शेखावाटी की चारों सीट पर जाट परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर, जानिए पूरे समीकरण - Lok Sabha Election 2024

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 19, 2024, 6:03 AM IST

शेखावाटी की चारों सीट और कड़ी टक्कर

लोकसभा के महामुकाबले में राजस्थान के 25 सीटों में से 12 सीट पर शुक्रवार को यानी 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. शुक्रवार को शाम 6 बजे के बाद प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद हो जाएगा. इस बार चुनाव में शेखावाटी की चारों सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है.

चारों सीट पर जाट परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर

झुंझुनू. शेखावाटी की राजनीति को चार सीट प्रभावित करती हैं. चारों ही सीटों पर इस बार दोनों ही पार्टियों ने जाट प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है. इनमें से ज्यादातर कद्दावर जाट परिवारों से आते हैं. वहीं जो नए प्रत्याशी भी मैदान में उतरे हैं. इन चारों सीटों की यदि बात की जाए तो ओला परिवार, मिर्धा, बेनीवाल, कस्वां जैसे परिवारों की प्रतिष्ठा दांव पर है. जो कई दशकों से देश और प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करते रहे हैं.

यह है नागौर सीट का समीकरण : वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 1,81,260 मतों से जीत दर्ज करने वाले हनुमान बेनीवाल और उनके सामने चुनाव लड़ने वाली ज्योति मिर्धा वापस चुनाव मैदान में हैं लेकिन टिकट के मामले में ठीक उल्टे हैं. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली ज्योति मिर्धा अब भाजपा से ताल ठोक रही है तो भाजपा आरएलपी के गठबंधन से चुनाव लड़ने वाले हनुमान बेनीवाल अब कांग्रेस गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. बाबा की पोती ज्योति का परिवार मिर्धा के बिना नागौर की राजनीति की कल्पना भी नहीं की जा सकती. दूसरी ओर पूर्व सांसद पूर्व विधायक हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव सिंह भी राजनीति के लंबे खिलाड़ी रहे हैं. हनुमान बेनीवाल के भाई भी विधायक रह चुके हैं. यानी मिर्धा और बेनीवाल परिवार की प्रतिष्ठा इस चुनाव को लेकर दांव पर है. ज्योति के सामने बड़ी मुसीबत यह है कि उसके दादा नाथूराम मिर्धा भारतीय जनता पार्टी को सत्यानाशी पार्टी कहते थे और अब इस पार्टी से ज्योति को वोट मांगने पड़ रहे हैं लेकिन भाजपा के मजबूत संगठन का भी फायदा उन्हें मिलेगा. दूसरी और हनुमान बेनीवाल की युवा टीम, कांग्रेस का समर्थन और किसान जातियों का बाहुल्य होने से उन्हें मजबूत बनाता है तो दूसरी ओर उनका बड़बोलापन नुकसान करता भी नजर आता है.

पढ़ें: चुनाव प्रचार के दौरान ओम बिरला के लिए धारीवाल के मुंह से निकले आपत्तिजनक शब्द - Loksabha Election 2024

