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अकबरपुर लोकसभा सीट; पढ़िए किस नेता ने किस चुनाव में मारी बाजी, किसका रहा पलड़ा भारी - Akbarpur Lok Sabha seat

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 12, 2024, 1:28 PM IST

कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने फिर से देवेंद्र सिंह भोले पर भरोसा जताया है. वहीं सपा से राजाराम पाल भी चुनाव मैदान में है. यह सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी.

अकबरपुर लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा.
अकबरपुर लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. (Photo credit; ETV Bharat)

कानपुर देहात : अकबरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले अब हैट्रिक लगाने के लिए जोर लगा रहे हैं. मोदी की गारंटी, क्षेत्र में हुए विकास कार्य और कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर वे जनता के बीच जा रहे हैं. इंडी गठबंधन की प्रमुख सहयोगी पार्टी सपा के उम्मीदवार राजाराम पाल भी बेरोजगारी, महंगाई और आरक्षण के मुद्दे पर ताल ठोंक रहे हैं. इस लड़ाई को बसपा के राजेश द्विवेदी त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में हैं.

बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राहुल गांधी चुनावी सभाओं के जरिए अपने- अपने उम्मीदवार के पक्ष में समीकरण साधने का प्रयास कर चुके हैं. पीएम नरेंद्र मोदी भी चार मई को माहौल बना चुके हैं. कानपुर देहात की अकबरपुर लोकसभा संसदीय सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी. पहले चुनाव में पूर्व बसपा सांसद राजाराम पाल कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे थे. यहां से जीत हासिल की थी. इस चुनाव में बसपा के अनिल शुक्ल वारसी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी.

इस चुनाव में भाजपा तीसरे और सपा चौथे नंबर पर थी. 2014 में जब चुनाव हुआ तो भाजपा ने पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह भोले पर दांव लगाया और यह सटीक बैठा. भोले न सिर्फ 2.79 लाख वोटों के भारी अंतर से जीते बल्कि इस चुनाव में राजाराम पाल चौथे, सपा के लाल सिंह तोमर तीसरे स्थान पर रहे. बसपा के अनिल शुक्ल वारसी को फिर दूसरा स्थान मिला. 2019 में भी भोले ने जीत दर्ज की. इस चुनाव में अनिल शुक्ल वारसी भाजपा में आ गए थे. बसपा-सपा गठबंधन की संयुक्त उम्मीदवार निशा सचान को दूसरा स्थान मिला.

इस सीट पर सपा से राजाराम पाल उम्मीदवार हैं.
इस सीट पर सपा से राजाराम पाल उम्मीदवार हैं. (Photo credit; ETV Bharat)

राजाराम पाल इस चुनाव में भी तीसरे स्थान पर रहे थे. राजाराम पाल पहली बार बसपा के टिकट पर 2004 में सांसद बने थे. तब यह सीट बिल्हौर लोकसभा के नाम से जानी जाती थी. हालांकि ऑपरेशन दुर्योधन में नाम आने के बाद उनकी सदस्यता खत्म हो गई थी. इसके बाद 2007 में हुए उप चुनाव में बसपा के टिकट पर तब अनिल शुक्ल वारसी जीते थे. हालांकि 2008 में जब परिसीमन हुआ तो यह सीट खत्म हो गई और 2009 में अकबरपुर के नाम से अस्तित्व में आई.

बसपा ने इस सीट पर ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतारा है. इसे सपा अपने लिए मुफीद मान रही है. इस क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या निर्णायक मानी जाती है. कल्याणपुर और अकबरपुर रनिया विधानसभा क्षेत्र में इस जाति के मतदाता प्रभावशाली हैं. ऐसे में सपा को लगता है कि बसपा के परंपरागत मतदाताओं के साथ ही ब्राह्मण मतों के राजेश द्विवेदी के साथ जाने से इस लड़ाई में उसे फायदा होगा और वह देवेंद्र सिंह भोले की हैट्रिक रोकने में कामयाब होगी.

अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा अकबरपुर रनिया, कल्याणपुर, बिठूर और महाराजपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. घाटमपुर सीट पर भाजपा की सहयोगी अपना दल एस की विधायक हैं. महाराजपुर सीट से विधायक सतीश महाना विधानसभा अध्यक्ष भी हैं. ऐसे में भोले की तीसरी जीत हो यह उनके लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल है. सांसद देवेंद्र सिह भोले और बिठूर के विधायक अभिजीत सिंह सांगा के बीच 36 का आंकड़ा है.

दोनों के बीच का तनाव किसी से नहीं छिपा है. चाहे वे क्षेत्र के कार्यकर्ता हों या फिर पार्टी नेतृत्व इस बात से सभी वाकिफ हैं. सांगा लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. जबकि उन्होंने कई बार अकबरपुर रनिया और महाराजपुर, बिठूर के साथ ही घाटमपुर में भी शक्ति प्रदर्शन कर चुके थे. गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों में सुलह कराई. अब सांगा भी चुनाव में जुट गए हैं, अब देखने वाली बात ये होगी कि कौन बाजी मरेगा 2024 में.

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