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विधायक सरयू राय का सरकार से आग्रह, विधानसभा बजट सत्र की अवधि बढ़ाकर 20 कार्य दिवस किया जाए

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 11, 2024, 9:36 PM IST

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जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने झारखंड विधानसभा का बजट सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की

Demand to extension of Jharkhand Assembly budget session. जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि यह बजट सत्र कम से कम 18 से 20 दिन का होना चाहिए. इस सत्र में माननीय सदस्यों के समक्ष वाद-विवाद के दौरान गत सभी वर्षों का लेखाजोखा सामने आना चाहिए.

जमशेदपुरः झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की अवधि बढ़ाने का आग्रह जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने सरकार से की है. विधानसभा का बजट सत्र 2024-25 की अवधि बढ़ाकर होली के पहले तक यानी 22 मार्च तक करें. बता दें कि वित्तीय वर्ष 24-25 का बजट सत्र वर्तमान पंचम विधानसभा का अंतिम बजट सत्र होगा. अंतिम बजट सत्र में सदस्यों के समक्ष वाद-विवाद के दौरान गत सभी वर्षों का लेखाजोखा सामने आना चाहिए. इसलिए आवश्यक है कि यह बजट सत्र कम से कम 18 से 20 दिन का होना चाहिए.

विधायक सरयू राय ने कहा कि मुझे सूचना मिली है कि सरकार ने विधानसभा का बजट सत्र (2024-25) आहूत करने के लिए राज्यपाल के समक्ष जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें केवल 8 दिन का बजट सत्र होगा. 8 दिन में से एक दिन शोक प्रस्ताव के रूप में, एक दिन सदन के समक्ष बजट रखने के दिन में और कम से कम एक दिन 24-25 का बजट उपस्थापन एवं तृतीय अनुपूरक (23-24) का बजट पर वाद-विवाद में लग जाएगा. कुल मिलाकर बजट पर वाद-विवाद के लिए मात्र 5 दिन ही बच जाएंगे. इसमें से एक दिन की कार्यवाही का बड़ा हिस्सा सदस्यों के निजी संकल्पों पर बहस में चला जाएगा. इस हिसाब से सरकार का और पंचम विधानसभा का अंतिम बजट सत्र में राज्य के वित्तीय स्थिति के विभिन्न पहलूओं पर चर्चा करने के लिए काफी कम समय बचता है.

आगे सरयू राय ने कहा कि हम पंचम झारखंड विधानसभा के विभिन्न बजट सत्रों की कार्यावधि को देखे तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में 18 दिन, 2021-22 में 16 दिन, 2022-23 में 17 दिन और 2023-24 में 17 दिन का बजट सत्र हुआ. यानी वर्ष 2021-22 में सबसे कम 16 दिन का और 2020-21 में सबसे अधिक 18 दिनों का बजट सत्र हुआ. इस दृष्टिकोण से भी कम से कम 18 से 20 दिनों का बजट सत्र इस वर्ष अवश्य होना चाहिए.

वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट सत्र आहूत करने के विषय में विधायक सरयू राय ने दूरभाष पर राज्य के संसदीय कार्य मंत्री, राज्यपाल के प्रधान सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव से वार्ता किया और उन्हें अपनी भावना से अवगत कराया. मुझे लगता है कि जिस तरह से भारत सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट सत्र में देश के सामने अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र रखा है, उसी प्रकार झारखंड सरकार को भी अपने कार्यकाल के अंतिम बजट सत्र में राज्य की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र सदन के समक्ष रखना चाहिए. ज्ञात है कि जब यह सरकारी बनी थी, तब वर्ष 2020-21 में इस सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र जारी किया था. व्यवहारिक होगा कि वर्ष 2024-25 के बजट सत्र में भी राज्य की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र रखा जाए.

विधायक सरयू राय ने कहा कि सोमवार को राज्य सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक भी होने वाली है और कल राज्यपाल भी रांची में रहेंगे. ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि बजट सत्र की अवधि बढ़ाकर होली के पूर्व के कार्य दिवस तक ले जाएं. इस बजट सत्र का आंरभ 23 फरवरी 2024 को हो रहा है तो इस सत्र का अवसान 22 मार्च 2024 को हो तब विभिन्न विभागों के बजटों की बारिकियों पर चर्चा करने के लिए सदन को 20 कार्य दिवस का समय मिलेगा. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व वर्ष 2024-25 का बजट सत्र 09 फरवरी 2024 से आरंभ होकर 29 फरवरी तक चलने वाली थी, जिसमें कुल 14 कार्य दिवस घोषित थे. हम सभी अवगत हैं कि राज्य सरकार का बजट केवल राज्य की वित्त का लेखाजोखा का पुलिंदा ही नहीं होता है बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था, सामाजिक व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था का आईना भी होता है.

विधायक सरयू राय ने आगे कहा कि मेरा राज्य सरकार से अनुरोध है कि सोमवार की मंत्रिपरिषद की बैठक में बजट की अवधि 22 मार्च तक बढ़ाये अगर यह महसूस हो कि राज्य की वर्तमान सरकार अभी-अभी बनी है. इसके कैबिनेट का विस्तार भी अभी तक नहीं हुआ है. ऐसी स्थिति में अगर राज्य सरकार संपूर्ण वार्षिक बजट पर चर्चा करने की स्थिति में नहीं है तो सरकार को सदन के समक्ष वर्ष 2024-25 का बजट रखकर इस पर तीन माह का लेखा अनुदान ले लेना चाहिए. जिससे जून माह तक सरकार का काम चलाने के लिए निधि की व्यवस्था विधानसभा करे और जून महिने में सरकार पूरा बजट पारित कराये. इस वक्त तक लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया भी संपूर्ण हो जाएगी और केंद्र सरकार से राज्य को विभिन्न मदों में मिलने वाली सहायता अनुदान, ऋण तथा बाजार ऋण की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगा. ऐसा होने से आगामी नवंबर माह में विधानसभा का चुनाव घोषित होने के पूर्व राज्य की अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ता का ठोस आकलन भी हो जाएगा. किसी भी सूरत में मात्र 8 दिनों की अवधि में संपूर्ण बजट पर वाद-विवाद करना संभव नहीं हो पाएगा. अधिकांश विभागों के बजट गिलोटिन (बहस बंद) हो जाएंगे और सदन का बजट व्यय स्वीकृत करने हेतु चर्चा के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा.

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