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पाली लोकसभा को लेकर जोधपुर के जाटों में प्रतिस्पर्धा ! मारवाड़ में दावेदारों की सगुबुगाहट तेज

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 17, 2024, 7:40 AM IST

Jat Effect in Rajasthan
Jat Effect in Rajasthan

Lok Sabha Elections 2024, पाली लोकसभा को लेकर जोधपुर के जाटों में प्रतिस्पर्धा की स्थिति नजर आ रही है. मारवाड़ में दावेदारों की सगुबुगाहट तेज होने लगी है. यहां जानिए पूरा समीकरण...

जोधपुर. लोकसभा चुनावों को लेकर मारवाड़ में दावेदारों की सगुबुगाहट तेज होने लगी है. कांग्रेस में इस बार पाली लोकसभा क्षेत्र से दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसकी वजह यह है कि इस बार कांग्रेस नया चेहरा लाएगी, क्योंकि गत बार चुनाव लड़ने वाले बद्रीराम जाखड़ इस बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में गहलोत इस बार नया जाट चेहरा उतार सकते हैं. इसलिए युवा नेता ज्यादा सक्रिय हैं. सही मायने में टिकट के लिए जाटों में ही आपस में संघर्ष हो सकता है.

हालांकि, अभी क्षेत्र में सक्रिय होकर हर दिन जनता के बीच जा रहे हैं. पाली लोकसभा में जोधपुर के जाट बाहुल्य ओसियां, भोपालगढ़ और बिलाड़ा विधानसभा होने से यहां के जाटों की तगड़ी लॉबिंग हो रही है. 2008 के परिसिमन के बाद से कांग्रेस ने जोधपुर क्षेत्र से ही उम्मीदवार उतारा है. यही कारण है कि इन दिनों राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल, जेएनवीयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष सुनील चौधरी ने लोकसभा क्षेत्र में पूरी ताकत झोंक दी है. हर दिन क्षेत्र में दौरे कर जनता के बीच जा रहे हैं. इनके अलावा दिव्या मदेरणा का नाम भी है, लेकिन दिव्या की ओर से सार्वजनिक रूप से किसी तरह की दावेदारी नहीं हुई है.

अशोक गहलोत ने बनाया राज्यमंत्री : संगीता बेनीवाल जोधपुर शहर की रहने वाली हैं और अशोक गहलोत की समर्थक हैं. पिछली सरकार में गहलोत ने बेनीवाल को राज्य बाल संरक्षण आयोग का अध्यक्ष बनाया. राज्यमंत्री का दर्जा दिया. इतना ही नहीं, तीन वर्ष पूरे होने पर दोबारा नियुक्ति भी कर दी. संगीता बेनीवाल एक मात्र कांग्रेसी हैं, जिन्हें गहलोत सरकार ने दोबारा निुयक्ति दी थी. विधानसभा चुनाव में भी बेनीवाल ने पार्टी के लिए प्रचार किया. अब वह लगातार पाली लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए गांवों के दौरे कर रही हैं.

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वैभव गहलोत ने बनाया उपाध्यक्ष : छात्र नेता के रूप में सुनील चौधरी ने अपने करिअर की शुरुआत की थी. गत लोकसभा चुनाव में वैभव से जुड़कर राजनीति में कदम रखा. पूरे पांच साल तक वैभव गहलोत के साथ साए की तरह सुनील चौधरी जुड़े हुए हैं. हाल ही में वैभव गहलोत ने सुनील को जोधपुर डिस्ट्रीक्ट क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष भी बनाया. चौधरी ने विधानसभा चुनाव में जैतारण से दावेदारी की थी, लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद पाली लोकसभा से तैयारी शुरू कर दी. 21 साल के सुनील चौधरी इन दिनों पाली लोकसभा के बाली, सोजत, जैतारण के दौरे कर रहे हैं, जिसमें युवाओं का साथ मिल रहा है.

इसलिए नए चेहरों की उम्मीद : पाली लोकसभा सीट 2008 से पहले महाजन वर्ग की सीट मानी जाती थी. यहां से भाजपा के पुष्पजैन दो बार, गुमानमल लोढ़ा तीन बार व कांग्रेस के मिठ्ठालाल जैन एक बार व मूलचंद डागा तीन बार सांसद रहे थे. 2008 में परिसिमन से जोधपुर का जाट बाहुल्य क्षेत्र होते ही अशोक गहलोत ने 2009 में अपने खास बद्रीराम जाखड़ को चुनावी मैदान में उतारा तो वो जीत गए, लेकिन 2014 में मोदी लहर में गहलोत ने जाखड़ की जगह उनकी पुत्री मुन्नी को उतारा, लेकिन वह हार गईं. उसके बाद 2019 में जाखड़ को लाए, लेकिन वे भी पीपी चौधरी से हार गए.

पीपी चौधरी, चौधरी हैं लेकिन पर जाट नहीं : पहली बार जीतने पर पीपी चौधरी को 2014 में केंद्र में मंत्री बनाया गया, लेकिन जाटों ने इस बात को लेकर विरोध जताया कि चौधरी को जाट कोटे में मंत्री नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि वो जाट नहीं हैं. पीपी चौधरी सीरवी हैं, जो गोडवाड यानी की पाली-सिरोही क्षेत्र में बहुतायत हैं. यही कारण है कि 2019 में भी पीपी चौधरी जीते, लेकिन उन्हें इस बार मंत्री नहीं बनाया. उसके बाद लोकसभा की सबसे महत्वपूर्ण कमेटियों का अध्यक्ष बनाया गया.

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