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मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की ऐसे करें आराधना, जानें व्रत का महत्व और शुभ मुहूर्त

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 18, 2024, 4:10 PM IST

Mohini Ekadashi 2024: रविवार यानी 19 मई को मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके देवताओं को अमृतपान कराया था. मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है. इस व्रत के शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजन विधि और व्रत पारण का समय जानने के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट

Mohini Ekadashi 2024
Mohini Ekadashi 2024

करनाल: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार काफी श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं. ऐसे में एकादशी का व्रत सनातन धर्म में अहम माना जाता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. जो इस बार 19 मई को होगी. माना जाता है कि जो भी जातक इस एकादशी का व्रत करता है, उसकी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है. व्रत करने वाले जातक की सभी प्रकार के मोह और बंधनों से मुक्ति मिलती है. तो आईए जानते हैं की एकादशी का शुभ मुहूर्त क्या है और एकादशी के दिन व्रत कैसे रखा जाता है और इसका महत्व क्या है.

एकादशी का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. सनातन धर्म में इस एकादशी का व्रत करने का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी का आरंभ 18 मई को सुबह 11:22 से शुरू होगा. जबकि इसका समापन 19 मई को दोपहर बाद 1:50 बजे होगा.

पारण का समय: सनातन धर्म के प्रत्येक व्रत में त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई को रखा जाएगा. पंडित ने जानकारी देते हुए बताया कि एकादशी व्रत के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 7:10 बजे शुरू होगा और दोपहर 12:18 तक रहेगा. पारण का समय अगले दिन 20 मई को सुबह 5:28 से शुरू होकर 8:12 तक रहेगा. इस समय जातक अपने व्रत का पालन कर सकते हैं.

मोहिनी एकादशी की कथा: धार्मिक कथाओं के अनुसार बताया जाता है कि समुद्र मंथन चल रहा था. उस समय समुद्र मंथन से अमृत से भरा हुआ एक कलश प्राप्त हुआ था. जिसको पाने के लिए देवताओं और दानवों में आपसी विवाद हो गया था. इस कथा में बताया गया है कि उस दिन वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी और भगवान विष्णु ने उस समय मोहिनी नामक स्त्री का रूप धारण किया था. भगवान विष्णु ने उस रूप में सभी राक्षसों को मोहित करने का काम किया था. जो समुद्र मंथन से अमृत का कलश प्राप्त हुआ था. उसको देवताओं को दे दिया था. जिसको पीने से सभी देवता अमर हो गए थे. माना जाता है कि तभी से वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

मोहिनी एकादशी व्रत की विधि: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि एकादशी वाले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर हो सके तो पवित्र नदी में स्नान करें. उसके बाद अपने घर में बने मंदिर की साफ सफाई करने के बाद भगवान कृष्ण भगवान विष्णु और लड्डू गोपाल की मूर्ति को स्थापित करें और जल अभिषेक करें. भगवान विष्णु को इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनको पीले रंग के चंदन का तिलक अवश्य करें. भगवान विष्णु के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उसके बाद उनको पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें.

ऐसे करें व्रत का पारण: जो भी जातक इस दिन एकादशी का व्रत रखना चाहता है. वह इस दौरान व्रत रखने का प्रण लें. भगवान विष्णु की पूजा करने के दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र का जाप अवश्य करें. पूजा के दौरान भगवान विष्णु को तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें और पूजा समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें. एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. अगर कोई निर्जला व्रत नहीं रख सकता तो वह फलाहार ले सकता है. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और प्रसाद का भोग लगाएं. अगले दिन पारण के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के उपरांत गरीब ब्राह्मण जरुरमंद और गाय को भोजन कराएं. इस दौरान उनको अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें और अपने व्रत का पारण कर ले.

एकादशी व्रत का महत्व: शास्त्रों में बताया गया है कि सभी एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है. लेकिन सभी एकादशियों में से मोहिनी एकादशी का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से इंसान के सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं और जन्म-जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है. माना जाता है कि जो भी जातक इस एकादशी का व्रत करता है. उसको हजार गाय के दान, तीर्थ यात्रा और यज्ञ करने जितना फल की प्राप्ति होती है.

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