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जानें संविधान के किस नियम के तहत दिल्ली में जेल से केजरीवाल सरकार करेगी काम, कब लग सकता है राष्ट्रपति शासन - President rule in Delhi

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 29, 2024, 6:48 PM IST

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Can President rule be imposed in Delhi: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और उनके इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद क्या दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है.

नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में डाली गई जनहित याचिका खारिज हो गई है. तो क्या अब दिल्ली में केजरीवाल सरकार जेल से काम करेगी? यह एक बड़ा सवाल है. इस पर आम आदमी पार्टी पहले से कहती रही है कि अरविंद केजरीवाल जेल जाते हैं तो जेल से ही सरकार चलेगी. अब कोर्ट ने भी इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया है.

ऐसे में क्या है नियम, इस पर संविधान विशेषज्ञ और दिल्ली के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रहे उमेश सैगल ने कहना है कि संवैधानिक तौर पर इसमें कोई दिक्कत नहीं है. परेशानी प्रायोगिक तौर पर सरकार चलाने में होगी. अब यह देखने वाली बात है कि यह सब कैसे होगा.

सीएम को केवल तभी इस्तीफा देना होगा, जब उनके पास बहुमत न हो

लोक प्रतिनिधित्व एक्ट के मुताबिक, किसी अपराध में दो साल से अधिक की सजा पाने वाले व्यक्ति को इस्तीफा देना होगा. जीएनसीटीडी एक्ट के तहत सीएम को केवल तभी इस्तीफा देना होगा, जब उनके पास बहुमत न हो. दिल्ली की परिस्थिति में यह नियम लागू नहीं होता है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति शासन तभी लागू होता है, जब कोई और विकल्प नहीं होता. धारा 356 सुप्रीम कोर्ट में कई बार लाई गई, लेकिन कोर्ट ने कहा कि जब कोई भी विकल्प न बचा हो, तभी इसे लागू किया जा सकता है. ऐसे में देश का कानून बहुत स्पष्ट है कि किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन लगेगा. आम आदमी पार्टी ने भी इस पर सवाल उठाए हैं.

अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह बीते दिनों बीजेपी द्वारा दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात कही जा रही है, इस पर आम आदमी पार्टी की नेता और कैबिनेट मंत्री आतिशी ने देश के कानून यानी जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और जीएनसीटीडी अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी संवैधानिक प्रावधान 'जेल से शासन' चलाने को नहीं रोकता है.

संघ शासित प्रदेश या राज्य में कब लगाया जा सकता है राष्ट्रपति शासन

संविधान विशेषज्ञ के अनुसार इस संबंध में देश का कानून बहुत स्पष्ट है. राष्ट्रपति शासन तभी लगाया जा सकता है, जब कोई अन्य विकल्प न हो. सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुच्छेद 356 के मुद्दे पर कई बार फैसला सुनाया है कि राष्ट्रपति शासन तभी लागू किया जा सकता है, जब उस राज्य के शासन के लिए कोई अन्य विकल्प न बचा हो.

देश का कानून क्या कहता है?

हिरासत में रहते हुए मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने पर कोई रोक नहीं है. किसी मौजूदा मुख्यमंत्री के हिरासत में रहते हुए उस पद पर बने रहने या गिरफ्तारी के दौरान आधिकारिक जिम्मेदारियां निभाने के खिलाफ कोई स्पष्ट कानूनी रोक नहीं है. दोष साबित होने तक निर्दोष होने का सिद्धांत कहता है कि केवल गिरफ्तारी किसी संवैधानिक पदाधिकारी को हटाने का आधार नहीं हो सकती. अयोग्यता केवल दोषी साबित होने पर ही होती है.

क्या है लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम?

