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BSP से आए नेताओं को सपा में मिली खूब तवज्जो, अखिलेश दिए 30 फीसदी टिकट - lok sabha election 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 30, 2024, 5:52 PM IST

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इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा से आए नेताओं को खूब तवज्जो दी है. कई बड़े नेताओं को उनके क्षेत्र में पकड़ और पहुंच के चलते टिकट दिया है.

इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा ने बसपा से आए नेताओं को काफी तवज्जो दी है.

लखनऊ: इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा से आए नेताओं को खूब तवज्जो दी है. कई बड़े नेताओं को उनके क्षेत्र में पकड़ और पहुंच के चलते टिकट दिया है. अखिलेश ने ऐसा करके जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है. देखा जाए तो बसपा से सपा में शामिल हुए लालजी वर्मा, अफजाल अंसारी, रामप्रसाद चौधरी, बाबू सिंह कुशवाहा, नारायण दास अहिरवार, संगीता वर्मा, राम शिरोमणि वर्मा जैसे नेताओं को अखिलेश ने प्रत्याशी बनाया है. स्वामी प्रसाद मौर्य को भी अखिलेश यादव ने बड़ा पद दिया था, लेकिन बयानबाजी औऱ अंतर्विरोध के चलते उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी.

यूपी की 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही सपा

समाजवादी पार्टी यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है. सपा ने 62 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. एक सीट भदोही की TMC को दी गई है. इस चुनाव में समाजवादी ने जो टिकट दिए हैं, उनमें करीब 30 फीसदी के आसपास बसपा से आए नेताओं को दिए हैं. तमाम नेताओं को कई सीटों पर टिकट दिया गया है. प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने तक 58 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है. उनमें से एक दर्जन से अधिक प्रत्याशी बहुजन समाज पार्टी से समाजवादी पार्टी में आए हुए हैं। बसपा से सपा में आए इन नेताओं में से ज्यादातर गैर यादव एवं अन्य पिछड़ा वर्ग समाज से हैं, जिन्हें जातीय समीकरण के आधार सपा चुनाव लड़ा रही है। इन नेताओं की इनके अपने क्षेत्रों में अच्छी पकड़ और पहुंच मानी जाती है।

इन नेताओं को सपा ने यहां से दिया टिकट

1. बाबू सिंह कुशवाहा- समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा को जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. बाबू सिंह कुशवाहा मायावती सरकार में मंत्री रहे हैं और काफी करीबी नेताओं में शुमार किए जाते रहे हैं. हालांकि बाद में NHRM घोटाले में आरोपी होने के कारण बसपा ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. कई साल तक बाबू सिंह जेल में बंद रहे. बाबू सिंह ने 2016 में जन अधिकार पार्टी बनाई. जेएपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम और अन्य छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर 40 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हो पाई. अब बाबू सिंह कुशवाहा सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

2. लालजी वर्मा- समाजवादी पार्टी ने बसपा से समाजवादी पार्टी में आने वाले लालजी वर्मा को अंबेडकर नगर से लोकसभा का टिकट दिया है. मायावती सरकार में वह बसपा के बड़े नेताओं में गिने जाते थे, लेकिन 2021 में पंचायत चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बसपा से उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. कुर्मी समुदाय से आने वाले लालजी वर्मा नवंबर 2021 में सपा में शामिल हो गए थे और विधानसभा चुनाव 2022 में कटेहरी विधानसभा सीट से सपा के चुनाव चिन्ह विधायक निर्वाचित हुए और अब लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

अफजाल अंसारी- बसपा से सांसद रहे माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अफजाल पहली बार 2004 में सपा प्रत्याशी के रूप में गाजीपुर से सांसद चुने गए थे. पांच साल बाद वह बसपा में शामिल हो गए. उन्होंने बसपा उम्मीदवार के तौर पर गाजीपुर सीट से चुनाव लड़ा और हार गए. बाद में वह 2019 में बसपा के टिकट पर गाजीपुर सीट से सांसद निर्वाचित हुए. माफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी सीपीआई के टिकट पर चार बार विधायक भी रहे हैं. कुछ समय पहले वह बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए और गाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

आरके चौधरी- बसपा के संस्थापक में एक रहे आरके चौधरी सपा के टिकट पर मोहनलालगंज से चुनाव लड़ रहे हैं. कांशीराम के विश्वासपात्र रहे आरके चौधरी चार बार के विधायक रहे हैं. 1993 से 1995 तक वह मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सपा, बसपा सरकार में मंत्री भी थे. दलित समाज से आने वाले चौधरी ने 2001 में बसपा छोड़ दी और राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी बनाई. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वह बसपा में लौट आए और मोहनलालगंज से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के कौशल किशोर से हार गए. इसके बाद 2017 में वह सपा में शामिल हो गए और इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

