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डिजिटल इंडिया के दौर में राजनीतिक पार्टियों के लिए नुक्कड़-नाटक बना प्रचार-प्रसार का सहारा, कई बड़ी पार्टियां नुक्कड़-नाटक कंपनियों के भरोसे! - Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 6, 2024, 8:28 PM IST

Updated : Apr 6, 2024, 9:26 PM IST

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political Parties Depend On Street Theater

Street theater role in election. जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख सामने आ रही हैं सभी पार्टियां तैयारी में जोर-शोर से जुट गई हैं. कई पार्टियां इस बार चुनाव प्रसार कुछ अलग अंदाज में करती दिख सकती हैं. इसके लिए नुक्कड़-नाटक का मंचन करने वाले कलाकारों का सहारा लिया जा रहा है.

रांची: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं. कोई प्रचार-प्रसार के लिए कोई सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है तो कोई जनसभा के माध्यम से मतदाताओं तक पहुंच बनाने की रणनीति में जुटा है. इस बार प्रचार-प्रसार के लिए कई पार्टियां नुक्कड़ नाटक का सहारा लेती दिख सकती हैं. नुक्कड़-नाटक के लिए नेता अब गली-मोहल्ले में नाटक का मंचन करने वाले कलाकारों का चयन करने में जुट गए हैं. साथ ही नुक्कड़-नाटक कंपनियां भी विभिन्न राजनीतिक कार्यालयों में जाकर अपना डेमो देते नजर आ रही है.

भाजपा कार्यालय में नुक्कड़-नाटक कलाकारों का लिया गया ऑडिशन

इसी क्रम में भाजपा कार्यालय में नुक्कड़ नाटक कंपनी के कलाकारों का ऑडिशन लिया गया, ताकि चुनाव में नुक्कड़-नाटक के माध्यम से लोगों के बीच राजनीतिक पार्टियां अपना प्रचार प्रसार कर सकें. इस दौरान कालाकरों ने डेमो पेश किया.

नुक्कड़-नाटक संदेश पहुंचाने का सशक्त माध्यमः अविनेश कुमार

इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अविनेश कुमार बताते हैं कि नुक्कड़-नाटक एक ऐसा संवाद है जो लोगों पर सीधा असर करता है, क्योंकि संचार का यह माध्यम शारीरिक और मौखिक रूप से लोगों को संदेश देता है. उन्होंने कहा कि आज भी कई ऐसे मतदाता हैं जो तकनीकी रूप से उतने सक्षम नहीं हैं. 50 से 65 वर्ष के हजारों ग्रामीण मतदाता अभी भी फोन या सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते हैं. इसलिए वैसे मतदाताओं को जागरूक करने के लिए नुक्कड़-नाटक बेहतर माध्यम माना जाता है.

वामपंथियों ने की थी नुक्कड़-नाटक के माध्यम से प्रचार की शुरुआत

वहीं वाम दल के नेता अजय कुमार सिंह ने कहा कि नुक्कड़-नाटक के माध्यम से प्रचार-प्रसार की शुरुआत वामपंथियों ने की थी. उन्होंने बताया कि 1940 के दशक में बंगाल प्रांत अकाल के दौरान वामपंथियों के सहयोग से कलाकारों का एक समूह बनाया गया. जिसे इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन (IPTA) का नाम दिया गया. तभी से नुक्कड़-नाटक का ट्रेंड सामाजिक जागरुकता के लिए शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि आज सभी राजनीतिक पार्टियों ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में लोगों तक पहुंच बनाने के लिए नुक्कड़-नाटक का सहारा ले रही हैं.

डिजिटल इंडिया के नाम पर लोगों को ठग रही है भाजपाःअजय कुमार

वाम दल के नेता अजय सिंह ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जो डिजिटल इंडिया की बात करती है वो आज नुक्कड़-नाटक का सहारा लेती दिख रही है. इससे यह प्रतीत होता है कि भाजपा लोगों को डिजिटल इंडिया के नाम पर ठग रही है. उन्होंने कहा कि आज भी भारत के 80 करोड़ लोग डिजिटल इंडिया से दूर हैं. इसलिए राजनीतिक पार्टियों नुक्कड़-नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रही हैं.

चुनाव के वक्त नुक्कड़-नाटक कलाकारों का बढ़ जाता है काम

वहीं ऑडिशन देने आए नुक्कड़-नाटक कंपनी के कलाकारों ने कहा कि जब-जब चुनाव आते हैं तब नुक्कड़-नाटक के कलाकारों का काम बढ़ जाता है. सभी कलाकार स्क्रिप्टिंग और एक्टिंग पर विशेष ध्यान देते हैं. झारखंड की लोकगीतों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है.

वहीं बोकारो से भाजपा कार्यालय में ऑडिशन देने आई नुक्कड़-नाटक के कलाकार की टोली के हेड नेपाल महतो बताते हैं कि चुनाव के समय में हमें अच्छा काम मिल जाता है, लेकिन आम दिनों में नुक्कड़-नाटक कलाकारों को बेरोजगारी की समस्या से जूझना पड़ता है.

सरकार नुक्कड़ नाटक का मंचन करने वाले कलाकारों पर दें ध्यान

नुक्कड़-नाटक का मंचन करने वाले कलाकारों ने बताया कि चुनाव के दौरान जिस तरह से नुक्कड़-नाटक का उपयोग किया जाता है यदि उसी प्रकार सरकार अन्य सामाजिक मुद्दों पर नुक्कड़-नाटक का मंचन करवाती है तो कलाकारों को हमेशा रोजगार मिलता और आम लोगों तक सीधा संदेश भी पहुंच पाता. अब देखने वाली बात होगी कि झारखंड में नुक्कड़-नाटक के सहारे प्रचार-प्रसार करने वाली राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को अपनी ओर कितना खींच पाती हैं.

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Last Updated :Apr 6, 2024, 9:26 PM IST
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