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फॉरेन की लग्जरी लाइफ और करोड़ों का पैकेज छोड़ सिवान से लड़ेंगे निर्दलीय लोकसभा चुनाव, सामाजिक सुधार प्राथमिकता - Lok Sabha election 2024

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 9, 2024, 6:49 PM IST

निर्दलीय प्रत्याशी, सिवान
प्रकाशमणि तिवारी

सिवान में एक ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं जो NRI होते हुए भी अपने लोकसभा क्षेत्र के लोगों के उत्थान के लिए काम करना चाहते हैं. उनकी मंशा है कि वो समाज के सुधार के लिए काम करें. पैसा और लग्जरी लाइफ ठुकरा कर आए हैं.

देखें रिपोर्ट.

सिवान : लोकसभा चुनाव 2024 का ऐलान हो चुका है. छठे चरण में 25 मई को सीवान में मतदान होना है. 4 तारीख को वोटों की गिनती पूरी हो जाएगी और नतीजे आ जाएंगे. जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहा है, दिन पर दिन सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. सभी दल के नेता जनसंपर्क अभियान में लगे हैं. ऐसे में निर्दलीय प्रत्याशी भी पीछे नहीं हैं. वह भी क्षेत्र का भ्रमण तेजी से कर रहे हैं. लोगों के बीच जाकर समाज में फैली तमाम कमियां, सरकार की उदासीनता गिना रहे हैं.

मैदान में NRI प्रत्याशी : सिवान लोकसभा 18 से एक एनआरआई प्रत्याशी भी निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. प्रकाशमणि तिवारी पेशे से Deta साइंटिस्ट हैं और जो लंदन-अमेरिका जैसे देशों में करोड़ों के पैकेज पर काम करके लग्जरियस लाइफ जीते थे. लेकिन अब सभी को ठुकराकर वो भारत लौटे हैं और यहां आकर सभी समस्याओं का अध्ययन कर उसे जड़ से खत्म करने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.

निर्दलीय प्रत्याशी बनकर लड़ेंगे चुनाव : आपको बता दें कि सिवान जिले के एक छोटे से गांव दरौली निवासी प्रकाशमणि तिवारी कोरोना कल के बाद जब वह सिवान आए तो यहां की व्यवस्था देखकर बहुत दुखी हुए. उन्होंने इस व्यवस्था को खत्म करने की ठान ली और लोकसभा 2024 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सिवान लोकसभा 18 से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. उनका कहना है कि वो सेवा भाव के लिए इस फील्ड को चुन रहे हैं.

क्या है मुद्दा : एनआरआई प्रत्याशी deta साइंटिस्ट प्रकाशमणि तिवारी ने करोड़ों के पैकेज को ठुकराकर अब जिले के लोगों की सेवा करेंगे. उन्होंने ईटीवी भारत की टीम से बातचीत में बताया कि समाज नशे की चपेट में है, हर दो, तीसरे घर में एक स्मैकर मिल जाएंगे. अपराध काफी बढ़ गया है. रोजगार नहीं है. स्वच्छ भारत कहा जाता है, लेकिन आज भी गांव के सुदूर इलाकों में शौचालयों की व्यवस्था नही है. महिलाओं को खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

'रोजगार के लिए फैक्ट्री जरूरी' : उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि एक ही बार बहुत बड़ी फैक्ट्री लगवा दिया जाय, अगर कुछ छोटे-छोटे कल कारखाने भी लगें तो बेरोजगारी एवं पलायन की समस्या खत्म की जा सकती है. उन्होंने कहा मैं चाहता तो करोड़ों रुपये के पैकेज पर था, मैं अपनी जिंदगी खुशी खुशी काट लेता, लेकिन मेरे बाद मेरे बच्चों का भविष्य का क्या होगा?

'एजुकेशन सिस्टम सुधारने की जरूरत' : तीन वर्ष कि जगह ग्रेजुएट 5 वर्ष में यूनिवर्सिटी के द्वारा पूरा कराया जाता है. सेशन लेट होने की वजह से कमजोर तबके के लोगों के बच्चों की पढ़ाई या छूट जाती हैं या तो परेशान होकर वह छोड़ देते हैं. इन्हीं सभी मुद्दों को लेकर प्रकाशमणि तिवारी अब सिवान में लोकसभा से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. देखना है कि वो अपने मिशन में किस हद तक सफल होते हैं? और जनता कितना उन्हें सपोर्ट करती है.

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