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संत रविदास जयंती: रैदासियों का 'गांव' बना सीर गोवर्धनपुर, 7 लाख से ज्यादा भक्तों ने छका लंगर

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 24, 2024, 6:27 PM IST

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वाराणसी में आज संत रविदास जयंती (Sant Ravidas Jayanti) के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. यहां लोगों ने दर्शन-पूजन के बाद लंगर छका. संत रविदास के दर्शन करने दूसरे प्रदेशों से लोग पहुंचे.

वाराणसी में संत रविदास जयंती पर उमड़ी भीड़

वाराणसी: सीर गोवर्धनपुर में आज देश ही नहीं विदेश के लोग पहुंचे हुए हैं. मौका है संत रविदास जी की जयंती का. आज संत रविदास के अनुयायी उनकी जन्म स्थली पर पहुंचे हैं. यहां दर्शन-पूजन के साथ ही प्रसाद-लंगर की व्यवस्था की गई है. दुनियाभर से लगभग 9 लाख अनुयायी यहां पहुंचे हैं. लगभग 5000 से अधिक सेवादार पहुंचे और लाखों भक्तों की सेवा की. इस मौके पर पंजाब से सबसे अधिक अनुयायी बनारस में पहुंचे. संत रविदास सिर्फ हिंदुओं ही नहीं, बल्कि सिंधी समाज के लिए भी पूज्य माने जाते हैं, ऐसे में पंजाब के दिग्गज नेता भी यहां पहुंचे हैं.

संत रविदास की जयंती के अवसर पर सीर गोवर्धनपुर रैदासियों का शहर बना हुआ है. आज यहां लाखों की संख्या में अनुयायी और श्रद्धालु मौजूद हैं. इसके साथ ही इस क्षेत्र में अलग-अलग राज्यों से आए हुए रैदासियों और भक्तों के लिए टेंट सिटी का निर्माण किया गया है. लगभग 125 की संख्या में बनी इस टेंट सिटी में श्रद्धालुओं का जत्था रुकेगा. इसके साथ ही लंगर की व्यवस्था है और मेले में खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है. आज सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में लगी रही. पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश अन्य राज्यों से संत रविदास के अनुयायियों का जत्था आया हुआ है. वहीं, सुबह से 7 लाख भक्त लंगर छककर जा चुके हैं. आज पूरे दिन यह सिलसिला जारी रहा.

अमृतवाणी पाठ के बाद फहराई गई रविदासी पताका

श्री गुरु रविदास जन्मस्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर में कार्यक्रम का आयोजन किया. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भी लाखों रैदासी पहुंचे हुए थे. आज भी रैदासियों के आने का सिलसिला जारी है. आज संत रविदास जी की जयंती के कार्यक्रम का शुभारंभ उनके दर्शन-पूजन के साथ हुआ. संत रविदास जी स्वर्ण पालकी में विराजमान हैं. आज उनके मंदिर में अमृतवाणी ग्रंथ का पाठ किया गया. इसके बाद संत निरंजन दास ने मंदिर के पास लगभग 150 फीट ऊंची रविदासी पताका 'हरि' निशान साहिब फहराई. वहीं, मंदिर प्रशासन द्वारा सीर गोवर्धन के ऐतिहासिक इमली के पेड़ के नीचे रविदास जी के चित्र को सजाकर रखा गया है.

गुरु के दर्शन कर खुश नजर आईं महिला श्रद्धालु

पंजाब से पहुंचीं संदीप कौर ने कहा कि वह गुरु रविदास जी महाराज के दर्शन करने आई हैं. गुरु के दर्शन के बाद बहुत खुश हैं. इससे ज्यादा खुशी का दिन कुछ और नहीं हो सकता. मंदिर पहुंचीं श्रद्धालु ने कहा कि वह जालंधर से गुरु के दर्शन के लिए आई हुए हैं. प्रीत ने बताया कि उनके लिए बहुत खुशी की बात है. कहा कि गुरु संत रविदास जी महाराज के दर्शन के लिए इतनी दूर से आए हैं. यहां आकर बहुत ही अच्छा लग रहा है. यहां पहुंचीं महिला श्रद्धालुओं ने कीर्तन किया और प्रसाद भी ग्रहण किया. उनका कहना था कि संत रविदास की प्रतिमा के दर्शन के लिए वह लोग पंजाब से इतनी दूर आए हुए हैं.

5000 सेवादार मंदिर में दे रहे सेवा

बता दें कि हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड व अन्य राज्यों से लगभग 5000 की संख्या में पहुंचे सेवादार यहां 9 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं की सेवा करते रहे. मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन का आयोजन हुआ. महिलाएं कतार में खड़ी कीर्तन करती रहीं. लंगर सुबह से ही चल रहा है. लाखों की संख्या में भक्त प्रसाद ग्रहण कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि यहां पर 6 से अधिक भट्ठियों पर रोटियां पकाई गई हैं. करीब 20 लाख से अधिक रोटियां भक्तों के लिए बनाई गई हैं. लगभग 15 क्विंटल से अधिक नमक की खपत की गई है. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल समेत विदेशों में रहने वाले एनआरआई भक्त भी हर साल यहां आते हैं. आज के दिन भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे हैं.

यहीं बैठकर संत रविदास ने किया भजन-कीर्तन

इमली के पेड़ की बात करें तो कहा जाता है कि इसी इमली के पेड़ के नीचे बैठकर संत रविदास भजन-कीर्तन किया करते थे. यहीं पर बैठकर वे अपने दैनिक जीवन के कर्म किया करते थे. आज इसी पेड़ के नीचे रखे संत रविदास के चित्र पर रैदासी फूल-माला चढ़ाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं. सीर गोवर्धनपुर में आज रैदासियों का एक गांव जैसा बसा हुआ है. आज संत रविदास की 647वीं जन्म जयंती मनाई जा रही है. कहा जाता है कि इसी स्थान पर उनका जन्म हुआ था. रैदासियों के गुरु डेरा संत सरवन दास जी महाराज ने यहां स्थित मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर की नींव साल 1965 के आषाढ़ मास में रखी गई थी.

मंदिर का हुआ कायाकल्प और जीर्णोंद्धार

मंदिर प्रशासन के लोग बताते हैं कि संत रविदास के इस मंदिर को बनने में करीब सात साल लग गए थे. साल 1972 में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ था. आज सरकार ने इस मंदिर का जीर्णोंद्धार और कायाकल्प करा दिया है. लगभग 101 करोड़ रुपये की लागत से यहां पर बाउंड्री, पार्क, सड़क, पानी, बिजली आदि की व्यवस्था कराई गई है. इसके साथ ही मंदिर परिसर में संत रविदास की प्रतिमा का लोकार्पण किया गया है. आज इन सभी बदलावों और संत रविदास का आशीर्वाद पाने के लिए रैदासी यहां पर पहुंचे हुए हैं. लगभग 7 लाख की संख्या में अनुयायी यहां आए. ट्रेनों के माध्यम से पंजाब, हरियाणा से भी भक्त यहां पहुंचे.

संत रविदास मंदिर की संपत्ति

मौजूदा समय में करीब 300 किलो सोना.
सोने की पालकी, दीप, छतर, मुकुट, स्वर्ण कलश संपत्ति में शामिलं.
मंदिर का शिखर भी स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर है, दरवाजे पर सोना जड़ा.
करोड़ों रुपये नकद हर साल मंदिर में दान.

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