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 - धारा 8(3) के मुताबिक एक विधायक या जनप्रतिनिधि किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया और दो साल या उससे अधिक की सजा हो गई तो वह सजा की तारीख से अयोग्य हो जाएगा. लेकिन यह नियम उस व्यक्ति पर लागू नहीं होता जो केवल आरोपी है और जिसे कोर्ट ने दोषी नहीं ठहराया गया है. शासन के वेस्टमिंस्टर मॉडल के अनुसार, दिल्ली के लोगों ने दिल्ली विधानसभा के सदस्यों को चुना है और मुख्यमंत्री को इन विधायकों का प्रचंड बहुमत प्राप्त है जो उन्हें सरकार चलाने का संवैधानिक और नैतिक अधिकार देता है.

चुनी हुई सरकार को निलंबित करने के लिए क्या है अनुच्छेद 239AA का निलंबन?

संविधान के अनुच्छेद 239एबी के तहत, संपूर्ण अनुच्छेद 239एए को निलंबित नहीं किया जा सकता है. अनुच्छेद 239एबी के तहत राष्ट्रपति अनुच्छेद 239एए के किसी भी प्रावधान या उस अनुच्छेद के अनुसरण में बनाए गए किसी भी कानून के सभी या किसी भी प्रावधान के संचालन को निलंबित कर सकते हैं, जैसे कि जीएनसीटीडी अधिनियम. इस प्रकार जीएनसीटीडी अधिनियम के सभी प्रावधानों को कुछ परिस्थितियों में निलंबित किया जा सकता है, लेकिन अनुच्छेद 239एए के सभी प्रावधानों को नहीं.

दूसरा राष्ट्रपति को अनुच्छेद 239 और अनुच्छेद 239एए के प्रावधानों के अनुसार ऐसे आकस्मिक और परिणाम स्वरूप प्रावधान करने का अधिकार है, जो उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासन के लिए जरूरी या उपयुक्त लगे. इसलिए अनुच्छेद 239एबी के तहत शक्ति के प्रयोग का उद्देश्य अनुच्छेद 239 और 239एए के अनुसार जीएनसीटीडी का प्रशासन है, जिसे प्राप्त नहीं किया जा सकता है. अगर अनुच्छेद 239एए को पूरी तरह निलंबित कर दिया जाए. अनुच्छेद 239एबी के अंतर्गत शर्तें पूरी नहीं होतीं. वहीं अनुच्छेद 239एबी के लिए उपराज्यपाल से राष्ट्रपति तक सिफारिश की आवश्यकता नहीं है. राष्ट्रपति "किसी अन्य तरह से या उपराज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त होने पर" शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं.

क्या भारत के संविधान के तहत कोई रोक नहीं है?

अनुच्छेद 164(4) में कहा गया है कि अगर कोई मंत्री लगातार छह महीने तक राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं है तो वह मंत्री नहीं रहेगा. जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 43(2) में जीएनसीटीडी के लिए भी एक समान प्रावधान किया गया है. जीएनसीटीडी अधिनियम, 1991 की धारा 15(1) विधानसभा का सदस्य होने के लिए अयोग्यता निर्धारित करती है. लेकिन ये अयोग्यताएं तब लागू होती हैं, जब सदस्य सरकार के तहत लाभ का पद रखता है या संसदीय कानून के तहत अयोग्य घोषित किया जाता है.

अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन के महत्वपूर्ण पहलू क्या है?

अनुच्छेद 356 को लेकर मौजूदा हालात इस तरह की स्थितियों से नहीं मेल खाते हैं. राष्ट्रपति शासन लागू करने या विपक्ष के पास पर्याप्त संख्या होने के बावजूद सरकार को बर्खास्त करने की स्थितियों तक ही सीमित है. पिछले फैसले बताते हैं कि सामान्य सिद्धांत के रूप में राष्ट्रपति शासन लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के अभाव में लागू किया जाता है. लेकिन वर्तमान में ऐसी स्थिति नहीं है, क्योंकि एक चुनी हुई सरकार लगातार कार्यरत है.

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