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JNU में हार के बाद कैसा है ABVP का हाल, चेहरे पर निराशा या नई रणनीति की तैयारी ? - ABVP reaction After JNUSU Results

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 25, 2024, 2:20 PM IST

JNU में हार के बाद कैसा है ABVP का हाल
JNU में हार के बाद कैसा है ABVP का हाल

ABVP After JNUSU Results: जेएनयू छात्र संघ चुनावों में लेफ्ट ने जीत हासिल की, जबकि ABVP को चारों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा. ईटीवी भारत की टीम ने ABVP के सदस्यों से खास बातचीत की. इस बातचीत में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने साफ कर दिया है कि जीत भले ही लेफ्ट को मिली हो लेकिन छात्रों की लड़ाई विपक्ष में बैठकर लड़ी जायेगी.

ABVP लीडर्स से खास बातचीत

नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू) के छात्रसंघ चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट ने सभी चारों पद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पर जीत दर्ज की है. वहीं, इस चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) सभी पदों पर दूसरे नंबर पर रहा है. इससे पहले चुनाव में संयुक्त सचिव के पद पर एबीवीपी के उम्मीदवार सौरभ शर्मा की जीत हुई थी. इस बार एबीवीपी के हाथ से वो पद भी चला गया. ईटीवी भारत ने एबीवीपी की राष्ट्रीय मंत्री शिवांगी अग्रवाल से बातचीत की उन्होंने बताया कि पिछली बार के मुकाबले इस बार एबीवीपी का वोट प्रतिशत बढ़ा है. वहीं, संयुक्त सचिव पद के एबीवीपी से उम्मीदवार रहे अर्जुन आनंद ने लेफ्ट पर ओछी व राष्ट्रविरोधी राजनीति करने का आरोप लगाया.

ABVP को इस बार मिले 73 फीसदी वोट- शिवांगी अग्रवाल

ABVP की राष्ट्रीय मंत्री शिवांगी अग्रवाल ने कहा कि जेएनयू के विकास, महिला सुरक्षा और सिक्योरिटी समेत अन्य मुद्दों को लेकर एबीवीपी छात्रसंघ चुनाव में उतरी थी. मतगणना के दौरान जब चुनाव के नतीजे आ रहे थे तो एबीवीपी लीड कर रहा था. उन्होंने कहा कि पिछली बार की तुलना में इस बार वोट पर्सेंटेज बढ़ा है. पिछली बार जहां ABVP को सिर्फ 43 प्रतिशत वोट मिले थे. इस बार 73 प्रतिशत अधिक वोट एबीवीपी को मिले हैं. हर पद पर एबीवीपी दूसरे स्थान पर रही. एबीवीपी ने सबसे अधिक काउंसलर की सीट जीती है.

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विपक्ष में रहते हुए भी छात्र हितों के लिए लड़ते रहेंगे

ABVP से जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में संयुक्त सचिव पद के उम्मीदवार रहे अर्जुन आनंद ने कहा कि कि लेफ्ट की ओछी और राष्ट्रविरोधी राजनीति की वजह से पिछले पांच वर्षों में न सिर्फ जेएनयू का नाम खराब हुआ है बल्कि छात्र हित भी पिसा गया है. इसलिए इस चुनाव में हमारा मुद्दा जेएनयू के छात्रों के जो इंट्रेस्ट हैं उनको सर्वोपरि रखा. हमने किसी को हराने के लिए चुनाव नहीं लड़ा बल्कि हमने छात्र हित में चुनाव लड़ा था. 2015 में एबीवीपी की संयुक्त सचिव पद पर एक सीट आई थी. इसके बाद से सारा लेफ्ट मिलकर चुनाव लड़ने लगा. हम हमेशा विपक्ष में रहते हुए भी छात्र हितों के लिए लड़ते रहे हैं. हमारा विजन क्लियर है. हम कोई छात्र या राष्ट्र विरोधी नहीं हैं. हमारा संघर्ष समाधान के लिए होता है.

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