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Karwa Chauth 2024: करवा चौथ पर छलनी से क्यों देखते हैं चांद, क्यों रखते हैं छलनी पर दीया ? - KARWA CHAUTH 2024

करवा चौथ पर छलनी से चांद देखने के बाद पूजा की जाती है और उसके बाद ही व्रत खोलने की परंपरा है.

करवा चौथ 2024
करवा चौथ 2024 (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 15, 2024, 3:29 PM IST

Updated : Oct 20, 2024, 6:18 AM IST

कुल्लू: आज करवा चौथ का व्रत है. सुहागिन महिलाएं आज करवा चौथ का व्रत रखती हैं. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है. दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद रात को चंद्र देव का दर्शन करने के बाद महिलाओं द्वारा इस व्रत को खोलने की परंपरा है. इस दौरान व्रती छलनी पर दीया रखकर सुहागिन महिलाएं चंद्रमा का दर्शन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र कामना करती हैं. (Karwa Chauth)

छलनी से क्यों देखते हैं चांद ?

पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान आदि राज्यों में करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है. सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं और फिर रात को चांद दिखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. कई बॉलीवुड फिल्मों में भी करवा चौथ के त्योहार की इस परंपरा को दिखाया गया है. आइए जानतें हैं कि आखिर क्यों छलनी से ही चांद का दीदार किया जाता है ?

कुल्लू के आचार्य दीप कुमार कहते हैं, "पौराणिक कथा के अनुसार अपने रूप के अभिमान में चंद्रदेव ने भगवान गणेश की हंसी उड़ाई थी. जिसके बाद भगवान गणेश ने चंद्रमा को कलंकित होने का श्राप दिया था. जिसके चलते करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन सीधे तौर पर नहीं किए जाते हैं. इसके अलावा कहा गया है कि चंद्रमा को छलनी से देखने पर सुहागिन महिला को जीवन में कोई कलंक नहीं लगता और उसके पति का भी भाग्योदय होता है. पति की लंबी उम्र की मान्यता भी इसी से जुड़ी है. ऐसे में चंद्र देव के दर्शन के लिए महिलाएं छलनी का प्रयोग करती है और उसमें दीया भी रखती हैं."

ये भी पढ़ें: करवा चौथ पर न हो चांद का दीदार तो कैसे खोले व्रत ?

मान्यता है कि जिस दिन भगवान गणेश ने चंद्र देव को श्राप दिया उस दिन चतुर्थी थी. पुराणों में भी कथा है कि जब चंद्रमा को श्राप मिला था तो चंद्रमा ने भगवान शंकर से इसका उपाय मांगा था. तब भगवान शिव ने कहा था कि किसी भी मास की चतुर्थी के दिन जो भी व्यक्ति उसके दर्शन करेगा तो उसे कलंक का सामना करना पड़ेगा, लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन जो चंद्रमा के दर्शन करेगा. उसके सभी कष्ट खत्म हो जाएंगे. ऐसे में करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा को देखकर अपने व्रत का पारण करती हैं.

छलनी से क्यों देखते हैं चांद ?
छलनी से क्यों देखते हैं चांद ? (ETV Bharat GFX)

छलनी पर क्यों रखते हैं दीया ?

करवा चौथ पर छलनी से चांद देखने के साथ-साथ छलनी पर दीपक भी रखा जाता है. आचार्य दीप कुमार ने कहा, "मान्यता है कि छलनी पर दीया रखकर चंद्रमा के दर्शन करने से पति का भाग्य उदय होता है और उनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है. दीया जलाने का एक विशेष कारण ये भी है कि दीया अंधकार को दूर करता है और नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मकता भी लाता है. इसके साथ यह कलंक के दोष को खत्म करने का भी काम करता है. इसके लिए शास्त्रों में छलनी में दीया रखने का विधान है. साथ ही धर्म शास्त्रों में भी लिखा गया है कि अगर पूजा अनुष्ठान में कोई भूल होती है तो दीया जलाने से उस भूल से मुक्ति मिलती है और पूजा के दौरान किसी प्रकार का दोष भी नहीं लगता है".

