिमला: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में नशे के कारोबार तेजी से फैल रहा है. हालांकि, पुलिस चौकसी बरत रही है और नशा तस्करों पर लगाम भी कस रही है. इसके बावजूद प्रदेश में नशा तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं. ताजा मामला शिमला का है, जहां एक सेब व्यापारी तकरीबन 6 सालों से व्हाट्सएप के जरिए नशे का रैकेट चलाता था. मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है.

शिमला पुलिस ने एक नशा तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो पूरा रैकेट व्हाट्सएप के माध्यम से चलता था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है. जानकारी के अनुसार एक सेब व्यापारी पिछले 5-6 सालों से यह ड्रग्स रैकेट चला रहा था. जिसे जानकार पुलिस भी हैरान रह गई. यह पूरा रैकेट व्हाट्सएप के जरिए चलता था, लेकिन डिलीवरी करने वाले शख्स और इसे हासिल करने वाला व्यक्ति कभी एक-दूसरे से नहीं मिलते थे.

शिमला एसपी संजीव कुमार गांधी ने कहा, "शिमला का एक सेब व्यापारी जिसका नाम शाही महात्मा (शशि नेगी) है. वह पिछले 5 से 6 सालों एक अंतरराज्यीय चिट्टा रैकेट चला रहा था, जिसका दिल्ली में नाइजीरियन ड्रग गैंग और हरियाणा के अन्य गैंग के साथ संपर्क था. आरोपी का कश्मीर में भी कुछ लोगों के साथ संपर्क है. आरोपी ने इस रैकेट को इतनी कड़ियों में बांट रखा था कि उसे यकीन था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकती है. लेकिन 20 सितंबर को उसे उस वक्त झटका लगा, जब पुलिस ने शिमला में इस साल की सबसे बड़ी ड्रग्स की जब्ती की. पुलिस को इस दौरान 465 ग्राम चिट्टा मिला".

शिमला एसपी संजीव कुमार गांधी ने कहा, "ड्रग्स की मांग व्हाट्सएप पर होती थी. ये लोग पहले सुनिश्चित करते थे कि ड्रग्स के वितरण से पहले यह चार हाथों से गुजरे. उन्होंने मांग लाने, ड्रग्स की आपूर्ति करने और भुगतान प्राप्त करने के लिए अलग-अलग अप्रत्याशित लोगों को नियुक्त किया था. ड्रग तस्कर खुद कभी भी किसी भी साझेदार के साथ सीधे संपर्क में नहीं आते थे. डिलीवरी करने वाला व्यक्ति ड्रग को एक अलग स्थान पर रखता और खरीदार को वहां से उठाने के लिए एक वीडियो साझा करता था. पैसे भी अलग-अलग खातों से होते हुए नेगी के खाते में पहुंचते थे. पिछले 15 महीनों में आरोपियों के बैंक खातों में 2.5 से 3 करोड़ रुपये के फंड फ्लो का पता चला है. पुलिस मामले में जांच कर रही है, मामले में और अभी कई बड़े खुलासे हो सकते है".

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Last Updated : Sep 29, 2024, 10:52 PM IST
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