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मजदूर के ब्रेन डेड होने के बाद परिजनों ने किया अंगदान का फैसला, डॉक्टरों ने 'वॉक ऑफ ऑनर' देकर किया सम्मानित

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 7, 2024, 10:53 AM IST

Jharkhand labourers organs donated
Jharkhand labourers organs donated

Jharkhand laborer donated organs. झारखंड के एक श्रमिक ने अपनी मौत के बाद दो लोगों को नई जिंदगी दे दी. गोवा में सड़क दुर्घटना में श्रमिक बुरी तरह घायल हो गया था. डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. जिसके बाद उसके परिजनों से संपर्क किया गया. फिर परिजनों ने अंग दान करने का फैसला लिया.

रांची: झारखंड के बरहेट निवासी रायला सोरेन नामक व्यक्ति के ब्रेन डेड होने के बाद उनके परिजनों ने गोवा में रहने वाले दो लोगों को अंगदान की अनुमति देकर उन्हें नयी जिंदगी दी है. दरअसल, रायला सोरेन गोवा में टैक्सी ड्राइवर के तौर पर काम करते थे. कुछ दिन पहले सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद उन्हें इलाज के लिए गोवा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. कुछ दिनों तक इलाज के बाद उन्हें गोवा मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, इंटेंसिव केयर में भर्ती कराया गया. जहां आंतरिक चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञों के एक पैनल ने रायला सोरेन को ब्रेन डेड घोषित कर दिया.

रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राजीव रंजन ने जानकारी देते हुए बताया कि ब्रेन डेड घोषित करने के बाद गोवा मेडिकल कॉलेज के SOTTO (राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन) ने झारखंड RIMS SOTTO से संपर्क किया और रायला सोरेन के परिवार से बात की और अंग दान की अपील की. गोवा के झारखंड स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन की अपील के बाद झारखंड स्टेट ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन ने सबसे पहले रायला सोरेन के परिवार से संपर्क किया और उनसे उनके अंग दान करने को कहा.

परिवार को समझाने में हुई दिक्कत: सुदूर इलाके में घर होने की वजह से रिम्स SOTTO की टीम को परिवार वालों को समझाने में काफी दिक्कत हुई. लेकिन एक स्थानीय अनुवादक की मदद से परिवार वाले रायला सोरेन के अंगों को दान करने के लिए सहमत हो गए. परिजनों के तैयार होने के बाद सोट्टो झारखंड ने परिजनों को गोवा मेडिकल कॉलेज ले जाने में मदद की. परिवार से अनुमति मिलने के बाद जीएमसी डॉक्टर ने रायला सोरेन की किडनी निकालकर दो लोगों में ट्रांसप्लांट कर उन्हें नई जिंदगी दी.

वॉक ऑफ ऑनर से किया गया सम्मानित: रायला सोरेन के परिवार के इस महत्वपूर्ण और नेक फैसले को देखते हुए गोवा मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के डॉक्टरों और अधिकारियों ने रायला सोरेन के पार्थिव शरीर और उनके परिवार को "वॉक ऑफ ऑनर" देकर सम्मानित किया. आमतौर पर मरीज के ब्रेन डेड होने के बाद भी कई पढ़े-लिखे परिवार अंगदान के लिए राजी नहीं होते, लेकिन रायला सोरेन के परिवार ने अंगदान का फैसला लेकर समाज में एक मिसाल कायम किया है.

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