किसकी प्रतिष्ठा बचेगी और किसके बोलेंगे मोर ? : लोकसभा चुनाव में 3,34,402 मतों से जीत दर्ज करने वाले राहुल कस्वां अब भाजपा की बजाय कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरी और उनके सामने भाजपा ने इंटरनेशनल खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया को चुनाव मैदान में उतारा है. लेकिन यहां पर झाझरिया से ज्यादा पूर्व नेता प्रतिपक्ष पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ की प्रतिष्ठा दांव पर है. इसके लिए हमें 1 वर्ष पहले के समय में जाना पड़ेगा. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और राजेंद्र राठौड़ के बीच जुबानी जंग चल रही थी. डोटासरा ने राठौर को खुली चुनौती दी की वे चूरू में चुनाव नहीं लड़ेंगे और क्षेत्र को छोड़कर भागेंगे. राठौर को चूरू से हार की आशंका थी और इसलिए उन्होंने भाजपा से तारानगर से चुनाव लड़ा. डोटासरा ने वहां पर चुनाव कहीं ना कहीं जातिगत समीकरणों में उलझा दिया. यह स्थानीय भाषा में मोर बुलाने यानी हरवाने का नारा भी चला. राठौर चुनाव हार गए और जातिगत समीकरणों की वजह से उन्हें लगा कि कस्वां परिवार ने उन्हें चुनाव हरवाने में मदद की है. इधर निवर्तमान सांसद राहुल कस्वां का टिकट कट गया और यह माहौल बनाया गया की कस्वां का टिकट कटवाकर राठौड़ ने देवेंद्र झाझरिया को टिकट दिलवाया है. ऐसे में अब भी यह मुकाबला राहुल और राजेंद्र राठौड़ के बीच माना जा रहा है. राहुल कस्वां के पिता राम सिंह भी कई बार के सांसद और माता कमला विधायक रह चुकी हैं. अब देखने वाली बात होगी कि किसकी प्रतिष्ठा बचती है और किसके मोर बोलते हैं.

अग्निवीर ले डूबेगी या नहर बचाएगी : राजस्थान को सबसे ज्यादा सैनिक व शहीद देने वाले झुंझुनू जिले में अग्निवीर योजना को लेकर बड़ा गुस्सा है. भाजपा ने हरियाणा सरकार से नहर के मामले में आधा अधूरा ही सही लेकिन समझौता करवा कर इसकी भरपाई करने का प्रयास किया है. यहां पर भाजपा ने भले ही चुनाव 3,02,547 मतों से जीत दर्ज की हो लेकिन कांग्रेस ने कद्दावर जाट नेता रहे शीशराम ओला के पुत्र बृजेंद्र ओला को उतार कर मुकाबला को बेहद रोचक बना दिया है. इसलिए ही इस सीट पर भाजपा पहले दो सूची में प्रत्याशी की भी घोषणा नहीं कर पाई थी. बाद में दो विधानसभा चुनाव हार चुके शुभकरण चौधरी को प्रत्याशी बनाया गया. उनकी छवि खांटी राजनीतिज्ञ की है. इसके अलावा जाट मतों को साधने के लिए झुंझुनू के मूल निवासी जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाया था. ऐसे में एक तरफ शुभकरण चौधरी के साथ भाजपा संगठन की प्रतिष्ठा दांव पर है तो दूसरी ओर ओला परिवार के लिए भी यह चुनाव राजनीतिक प्रतिष्ठा का हो गया है.

पढ़ें: राजस्थान में दूसरे चरण के लिए पीएम मोदी, अमित शाह, योगी सहित आधा दर्जन नेताओं के दौरे तय - Lok Sabha Elections 2024

जमीन जीतेगी या ध्रुवीकरण होगा : सीकर लोकसभा सीट ऐसा क्षेत्र है जहां कभी भी बाहरी प्रत्याशी से परहेज नहीं किया गया और यहां से बलराम जाखड़ और देवीलाल जैसे नेता भी चुनाव जीत चुके हैं. इसलिए ही मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले स्वामी सुमेधानंद को भाजपा ने तीसरी बार चुनाव मैदान में उतारा है. स्वामी सुमेधानंद ने गत चुनाव कांग्रेस के सामने 2,97,156 मतों से जीता था लेकिन इस बार उनके सामने जमीन से जुड़े हुए नेता अमराराम हैं. अमराराम की छवि कई बार विधायक रहने के बाद भी रोडवेज में सफर, किसानों के साथ दरी पर बैठना और हर वक्त आंदोलन के लिए तैयार रहने की है. कांग्रेस और सीपीएम गठबंधन ने उन्हें और ज्यादा ताकत दे दी है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का क्षेत्र होने से उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर है. जातिगत समीकरण यहां भी बड़ा प्रभाव रखते हैं और यही कारण है कि स्वामी की वेशभूषा धारण करने के बावजूद सुमेधानंद को पहले चुनाव में अपना जाति का सर्टिफिकेट जनता के सामने रखना पड़ा था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.