पटना: बिहार विधानसभा के बजट सत्र शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. वाम दल के विधायकों ने सिवान में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं के खिलाफ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. साथ ही नियोजित शिक्षकों के आंदोलन को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया.
सिवान में दलित की हत्या के मामले को लेकर हंगामा: वाम दल के विधायकों का साफ-साफ कहना है कि सिवान में दलित की हत्या हुई है और कहीं न कहीं इसमें भाजपा के लोगों का हाथ है. सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही वाम दल के विधायकों ने नियोजित शिक्षक के मामले को लेकर भी सरकार से सदन के जवाब देने की मांग की है.
वाम दल के विधायकों ने किया प्रदर्शन : बिहार में फिर से सामंती ताकत दलितों की हत्या करने में जुट गए हैं. सिवान में जिस तरह से दलितों की हत्या हुई है उस पर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है. हम सरकार से मांग करेंगे कि प्रशासन वैसे सामंतवादी ताकत पर कार्रवाई करें.
"नियोजित शिक्षक के साथ जो कुछ हो रहा है वह गलत है. आज भी हजारों की संख्या में नियोजित शिक्षक पटना पहुंचे हुए हैं. उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा देने की बात कही गयी और अब सक्षमता परीक्षा लेने की बात की जा रही है, जिसका वह लोग विरोध कर रहे हैं. सरकार इसको लेकर हस्तक्षेप करें."- महबूब आलम, भाकपा माले विधायक
'बिहार में भी डोमिसाइल नीति हो लागू': उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग जो कुछ निर्णय ले रहा है वह नियोजित शिक्षक के पक्ष में नहीं ले रहा है. युवाओं के भविष्य के लिए बहुत खराब स्थिति बनी हुई है. उन्होंने कहा कि बिहार में भी डोमिसाइल नीति लागू होनी चाहिए. जिस तरह से अन्य प्रदेश के लोग आकर यहां सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेते हैं, वह नहीं होना चाहिए और इसको लेकर भी हम लोग सदन में सरकार के सामने मांग रखेंगे.
'सक्षमता परीक्षा लेना गलत': महबूब आलम ने कहा कि सरकार हमारी मांग को अगर पूरा नहीं करेगी तो निश्चित तौर पर हम लोग इसका विरोध करने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी है नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देना और राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए जिस तरह से सक्षमता परीक्षा की बात सरकार कर रही है वह पूरी तरह से गलत हैय