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पूर्व IPS आनंद मिश्रा की एंट्री से रोचक हुई बक्सर की जंग, बढ़ी NDA और महागठबंधन की टेंशन - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 12, 2024, 6:14 AM IST

आनंद मिश्रा, पूर्व आईपीएस
आनंद मिश्रा, पूर्व आईपीएस

Buxar Lok Sabha Seat: बक्सर लोकसभा सीट की चुनावी जंग में इन दिनों एक नाम सुर्खियों में है और वो नाम है पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा का. आईपीएस ऑफिसर के रूप में अपनी प्रशासनिक क्षमता तक लोहा मनवा चुके आनंद मिश्रा अब सियासत के जरिए लोगों की सेवा करना चाहते हैं. आखिर आईपीएस की नौकरी छोड़कर सियासत में हाथ आजमाने के पीछे आनंद मिश्रा की क्या सोच है, चलिए उन्हीं से जानते हैं.

आनंद मिश्रा से खास बातचीत.

बक्सरः 2024 के लोकसभा चुनाव की जंग ने अब पूरी तरह जोर पकड़ लिया है और बयानों के तीखे बाण चलने लगे हैं. बात बक्सर लोकसभा सीट की करें तो यहां आखिरी चरण यानी 1जून को वोटिंग होनेवाली है. अपने-अपने समीकरणों को ध्यान में रखते हुए NDA और महागठबंधन ने अपने-अपने उम्मीदवार भी तय कर दिए हैं,लेकिन पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा की एंट्री ने बक्सर में होनेवाले बैटल के तमाम समीकरण बिगाड़कर रख दिए हैं.

"अब वापसी संभव नहीं": आनंद मिश्रा ने बीजेपी से टिकट मिलने की आस में वीआरएस लिया था. लेकिन उन्हें बीजेपी का टिकट नहीं मिल पाया. ऐसे में आनंद मिश्रा ने अब निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही चुनावी जंग में कूदने का एलान कर दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में आनंद मिश्रा ने बताया कि "कुछ लोगों के कारण बीजेपी की सदस्यता नहीं मिल पाई, लेकिन अब बक्सर से वापसी संभव नहीं है."

'शाहाबाद की मिट्टी वापस लौटना नहीं सिखाती': आनंद मिश्रा ने कहा कि "शाहाबाद की मिट्टी वापस लौटना नहीं सिखाती.अब बक्सर के लोगों के साथ ही रहना है बक्सर के लोगों के लिए काम करना है. अगर किसी पूर्व अधिकारी के साथ ऐसा हुआ है तो उसे जेनरालाइज नहीं मानना चाहिए. हम बक्सर में विज़न के साथ आएं हैं और सियासत के जरिये इलाके की सेवा का संकल्प लिया है."

आनंद मिश्रा, पूर्व आईपीएस

'लॉ एंड आर्डर में बक्सर को नंबर वन बनाऊंगा': आनंद मिश्रा का कहना है कि अगर बक्सर की जनता उन्हें आशीर्वाद देती है तो दावा करता हूंं कि इस इलाके को कानून-व्यवस्था के पैमाने पर पूरे देश में नंबर वन बनाऊंगा. उन्होंने दावा किया कि युवाओं के साथ-साथ उन्हें हर जाति, हर वर्ग और हर समुदाय का पूरा समर्थन मिल रहा है.

'सेवा के लिए सियासत में आया हूं:' पुलिस अधिकारी के रूप में सुर्खियां बटोर चुके आनंद मिश्रा का कहना है कि "राजनीति एक ऐसा बड़ा प्लेटफॉर्म है जिसके जरिये जनता की सेवा अच्छी तरह से की जा सकती है. इसलिए ही मैंने पुलिस अधिकारी की नौकरी छोड़कर सियासत में एंट्री ली है. भले ही मुझे किसी पार्टी का सिंबल नहीं मिला है लेकिन बक्सर की जनता का आशीर्वाद मुझे जरूर मिलेगा."

कौन हैं आनंद मिश्रा ?: 2011 बैच के आईपीएस रहे आनंद मिश्रा मूल रूप से भोजपुर जिले के शाहपुर थाना इलाके के प्रसौंडा ग्राम के रहनेवाले हैं.हालांकि उनका पूरा परिवार कोलकाता में रहता है और आनंद मिश्रा की पढ़ाई-लिखाई भी कोलकाता में ही हुई थी. सिर्फ 22 साल की उम्र में आईपीएस अधिकारी बन कर सुर्खियां बटोरनेवाले आनंद मिश्रा की गिनती तेजतर्रार आईपीएस अधिकारी के रूप में होती है.

वीआरएस लेकर सियासत में एंट्रीः बक्सर की सियासत में दस्तक देने से पहले आनंद मिश्रा असम के लखीमपुर में एसपी के रूप में तैनात थे और बीजेपी से टिकट मिलने की आस में उन्होंने जनवरी 2024 में वीआरएस ले लिया. हालांकि उन्हें निराशा हाथ लगी और बीजेपी से टिकट नहीं मिला, ऐसे में आनंद मिश्रा बक्सर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकने के लिए तैयार हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX.

'आनंद'मय हुआ बक्सरः बक्सर लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाले सुदूर ग्रामीण इलाकों की सड़कों से लेकर, शहर के चौक चौराहो पर हो रही आनंद मिश्रा जनसभाओं ने पूरे बक्सर को आनन्दमय कर दिया है.सोशल मीडिया से लेकर जमीन पर बढ़ती लोकप्रियता ने सभी पार्टी के उम्मीदवारों को सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया है.

ब्राह्मण बहुल सीट है बक्सरः बिहार के उन गिने-चुने लोकसभा सीटों में बक्सर शामिल है जहां सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटर्स हैं. इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 4 लाख से भी ज्यादा है. इसके बाद यादव वोटरों की संख्या 3.5 लाख के करीब है वहीं राजपूत मतदाताओं की संख्या 3 लाख है जबकि भूमिहार मतदाता भी करीब 2.5 लाख हैं. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी 1.5 लाख के करीब है. इसके अलावा यहां पर कुर्मी, कुशवाहा, वैश्य, दलित और अन्य जातियां भी बड़ी तादाद में हैं.

बक्सर में हो सकता है चतुष्कोणीय मुकाबलाः बक्सर सीट पर इस बार बीजेपी और आरजेडी ने अपने-अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं. बीजेपी ने जहां अश्विनी चौबे का टिकट काटकर मिथिलेश तिवारी को मैदान में उतार दिया है तो आरजेडी ने जगदानंद सिंह की जगह उनके बेटे सुधाकर सिंह को मैदान में उतारा है. अश्विनी चौबे का टिकट कटने से उनके समर्थक नाराज दिख रहे हैं.

आनंद मिश्रा और ददन पहलवान ने बढ़ाई मुश्किलेंः इसके अलावा पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा और इलाके में सियासी रसूख रखनेवाले ददन पहलवान भी इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. जिसके बाद NDA और महागठबंधन में खलबली है. आनंद मिश्रा जहां NDA के वोट बैंक में बड़ी सेध लगा सकते हैं वहीं ददन पहलवान यादव वोट बैंक को महागठबंधन से झटक सकते हैं.

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