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साल के अंत तक दिल्ली-पलवल रेल रूट पर 'कवच' पायलट प्रोजेक्ट का काम होगा पूरा, ट्रेन यात्रा होगी सुरक्षित

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 10, 2024, 4:26 PM IST

Kavach pilot project: भारत में रेलवे को सुरक्षित बनाने के लिए लगातार नई-नई तकनीकों को शामिल किया जा रहा है. इसी कड़ी में दिल्ली से पलवल रूट पर 'कवच' सिस्टम इंस्टॉल किया जा रहा है. इस पायलट प्रोजेक्ट के साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है.

kavach pilot project
kavach pilot project
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी

नई दिल्ली: उत्तर रेलवे के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली से पलवल रूट पर 'कवच' सिस्टम लगाया जा रहा है. 50 किलोमीटर के इस रूट पर 27 किलोमीटर ट्रैक पर कवच लगाया जा चुका है और साल के अंत तक यह पूरे ट्रैक पर लग जाएगा. उत्तर रेलवे ने 28 ट्रेनों के इंजन में यह सिस्टम लगाया है. यह ऐसी तकनीक है, जिससे दो ट्रेनें आपस में नहीं टकराएंगी. साथ ही कवच सिस्टम से पता चल जाएगा कि आने वाला सिग्नल ग्रीन है या रेड. इससे कोहरे के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित नहीं होगा और ट्रेनें निर्धारित समय से चल सकेंगी.

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी का कहना है कि कवच सिस्टम से ट्रेनों का सुरक्षित संचालन होगा. साथ ही ट्रेन के इंजन में लगा यह सिस्टम आने वाले सिग्नल के ग्रीन या रेड होने के बारे में बताएगा. यदि सिग्नल रेड है तो ट्रेन में खुद ब्रेक लग जाएगा. वहीं यदि ट्रेन के सामने कोई दूसरी ट्रेन आ जाती है तो भी ट्रेन खुद ही ब्रेक लग जाएगा. बता दें कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने के लिए काम किया जा रहा है. इन दोनों रूट पर भी कवच सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे सुरक्षित तरीके से ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाया जा सके.

क्या है कवच: दरअसल यह सिस्टम देश में सुरक्षित ट्रेन संचालन के लिए ट्रेन के इंजन, रेलवे ट्रैक और सिग्नल में एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम लगाया जा रहा है. इसे कवच नाम दिया गया है. इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा विकसित किया गया है. साउथ सेंट्रल रेलवे में इसका सफल ट्रायल भी किया जा चुका है. ट्रायल के दौरान एक ट्रेन इंजन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे थे और सामने से आ रही दूसरी ट्रेन में तत्कालीन रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष बीके त्रिपाठी बैठे थे. ट्रायल के दौरान देखा गया था कि दोनों ट्रेन जैसे-जैसे एक दूसरे के पास आ रही थी, कवच सिस्टम लोको पायलट को अलार्म देने लगा था. वहीं 200 मीटर की दूरी पर दोनों ट्रेनों में खुद ब्रेक लग गया था.

यह भी पढ़ें-दिल्ली राजकोट के बीच चलेगी स्पेशल ट्रेन, यात्रियों को होगी सहूलियत

एक किलोमीटर में कवच लगाने में इतना खर्च: रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, कवच सिस्टम को ट्रेन के इंजन के साथ रेलवे ट्रैक और सिग्नल में भी लगाना होता है, जिसकी लागत काफी अधिक है. एक किलोमीटर में कवच सिस्टम लगाने की लागत करीब दो करोड़ रुपये आती है. इस कवच में यूरोपियन ट्रेन नियंत्रण प्रणाली को भी शामिल किया गया है. कवच अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी के माध्यम से काम करता है.

यह भी पढ़ें-यात्रीगण ध्‍यान दें- शुक्रवार-शनिवार के बीच बुक और कैंसिल नहीं कर पाएंगे ट्रेन टिकट, जानें क्‍या है अपडेट

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी

नई दिल्ली: उत्तर रेलवे के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली से पलवल रूट पर 'कवच' सिस्टम लगाया जा रहा है. 50 किलोमीटर के इस रूट पर 27 किलोमीटर ट्रैक पर कवच लगाया जा चुका है और साल के अंत तक यह पूरे ट्रैक पर लग जाएगा. उत्तर रेलवे ने 28 ट्रेनों के इंजन में यह सिस्टम लगाया है. यह ऐसी तकनीक है, जिससे दो ट्रेनें आपस में नहीं टकराएंगी. साथ ही कवच सिस्टम से पता चल जाएगा कि आने वाला सिग्नल ग्रीन है या रेड. इससे कोहरे के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित नहीं होगा और ट्रेनें निर्धारित समय से चल सकेंगी.

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी का कहना है कि कवच सिस्टम से ट्रेनों का सुरक्षित संचालन होगा. साथ ही ट्रेन के इंजन में लगा यह सिस्टम आने वाले सिग्नल के ग्रीन या रेड होने के बारे में बताएगा. यदि सिग्नल रेड है तो ट्रेन में खुद ब्रेक लग जाएगा. वहीं यदि ट्रेन के सामने कोई दूसरी ट्रेन आ जाती है तो भी ट्रेन खुद ही ब्रेक लग जाएगा. बता दें कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा करने के लिए काम किया जा रहा है. इन दोनों रूट पर भी कवच सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे सुरक्षित तरीके से ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाया जा सके.

क्या है कवच: दरअसल यह सिस्टम देश में सुरक्षित ट्रेन संचालन के लिए ट्रेन के इंजन, रेलवे ट्रैक और सिग्नल में एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम लगाया जा रहा है. इसे कवच नाम दिया गया है. इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन द्वारा विकसित किया गया है. साउथ सेंट्रल रेलवे में इसका सफल ट्रायल भी किया जा चुका है. ट्रायल के दौरान एक ट्रेन इंजन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे थे और सामने से आ रही दूसरी ट्रेन में तत्कालीन रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष बीके त्रिपाठी बैठे थे. ट्रायल के दौरान देखा गया था कि दोनों ट्रेन जैसे-जैसे एक दूसरे के पास आ रही थी, कवच सिस्टम लोको पायलट को अलार्म देने लगा था. वहीं 200 मीटर की दूरी पर दोनों ट्रेनों में खुद ब्रेक लग गया था.

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एक किलोमीटर में कवच लगाने में इतना खर्च: रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, कवच सिस्टम को ट्रेन के इंजन के साथ रेलवे ट्रैक और सिग्नल में भी लगाना होता है, जिसकी लागत काफी अधिक है. एक किलोमीटर में कवच सिस्टम लगाने की लागत करीब दो करोड़ रुपये आती है. इस कवच में यूरोपियन ट्रेन नियंत्रण प्रणाली को भी शामिल किया गया है. कवच अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी के माध्यम से काम करता है.

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