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गढ़वा में लोन रिवकरी के लिए नाबालिग को बंधक बनाने का मामला, प्राथमिकी दर्ज, कंपनी ने आरोपों को बताया बेबुनियाद, एसपी को लिखा पत्र

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 9, 2024, 5:23 PM IST

Updated : Mar 9, 2024, 9:55 PM IST

Minor hostage Case in palamu. लोन नहीं चुकाने पर बच्चे को बंधक बनाने के मामले में नया खुलासा हुआ है. कंपनी ने इस मामले में कई सवाल उठाए हैं.

Minor hostage Case in palamu
Minor hostage Case in palamu

पलामू: गढ़वा के भवनाथपुर में कर्ज चुकता नहीं करने पर नाबालिग को बंधक बनाने से जुड़े मामले ने नया मोड़ ले लिया है. जिस महिला ने लोन रिकवरी के नाम पर अपने बच्चे को मैनेजर द्वारा बंधक बनाए जाने का आरोप लगाया था, उसमें चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. दरअसल, दलित महिला को सेटिन क्रेडिट केयर नेटवर्क लि. नामक माइक्रोफाइनांस कंपनी ने 17 दिसंबर 2022 को 40 हजार रु का लोन दिया था. महिला लोन भी चुका रही थी. फिलहाल उसपर करीब 18 हजार रु. का बकाया है.

लेकिन अचानक 8 मार्च को पूरे घटनाक्रम में नया मोड़ आ गया. आशा देवी ने भवनाथपुर थाना में लिखित शिकायत करते हुए आरोप लगाया है कि कंपनी के मैनेजर निगम यादव 20 फरवरी को गांव में आए और बैठकर बुलाकर उनसे बकाया राशि मुहैया कराने की मांग करने लगे. इसपर महिला ने लोन चुकाने में असमर्थता जाहिर की. महिला का आरोप है कि उसी रात निगम यादव फिर गांव में आए और उनके 13 साल के बेटे को अपने साथ लेकर दफ्तर चले गये. महिला का आरोप है कि बच्चे से घर का काम करवाया जाता था. साथ ही अलग अलग फोन से पैसे चुकाने की धमकी दी जाती थी. यह भी कहा कि पैसे नहीं दिए तो बच्चे की किडनी और आंख बेच देंगे. यहां तक की जान से मार देने की भी धमकी दी. एफआईआर में महिला ने यह भी लिखा है कि उसनें 6 मार्च को अपने रिश्तेदार अमरदेव राम से जब शिकायत की तो मैनेजर ने 10 दिन के भीतर पैसे लौटाने की शर्त पर बच्चे को लौटा दिया.

कंपनी ने उठाए कई सवाल

कंपनी के अधिकारी अश्विनी पारिख का कहना है कि अगर कंपनी के मैनेजर ने बच्चे को 20 फरवरी को ही अगवा कर लिया था तो महिला 8 मार्च को थाना क्यों पहुंची. उसी दिन थाने में शिकायत क्यों नहीं दर्ज करवाई. महिला ने खुद लिखा है कि एक रिश्तेदार के कहने पर मैनेजर ने बच्चे को छोड़ दिया. इसकी वजह से पूरा मामला संदेहास्पद बन गया है. इतने दिनों तक महिला कहां थी. बच्चे का एक वीडियो भी जारी किया गया है. उसमें बच्चा कह रहा है कि मैनेजर निगम यादव उसे अपने घर लेकर गये थे और घर का काम करवाते थे. काम से मना करने पर एक बार गला भी दबाया था.

कंपनी ने आरोपों को बताया बेबुनियाद

कंपनी के अधिकारी अश्विनी पारिख का दावा है कि लोन का पैसा न चुकाना पड़े, इसी को ध्यान में रखकर महिला ने मनगढ़ंत कहानी रची है. अगर मैनेजर ने बच्चे को 20 फरवरी से 6 मार्च तक अपने घर पर रखा तो महिला ने इसी दौरान उसके खिलाफ थाने में शिकायत क्यों नहीं की. कंपनी के अधिकारी अश्विनी पारिख का कहना है कि नगर उंटारी स्थित ब्रांच ऑफिस के कर्मियों के मुताबिक ब्रांच में कूक का काम करने वाली सुनीता देवी ने लोन लेने वाली महिला आशा देवी के लिए कुछ और पैसे मुहैया कराने का आग्रह किया था. क्योंकि कूक और लोन लेने वाली महिला रिश्तेदार हैं. इसी वजह से ब्रांच मैनेजर निगम यादव ने निजी तौर पर महिला को पेटीएम के जरिए 21 फरवरी 2024 को करीब 14 हजार रु. दे दिया.

अब सवाल है कि जब 20 फरवरी को ही मैनेजर ने बच्चे को अगवा कर लिया था तो फिर उसने आशा देवी के खाते में 21 फरवरी को करीब 14 हजार रु. क्यों ट्रांसफर किए. इस मामले को गंभीर बताते हुए कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने गढ़वा के एसपी को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. कंपनी का कहना है इंटरनल लेबल पर भी जांच की जा रही है. इस कांड की वजह से कंपनी की छवि धूमिल हुई है. अगर मैनेजर की कोई भी भूमिका सामने आती है तो उसके खिलाफ कंपनी कार्रवाई करेगी. लेकिन महिला ने अगर मनगढ़ंत कहानी रची है तो उसका भी खुलासा होना जरुरी है. फिलहाल भवनाथपुर थाना में कांड संख्या 28/24, दिनांक 8 मार्च को धारा 323, 344, 347, 365, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. गढ़वा एसपी के मुताबिक मामले की जांच की जा रही है.

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Last Updated : Mar 9, 2024, 9:55 PM IST
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