ETV Bharat / state

आखिर कैसे हो गई बाघिन के चार शावकों की मौत, दो थे व्हाइट नस्ल के, रांची के बिरसा जैविक उद्यान में हुई घटना पर उठ रहे कई सवाल - Death of four cubs

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 15, 2024, 5:45 PM IST

Questions on the death of tigress's cubs Ranchi. रांची के बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में चार शावकों की मौत हो गई है. आखिर कैसे इन शावकों की मौत हो गई, प्रबंधन की ओर से जो दलील दी जा रही है उससे कई सवाल उठ रहे हैं?

Questions on the death of tigress's cubs Ranchi
फाइल फोटो (ईटीवी भारत)

रांची: एक तो ऐसे ही देश में राष्ट्रीय पशु यानी बाघ की संख्या कम है. ऊपर से जब यह पता चले कि चिड़ियाघर के अंदर बाघिन के चार नवजात शावकों की मौत हो गई है तो आश्चर्य होना लाजमी है. क्योंकि इनमें से दो शावक व्हाइट टाइगर प्रजाति के थे. मामला रांची के भगवान बिरसा जैविक उद्यान से जुड़ा है. यह चिड़ियाघर, राजधानी से करीब 20 किलोमीटर दूर ओरमांझी में एनएच-33 के बगल में है. इक्यासी हेक्टेयर में फैले इस चिड़ियाघर में गौरी नाम की बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्यवश सभी की जान चली गई. लिहाजा, ईटीवी भारत की टीम ने शावकों की मौत की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

गौरी नाम की बाघिन ने कब दिया शावकों को जन्म

जू प्रबंधन को अंदेशा हो गया था कि 10 मई की रात वह शावकों को जन्म दे सकती है. इसलिए सीसीटीवी के जरिए उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी. 10 मई को मध्य रात्रि के बाद 11 मई को रात करीब 2 बजे गौरी ने एक शावक को जन्म दिया. लेकिन जन्म लेते ही शावक की मौत हो गई. इसके महज एक घंटे बाद यानी 11 मई को अहले सुबह 3 बजकर 12 मिनट पर दूसरे शावक को जन्म दिया. तीसरे शावक का जन्म सुबह 7.30 बजे और चौथे का जन्म सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर हुआ.

शावकों का केयर नहीं कर पाई बाघिन- डॉ ओपी साहू

भगवान बिरसा जैविक उद्यान के पशु चिकित्सक डॉ ओपी साहू ने ईटीवी भारत को बताया कि एक शावक तो जन्म लेते ही मर गया था क्योंकि उसका आधा शरीर बाहर आने से पहले ही गौरी बैठ गई थी. पहले शावक की मौत होते ही उसको केज से हटा लिया गया. इसके बाद उसने एक-एक करके तीन और शावकों को जन्म दिया. सभी शावक हेल्दी थे. लेकिन पहली बार मां बनने की वजह से वह बच्चों का केयर नहीं कर पा रही थी.

बच्चे दूध पीना चाह रहे थे. बच्चे जब दूध पीने के लिए मां के करीब पहुंचे तो वह उल्टा करवट उन्हीं पर लेट गयी. तीनों शावक अपनी मां के भारी भरकम शरीर के नीचे दब गये. सीसीटीवी में इस घटना को देखते ही जू प्रबंधन की टीम भागकर केज के पास पहुंची और शावकों को रेस्क्यू किया गया. तबतक दो और शावकों की मौत हो चुकी थी. एक शावक सांसे ले रहा था. उसको हाथ से मिल्क फीड कराया गया. लेकिन वह भी ज्यादा देर नहीं जिंदा नहीं रह पाया.

