पटना: एनडीए गठबंधन में एक भी सीट नहीं मिलने से नाराज RLJP अध्यक्ष पशुपति पारस ने मंगलवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इस दौरान पशुपति पारस ने एनडीए पर नाइंसाफी करने का आरोप लगाया. पारस के बयान पर सियासत शुरू हो गई है और एनडीए के नेता कटाक्ष कर रहे हैं. बीजेपी और जेडीयू के नेता पशुपति पारस पर हमलावर हैं.
पारस पर JDU का हमला: पशुपति पारस के इस्तीफे पर जदयू की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि पशुपति पारस अपना भविष्य खुद तय करेंगे. उनके बारे में हम लोग क्या बोलेंगे. उमेश कुशवाहा ने कहा कि एनडीए के घटक दलों ने परामर्श करके ही निर्णय लिया है और इसकी घोषणा कर दी है.
"एनडीए के घटक दल सभी एकजुट हैं और कोई असर होने वाला नहीं है. इंडिया अलाइंस का बिहार में कोई असर नहीं होगा. कांग्रेस और राजद दोनों परिवार से शुरू होते हैं और परिवार में ही समाप्त हो जाते हैं. इनसे क्या मुकाबला होगा."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष जदयू
'सम्मान का कर्ज चुकाएं'-JDU: वहीं जदयू मुख्य प्रवक्ता नीरज ने कहा कि एनडीए में सीटों का बंटवारा घटक दलों से बातचीत कर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने किया है. माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लंबे अरसे तक पशुपति पारस केंद्रीय मंत्री रहे हैं, अब उन्होंने इस्तीफा दिया है. यह उनका फैसला है.
"उनकी पार्टी का फैसला है लेकिन हमारी उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्री परिषद में आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने जो सम्मान दिया है, उस सम्मान का राजनीतिक कर्ज के रूप में निश्चित रूप से पारस जी को कर्ज अदायगी करनी चाहिए. जिसकी अपेक्षा बिहार की जनता भी करेगी."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू
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