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भगवान कृष्ण ही नहीं, ये सभ्यताएं भी रही हैं भरतपुर का हिस्सा, ताम्र, आर्य व महाभारत काल के अवशेष मिले - History of Bharatpur Area

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 9, 2024, 6:31 AM IST

Updated : May 9, 2024, 11:07 AM IST

भरतपुर में मिली पुरानी सभ्यताएं
भरतपुर में मिली पुरानी सभ्यताएं (Etv Bharat GFX Team)

भरतपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के उत्खनन के दौरान यहां के अलग-अलग क्षेत्रों में ताम्र, आर्य, कुषाण, मौर्य और महाभारत काल के अवशेष मिल चुके हैं. बृज क्षेत्र के भरतपुर के कई क्षेत्रों को भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली भी माना जाता है.

भगवान कृष्ण ही नहीं, ये सभ्यताएं भी रही हैं भरतपुर का हिस्सा (ETV Bharat Bharatpur)

भरतपुर. दुनियाभर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और अजेय लोहागढ़ दुर्ग की वजह से अपनी पहचान रखने वाले भरतपुर का इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है. भरतपुर की धरती का कई सभ्यताओं से जुड़ाव रहा है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के उत्खनन के दौरान यहां के अलग-अलग क्षेत्रों में ताम्र, आर्य, कुषाण, मौर्य और महाभारत काल तक के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो इस बात का प्रमाण हैं. बृज क्षेत्र के भरतपुर के कई क्षेत्रों को भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली भी माना जाता है. आइए जानते हैं कि अब तक भरतपुर के कौन-कौन से क्षेत्र से कौन-कौन सी सभ्यताओं के प्राण मिल चुके हैं.

नौंह गांव- ताम्र व आर्य युगीन अवशेष : भरतपुर मुख्यालय से 6 किमी दूर स्थित नौंह गांव में कई सभ्यताओं के अवशेष प्राप्त हुए. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि नौंह गांव में वर्ष 1963 में पुरातत्व विभाग ने उत्खनन कार्य किया था. उस समय यहां से मौर्य, शुंग और कुषाण कालीन मूर्तियां प्राप्त हुई थीं. यहीं के उत्खनन से पता चला था कि भारत में ईसा पूर्व 12वीं शताब्दी में लोहे का प्रयोग हुआ था. यहां ताम्र, आर्य और महाभारत कालीन सभ्यताओं के भी अवशेष प्राप्त हुए थे.

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मलाह गांव- हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र : भरतपुर शहर से महज तीन किमी दूर स्थित मलाह गांव का भी कई सभ्यताओं से जुड़ाव रहा है. इतिहास के प्रोफेसर डॉ. सतीश त्रिगुणायत ने बताया कि यह गांव गुप्तकाल और मध्य पूर्व काल में हिंदू धर्म का प्रमुख केंद्र रहा था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के उत्खनन में यहां से 8वीं शताब्दी और 10वीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमाएं प्राप्त हुई थीं. साथ ही ताम्र निर्मित अवशेष भी मिले थे.

बहज गांव- 5 सभ्यताओं के अवशेष : हाल ही में डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से उत्खनन कार्य किया जा रहा है. यहां पर अभी तक के उत्खनन में कुषाण काल, शुंग काल, मौर्य काल, महाजनपद काल और महाभारत काल तक के अवशेष और जमाव प्राप्त हो चुके हैं. साथ ही हड्डियों से निर्मित सुई के आकार के ऐसे औजार भी प्राप्त हुए हैं, जो अब तक भारत में कहीं अन्य जगह पर नहीं मिले. फिलहाल, विभाग की ओर से उत्खनन कार्य जारी है. संभावना जताई जा रही है कि यहां और भी प्राचीन सभ्यता व कालखंड के अवशेष प्राप्त हो सकते हैं.

ये क्षेत्र भी महत्वपूर्ण : डीग जिले के कामां और भरतपुर के अघापुर क्षेत्र से भी कई प्राचीन प्रतिमाएं और अवशेष प्राप्त हो चुके हैं. अघापुर गांव में अभी भी एक टीले को पुरातत्व विभाग ने संरक्षण में रखा है. संभावना है कि भविष्य में यदि इसका उत्खनन किया जाएगा तो कई प्राचीन अवशेष प्राप्त हो सकते हैं.

Last Updated :May 9, 2024, 11:07 AM IST
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