क्या निकला पोस्टमार्टम में

12 मई को वेटनरी कॉलेज से पशुचिकित्सक डॉ एमके गुप्ता को जू बुलाया गया. उन्होंने जू में ही पोस्टमार्टम किया. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि तीन शावकों के पेट में दूध का एक बूंद भी नहीं मिला, जबकि एक शावक के पेट से थोड़ा दूध मिला क्योंकि उसे हैंड केयरिंग से मिल्क फीड कराया गया था. सभी शावकों के चेस्ट में ब्लड ट्रेस मिले. उन्होंने अंदेशा जताया कि मां के वजन से दबने कारण ही सभी शावकों की मौत हुई होगी. इसके बाद वाइल्ड लाइफ एक्स की धाराओं का पालन करते हुए शावकों को इनसिनेरेशन यानी जला दिया गया.

तीन फिमेल और एक मेल शावक में दो थे व्हाइट

डॉ एमके गुप्ता ने बताया कि तीन शावक फिमेल और एक मेल था. इनमें से दो शावक व्हाइट टाइगर प्रजाति के थे. क्योंकि उनका पिता भी व्हाइट टाइगर है. भगवान बिरसा जैविक उद्यान के निदेशक जब्बार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि साल 2018 में बिलासपुर के चिड़ियाघर से गौरी नाम की बाघिन और जावा नाम के व्हाइट टाइगर के जोड़े को यहां लाया गया था.

दोनों की अच्छी केमेस्ट्री थी. हालांकि गौरी को गर्भधारण करने में थोड़ा वक्त जरुर लगा. लेकिन अनुभवहीनता के कारण वह अपने बच्चों का समुचित ख्याल नहीं रख पाई. उन्होंने किसी भी तरह की कोताही की बात से साफ इनकार किया. उन्होंने कहा कि जू प्रबंधन की तरफ से शावकों को बचाने की हर संभव कोशिश की गई.

कोरोना काल में जू में गूंजी थी शावकों की आवाज

भगवान बिरसा जैविक उद्यान, रांची में उस दौर में बाघ की बच्चों की आवाज गूंजी थी, जब पूरी दुनिया कोरोना के खौफ में जी रही थी. अप्रैल 2020 में अनुष्का नाम की बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था. उसके सभी शावक अब बड़े हो चुके हैं. अनुष्का नामक बाघिन को मल्लिक नाम के बाघ के साथ हैदराबाद के जू से लाया गया था. तब कोरोना महामारी जैसे विपरित हालात के बावजूद उस वक्त की टीम ने ये सफलता हासिल की थी. तब वह खबर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई थी. उस सफलता के बाद जू प्रबंधन के लिए पशु प्रेमियों में खुशी फैलाने का सुनहरा मौका मिला था, जो बेकार चला गया.

अब सवाल उठता है कि जब जू प्रबंधन को मालूम था कि पहली बार गर्भ धारण करने वाली बाघिन अपने शावकों के प्रति लापरवाह हो सकती है तो इस बात का ख्याल क्यों नहीं रखा गया. जब मां की लापरवाही की वजह से पहला शावक मर चुका था तो तीन शावकों को रिस्क जोन में क्यों छोड़ा गया. क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए. इन सवालों का जवाब जानने के लिए झारखंड के पीसीसीएफ शशिकर सामंता से बात करने की कोशिश की गई लेकिन बात नहीं हो पाई.

आश्चर्य की बात है कि जिस राष्ट्रीय पशु की संख्या को बढ़ाने के लिए समय समय पर "SAVE TIGER " स्लोगन के साथ अभियान चलाए जाते हैं, वहां चार शावकों की जिंदगी नहीं बचाई जा सकी. ऊपर से मां पर ही मौत का ठिकरा फोड़ दिया गया. सवाल यह भी है कि जब शावकों की मौत 11 मई को ही हो गई थी तो 12 मई को पोस्टमार्टम क्यों कराया गया?

ये भी पढ़ें- रांची के बिरसा जैविक उद्यान में बाघिन के चार नवजात शावकों की मौत, जिम्मेवार कौन? - Four tigress cubs died in Ranchi

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.