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कांकेर की मोमोज सिस्टर्स, घर की हालत खराब हुई तो दो बहनों ने शुरू किया Momos बनाना, अब बंपर कमाई

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 10, 2024, 2:20 PM IST

Updated : Feb 15, 2024, 6:54 AM IST

Momos Sisters Of Kanker बस्तर की मोमोज सिस्टर्स की कहानी न सिर्फ चौंकाती है बल्कि नई पीढ़ी को एक नई दिशा, नई सोच, नया आइडिया और कुछ कर गुजरने का हौसला भी देती है. पखांजूर की दो बहनों की यह कहानी हौसलों की उड़ान की दास्तां है. Kanker Success Story

Kanker Success Story
कांकेर की मोमोज सिस्टर्स

कांकेर की मोमोज सिस्टर्स

कांकेर: मेरे सपनों की उड़ान आसमां तक है, मुझे बनानी अपनी पहचान आसमां तक है. मैं कैसे हार मान लूं और थक कर बैठ जाऊं, मेरे हौसलों की बुलंदी आसमां तक है. हौसलों की उड़ान की यह कहानी पखांजूर की प्रिया और खेमा साहू की है. दोनों सगी बहनें हैं. बस्तर संभाग के कांकेर जिले में यह दोनों मोमोज सिस्टर्स के नाम से फेमस हैं. दोनों बहनों ने न परिस्थितियों के आगे घुटने टेके, न समाज के तानों की परवाह की, परवाह की तो बस परिवार की. अब खूम कमाई हो रही है.

कुछ घंटों में बड़ी कमाई: बड़ी बहन खेमा 29 साल की है और छोटी प्रिया 20 साल की है. शाम को सिर्फ एक टाइम दोनों बहनें मोमोज का स्टॉल लगाते हैं. कुछ ही घंटों की कमाई में ठेले पर मोमोज खाने की भीड़ लग जाती है. महीनेभर में मोमोज सिस्टर्स 30 हजार रुपये कमा लेती है.

कैसे आया आइडिया: प्रिया कहती हैं, ''फायनेंशियल प्रॉब्लम चल रहा था. मेरी बड़ी बहन 10 साल से एक शॉप में काम कर घर परिवार चलाती थी. एक दिन एक हादसे में उसका पैर टूट गया. दीदी का काम पर जाना बंद हो गया. घर परिवार चलाने में दिक्कत होने लगी. मैं आईटीआई पास आउट हूं. जॉब ढूंढ रही थी. एक दिन मैंने यूट्यूब में देखा कि दो बहनें मिलकर मोमोज शॉप चला रहीं हैं. मैंने भी सोचा की कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता. बस यहीं से मोमोज ठेला खोलने का आइडिया आया.''

जब छोटी बहन प्रिया ने मोमोज स्टॉल खोलने की इच्छा जताई तो मुझे अच्छा लगा. मेरी सिस्टर छोटी उम्र में कुछ करने का सोच रही थी, घर के लिए कुछ करने की सोच रही थी तो मैंने भी उसका सपोर्ट किया.- खेमा साहू, मोमोज सिस्टर

सड़क पर ठेला लगाने पर कई लोगों ने कोसा: ऐसा नहीं है कि इनके काम में कोई अड़चन ना आई हो. सड़क पर लड़कियों के मोमोज के स्टॉल लगाने पर परिवार के ही कुछ लोग और पड़ोसियों ने समाज को गलत संदेश जाने के बारे में सीख देने लगे. लेकिन दोनों बहनों के सामने मां बाप का बुढ़ापा और घर की गरीबी नजर आई.

दुकान लगाने पर लोग बहुत कुछ बोलते हैं. उन्हें मैं ये कहना चाहती हूं कि लड़कियां लड़कों की बराबरी नहीं कर रही है. अगर आप इस तरह की दुकान लगाकर अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधार सकते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.हम दोनों बहनें अपने मम्मी पापा के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं, क्योंकि हमारा भाई नहीं है. हम चाहते हैं कि हम उनके बेटे बनकर घर की जिम्मेदारी निभाएं.- प्रिया साहू, मोमोज सिस्टर

महिलाओं बच्चियों को मिल रही प्रेरणा: माता पिता को आराम देकर घर चलाने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर लेने वाली बहनों की कई लोग तारीफ कर रहे हैं. पखांजूर के स्थानीय निवासी शंकर सरकार ने बताया ''देश को आत्मनिर्भर बनाने में महिलाओं बालिकाओं की बड़ी भूमिका है. पढ़ लिखकर ये बच्चियां अपना खुद का रोजगार पैदा कर बाकी महिलाओं और बालिकाओं को प्रेरणा दे रही है.''

बड़ा रेस्टोरेंट खोलने की इच्छा: घर से निकलकर दोनों बहनों ने सड़क पर स्टॉल लगा दिया. अब अच्छी कमाई भी कर रहीं हैं, लेकिन मोमोज सिस्टर्स ने अपना मंजिल यही खत्म नहीं की है. इनकी ख्वाहिश है कि ये एक बड़ा रेस्टोरेंट खोलें और आगे चलकर भी अपने माता पिता के लिए बहुत कुछ करें.

मोमोज: मोमोज नॉर्थ ईस्ट का प्रमुख व्यंजन है, लेकिन अब ये पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गया है. ये वेज और नॉनवेज दोनों तरीके से बनाते हैं. वेज मोमोज में पत्ता गोभी, गाजर, पनीर और सोयाबीन भरा जाता है. नॉनवेज में ज्यादातर चिकन मोमोज बनाए जाते हैं. मोमोज युवाओं में खासा लोकप्रिय है. कम कीमत में स्वादिष्ट मोमोज को लोग काफी पसंद करते हैं. Momos

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Last Updated :Feb 15, 2024, 6:54 AM IST
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