राम प्रसाद चौधरी - बसपा में कभी कद्दावर नेताओं में शुमार रहे रामप्रसाद चौधरी बस्ती सीट से चुनाव मैदान में हैं. कप्तानगंज से पांच बार विधायक और 1997 में मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राम प्रसाद चौधरी पहली बार 1999 में जनता दल के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए थे. कुर्मी समाज के बड़े नेताओं में रामप्रसाद चौधरी जाने जाते हैं. बसपा ने उन्हें 2019 में निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद वह 2020 में सपा में शामिल हो गए और उस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

नारायण दास अहिरवार- सपा ने नारायण दास अहिरवार को जालौन से चुनाव मैदान में उतारा है. बसपा संस्थापक रहे कांशीराम के करीबी रहे नारायण दास बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. 2007 में मायावती के मंत्रिमंडल में मंत्री रहे नारायण दास को 2010 में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. वह 2022 में सपा में शामिल हो गए और इस बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

राजा राम पाल- राजाराम पाल अकबरपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं. राजा राम 2004 में बसपा सांसद चुने गए, लेकिन एक साल बाद पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए. पाल समाज से आने वाले राजा राम ने 2009 का लोकसभा चुनाव अकबरपुर से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीता था. 2014 और 2019 में भी इस सीट से चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं पाए. राजा राम पाल 2021 में सपा में शामिल हो गए थे और अखिलेश यादव ने उन्हें इस बार लोकसभा का टिकट दिया है.

रमेश गौतम- समाजवादी पार्टी ने रमेश गौतम को बहराइच लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. दलित समाज से आने वाले रमेश गौतम 1989 में बसपा में शामिल हुए थे. उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में मनकापुर से चुनाव लड़ा था पर जीत नहीं सके और बाद में 2020 में सपा में शामिल हुए थे. सपा ने उस बार उन्हें लोकसभा का टिकट दिया है.

राम शिरोमणि वर्मा- समाजवादी पार्टी ने रामशिरोमणि वर्मा को श्रावस्ती से लोकसभा का टिकट दिया है. कुर्मी समाज से आने वाले राम शिरोमणि यहां से मौजूदा सांसद हैं और हाल ही में सपा में शामिल हुए हैं. 2019 में जब सपा और बसपा गठबंधन में थे तो राम शिरोमणि वर्मा ने बसपा प्रत्याशी के रूप में यह सीट जीती थी। अब एक बार फिर जनता की अदालत में सपा के टिकट पर आशीर्वाद मांग रहे हैं।

भीमा शंकर 'कुशल'- पूर्वांचल में बड़े ब्राह्मण परिवार से आने वाले भीमाशंकर तिवारी सपा के टिकट पर डुमरियागंज सीट चुनाव लड़ रहे हैं. बसपा उम्मीदवार के रूप में उन्होंने 2008 के उपचुनाव में और फिर 2009 में संत कबीर नगर लोकसभा सीट जीती, लेकिन 2014 और 2019 में वह भाजपा के जगदंबिका पाल से हार गए. भीमा शंकर 2021 में सपा में शामिल हुए थे और इस बार वह सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.

रमा शंकर राजभर- समाजवादी पार्टी ने रमा शंकर राजभर को सलेमपुर से चुनाव मैदान में उतारा है. 2009 में रमा शंकर राजभर बसपा के टिकट पर सलेमपुर से सांसद निर्वाचित हुए थे. ओबीसी राजभर समाज से आने वाले रमा शंकर को 2014 में टिकट नहीं दिया गया और पार्टी से निकाल दिया गया. बाद में 2017 में वह सपा में शामिल हुए और अखिलेश यादव ने इस बार उन्हें चुनाव लड़ाया है.

सुनीता वर्मा- समाजवादी पार्टी ने सुनीता वर्मा को मेरठ से टिकट दिया है. सुनीता जाटव बिरादरी से आती हैं. बसपा ने नवंबर 2019 में सुनीता वर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. जिसके बाद वह जनवरी 2021 में सपा में शामिल हुईं और अबकी बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं.

नीरज मौर्य- समाजवादी पार्टी ने नीरज मौर्य को आंवला लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. वह जलालाबाद से दो बार बसपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं. 2017 में नीरज मौर्य बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. उसके बाद 2022 में वह सपा में आ गए और अब लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.

अमरनाथ मौर्य- बसपा में सक्रिय रहे अमरनाथ मौर्य को समाजवादी पार्टी ने फूलपुर से चुनाव मैदान में उतारा है. अमरनाथ 1990 के दशक से एक सक्रिय बसपा नेता थे. उन्होंने 2002 में डॉन से नेता बने अतीक अहमद के खिलाफ इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं पाए. अमरनाथ मौर्य अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं और समाज में अच्छी पकड़ और पहुंच मानी जाती है. 2016 में वह बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और फिर 2022 में सपा में चले गए. अखिलेश यादव ने इस बार इन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है.

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