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4 माह बाद इस दिन खुलेंगे शिकारी देवी मंदिर के कपाट, मनमोहक नजारों के बीच होंगे माता के दर्शन - Shikari Devi Temple

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 2:32 PM IST

Shikari Devi Temple doors open on Chaitra Navratri 2024: मंडी जिले के सराज में स्थित शिकारी देवी मंदिर के कपाट बर्फबारी के चलते नवंबर माह में बंद कर दिए गए थे. जिन्हें प्रशासन द्वारा चैत्र नवरात्रि से पहले खोला जाएगा. इसके लिए मंदिर तक रास्ते से बर्फ हटाने का काम किया जा रहा है.

Shikari Devi Temple
शिकारी देवी मंदिर

सराज: देवी-देवताओं की धरती कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश की संस्कृति बेहद ही अनोखी और अद्भुत है. हिमाचल के लोगों में देवी-देवताओं के प्रति अथाह विश्वास और गहरी आस्था है. हिमाचल में अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जिनकी अपनी एक अलग कहानी और मान्यता है. जिन पर लोगों का अटूट विश्वास है. हिमाचल प्रदेश में ऐसे कई ऐतिहासिक और चमत्कारिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं. ऐसा ही एक धार्मिक स्थल मंडी जिले में भी स्थित है. जंजैहली से 16 किलोमीटर दूर शिकारी देवी मंदिर एक ऐसा मंदिर है, जिसकी छत मौजूद नहीं है. ये मंदिर 3359 एमआरटी की ऊंचाई पर बना है.

चैत्र नवरात्रि में खुलेंगे मंदिर के कपाट

स्थानीय थुनाग प्रशासन ने नवंबर माह में बर्फबारी के चलते शिकारी माता मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे. जिसके कारण लोग यहां नहीं पहुंच पा रहे थे. वहीं, अब स्थानीय प्रशासन ने बताया कि चैत्र नवरात्रि शुरू होने से पहले माता शिकारी के कपाट आम जनमानस के लिए खोल दिए जाएंगे. ऐसे में अब नवरात्रि भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं.

Shikari Devi Temple
चैत्र नवरात्रि पर शिकारी देवी मंदिर के खुलेंगे कपाट

बर्फबारी के बीच मनमोहक है माता शिकारी का सफर

शिकारी देवी मंदिर ट्रैक रोमांच से भरपूर है. सैलानी दूर-दूर से यहां आते हैं. मंडी जिले का सर्वोच्च शिखर होने की वजह से इसे मंडी का क्राउन ताज भी कहा जाता है. शिकारी देवी मंदिर ट्रैक पर घने जंगल हैं, जो इस सफर को और खूबसूरत बनाते हैं. वहीं, यहां आपको बर्फबारी भी देखने को मिलेगी.

6 KM का रहेगा मनमोहक नजारा

लोक निर्माण विभाग मंडल सराज एक्शन चमन ठाकुर ने कहा कि राईगड़ से माता शिकारी की दूरी करीब 6.400 किलोमीटर है. इस 6 किलोमीटर सड़क के दोनों ओर बर्फ के ऊंचे-ऊंचे ढेर लगे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक बर्फ पूरी तरह पिघल नहीं जाती, तब तक रायगढ़ से शिकारी माता मंदिर तक का सफर बहुत सुंदर और मनमोहन रहेगा.

शिकारी माता मंदिर का इतिहास

शिकारी शिखर की पहाड़ियों पर स्थित देवी के मंदिर पर आज भी छत नहीं है. शिकारी देवी मंदिर के पुजारी सुरेश शर्मा ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था. मान्यता है कि मार्कंडेय ऋषि ने इस जगह पर कई साल तपस्या की थी. उनकी तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा अपने शक्ति रूप में इस जगह पर स्थापित हुई थी. वहीं, बाद में इस स्थान पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी तपस्या की. पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा प्रकट हुई और पांडवों को युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया. उसी समय पांडवों ने मंदिर का निर्माण करवाया, लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए.

Shikari Devi Temple
रास्तों से हटाई जा रही बर्फ

माता की मूर्तियों पर नहीं टिकती बर्फ

पुजारी सुरेश शर्मा ने बताया कि शिकारी शिखर की पहाड़ियों पर हर साल सर्दियों में कई फीट तक बर्फ गिरती है. मंदिर की छत भी नहीं है, बावजूद इसके मंदिर में स्थित मूर्तियों के स्थान पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है. जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं है. उन्होंने बताया कि कई कोशिशों के बाद भी इस रहस्यमय शिकारी देवी मंदिर की छत नहीं बन पाई. शिकारी माता खुले स्थान पर आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती है. शिकारी माता मंदिर में पुजारी सुरेश सिंह ने बताया कि बारिश, आंधी, तूफान और बर्फबारी में भी शिकारी माता खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती हैं. उन्होंने बताया कि माता की पिंडियों पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है. इन दिनों शिकारी देवी में बर्फ पड़ी हुई है.

शिकारी माता मंदिर की दूसरी कथा

पुजारी सुरेश शर्मा ने बताया कि एक अन्य मान्यता के अनुसार यह पूरा इलाका जंगलों से घिरा हुआ था और यहां पर शिकारी वन्यजीवों का शिकार करने के लिए आते थे. शिकार करने से पहले शिकारी इस मंदिर में सफलता की प्रार्थना करते और उनकी मनोकामना पूरी हो जाती. इसी के बाद इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ गया. शिकारी माता दर्शन करने के लिए हर साल यहां पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. गर्मियों के दिनों में मंदिर के चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखती है और श्रद्धालुओं के पहुंचने के लिए यहां पर बेहद सुंदर मार्ग बनाया गया है.

श्रद्धालुओं की सुरक्षा के इंतजाम

लोक निर्माण विभाग के एक्शन चमन ठाकुर ने बताया कि स्थानीय प्रशासन के आदेशानुसार पिछले सप्ताह ही रायगढ़ से माता शिकारी तक कुल 6.4 किलोमीटर रास्ते को बहाल कर दिया गया था. श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न आए इसके लिए विभाग की जेसीबी मशीन और स्नो कटर सफाई करने फिर भेजी गई है. एसडीएम थुनाग और माता शिकारी मंदिर कमेटी के अध्यक्ष ललित पोसवाल ने बताया कि हर साल की भांति इस बार भी बर्फबारी के चलते माता के कपाट नवंबर माह को ही बंद कर दिए थे. अगर आज के बाद मौसम साफ रहता है तो चैत्र नवरात्रि के शुरू होने से पहले कपाट खोल दिए जाएंगे, लेकिन लोक निर्माण विभाग के सहयोग से इस बार सड़क मार्ग 28 मार्च को बहाल हो गया है.

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