ये भी पढ़ें: करवा चौथ पर भूलकर भी ना करें ये 10 काम, नहीं मिलेगा व्रत का फल

ये भी पढ़ें: करवा चौथ पर न हो चांद का दीदार तो कैसे खोले व्रत ?

कुल्लू: आज करवा चौथ का व्रत है. सुहागिन महिलाएं आज करवा चौथ का व्रत रखती हैं. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है. दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद रात को चंद्र देव का दर्शन करने के बाद महिलाओं द्वारा इस व्रत को खोलने की परंपरा है. इस दौरान व्रती छलनी पर दीया रखकर सुहागिन महिलाएं चंद्रमा का दर्शन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र कामना करती हैं. (Karwa Chauth)

छलनी से क्यों देखते हैं चांद ?

पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान आदि राज्यों में करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है. सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन भूखी-प्यासी रहती हैं और फिर रात को चांद दिखने के बाद ही व्रत खोलती हैं. कई बॉलीवुड फिल्मों में भी करवा चौथ के त्योहार की इस परंपरा को दिखाया गया है. आइए जानतें हैं कि आखिर क्यों छलनी से ही चांद का दीदार किया जाता है ?

कुल्लू के आचार्य दीप कुमार कहते हैं, "पौराणिक कथा के अनुसार अपने रूप के अभिमान में चंद्रदेव ने भगवान गणेश की हंसी उड़ाई थी. जिसके बाद भगवान गणेश ने चंद्रमा को कलंकित होने का श्राप दिया था. जिसके चलते करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन सीधे तौर पर नहीं किए जाते हैं. इसके अलावा कहा गया है कि चंद्रमा को छलनी से देखने पर सुहागिन महिला को जीवन में कोई कलंक नहीं लगता और उसके पति का भी भाग्योदय होता है. पति की लंबी उम्र की मान्यता भी इसी से जुड़ी है. ऐसे में चंद्र देव के दर्शन के लिए महिलाएं छलनी का प्रयोग करती है और उसमें दीया भी रखती हैं."

ये भी पढ़ें: करवा चौथ पर न हो चांद का दीदार तो कैसे खोले व्रत ?

मान्यता है कि जिस दिन भगवान गणेश ने चंद्र देव को श्राप दिया उस दिन चतुर्थी थी. पुराणों में भी कथा है कि जब चंद्रमा को श्राप मिला था तो चंद्रमा ने भगवान शंकर से इसका उपाय मांगा था. तब भगवान शिव ने कहा था कि किसी भी मास की चतुर्थी के दिन जो भी व्यक्ति उसके दर्शन करेगा तो उसे कलंक का सामना करना पड़ेगा, लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन जो चंद्रमा के दर्शन करेगा. उसके सभी कष्ट खत्म हो जाएंगे. ऐसे में करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा को देखकर अपने व्रत का पारण करती हैं.

छलनी से क्यों देखते हैं चांद ?
छलनी से क्यों देखते हैं चांद ? (ETV Bharat GFX)

छलनी पर क्यों रखते हैं दीया ?

करवा चौथ पर छलनी से चांद देखने के साथ-साथ छलनी पर दीपक भी रखा जाता है. आचार्य दीप कुमार ने कहा, "मान्यता है कि छलनी पर दीया रखकर चंद्रमा के दर्शन करने से पति का भाग्य उदय होता है और उनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है. दीया जलाने का एक विशेष कारण ये भी है कि दीया अंधकार को दूर करता है और नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मकता भी लाता है. इसके साथ यह कलंक के दोष को खत्म करने का भी काम करता है. इसके लिए शास्त्रों में छलनी में दीया रखने का विधान है. साथ ही धर्म शास्त्रों में भी लिखा गया है कि अगर पूजा अनुष्ठान में कोई भूल होती है तो दीया जलाने से उस भूल से मुक्ति मिलती है और पूजा के दौरान किसी प्रकार का दोष भी नहीं लगता है".

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Last Updated : Oct 20, 2024, 6:18 AM IST
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