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रिश्वत लेने वाला सहानुभूति का हकदार नहीं हो सकता : राजस्थान हाईकोर्ट

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 28, 2024, 9:54 PM IST

Rajasthan High Court
Rajasthan High Court

रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार हुए सरपंच के निलम्बन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि एक बेईमान अधिकारी या व्यक्ति किसी सहानुभूति का पात्र नहीं हो सकता है. जस्टिस विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ ने रिश्वत के आरोप में रंगे हाथों गिरफ्तार हुए सरपंच की ओर से अपने निलम्बन आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि कोई पदाधिकारी रंगे हाथ पकड़ा जाता है तो उदार दृष्टिकोण अपनाने की गुंजाइश नहीं हो सकती. जांच प्रभावित न हो इसीलिए निलम्बित किया जाता है, जो कि कोई सजा नहीं है.

चित्तौड़गढ़ के जड़ाना ग्राम पंचायत सरपंच संजय सुखवाल की ओर से 24 जनवरी 2024 को जारी निलम्बन आदेश को चुनौती दी थी. याचिका में कहा कि 24 जनवरी को ही स्पष्टीकरण मांगा गया कि क्यों नहीं उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए. 24 जनवरी को याचिकाकर्ता के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किए गए और उसी तारीख को उसे निलम्बित कर दिया गया. याचिकाकर्ता ने बताया कि 3 दिसम्बर 2023 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो चित्तौडगढ़ ने 2,40,000 रुपए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था. 16 जनवरी 2024 को हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा हुआ. इसके 8 दिन में ही नोटिस, आरोप पत्र और निलम्बन हो गया. उसने निलम्बन आदेश को निरस्त करने की प्रार्थना की.

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कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि ऐसे अधिकारी दया एवं सहानुभूति के पात्र नहीं हो सकते हैं जो रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए हों. इसके साथ ही उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया. याचिकाकर्ता संजय सुखवाल ने याचिका में कहा कि चित्तौड़गढ़ के राशमी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत जड़ाना का सरपंच 2020 में चुना गया था. सरपंच के रूप में काम करते समय 3 दिसंबर 2023 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, चित्तौड़गढ़ ने रिश्वत के रूप में 2,40,000 रुपये की राशि के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. जमानत मिलने के बाद महज एक ही दिन में नोटिस, आरोप पत्र एवं निलम्बन की कारवाई की गई है, जो कि उचित व नियमानुसार नहीं की गई है. कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

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