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राजनांदगांव में जल जीवन मिशन पर सवाल, एक साल बाद भी बोरी गांव को नहीं मिला पानी

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 23, 2024, 7:56 PM IST

Jal Jeevan Mission राजनांदगांव में जल जीवन मिशन का बुरा हाल है. कई जगहों पर पानी की टंकियां सफेद हाथी साबित हो रही हैं.इन्हें भारी भरकम खर्च करके बनाया तो गया है.लेकिन इनके अंदर पानी की एक बूंद भी नहीं है.ऐसे में इस योजना को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

Jal Jeevan Mission
जल जीवन मिशन पर सवाल
राजनांदगांव में जल जीवन मिशन फेल

राजनांदगांव :केंद्र सरकार ने रिमोट एरिया में साफ पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन योजना लाई थी.लेकिन छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन का बुरा हाल है.क्योंकि कई जगहों पर इस योजना को पूरा करने के नाम पर खानापूर्ति की गई है.पानी टंकियों का निर्माण तो कर दिया गया.लेकिन इन टंकियों में पानी पहुंचाने के लिए व्यवस्था नहीं की गई.जिसकी वजह से टंकी के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को पानी आज तक नसीब नहीं हुआ.राजनांदगांव में भी ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है.

एक साल बाद भी नहीं मिला पानी : विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की उदासीनता के कारण बोरी गांव के लोगों को जल जीवन मिशन के तहत पानी नसीब नहीं हुआ. बोरी गांव में जल जीवन मिशन के तहत लगभग 1 करोड़ 6 लाख रुपए की लागत से टंकी का निर्माण करवाया गया था.लेकिन टंकी बनने के एक साल बाद भी गांव में पानी नलों के माध्यम से नहीं पहुंचा.जिसमें अधिकारियों की उदासीनता साफ दिख रही है.

पुरानी टंकी से ग्रामीणों का हो रहा है गुजारा : राजनांदगांव शहर के करीबी गांव बोरी में 1 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर टंकी का निर्माण करवाया गया था.ताकि लोगों को साफ पानी मिले.लेकिन आज तक गांव में साफ पानी नहीं आया.लोग पानी के दूसरे स्त्रोतों पर निर्भर हैं.इस गांव में पीएचई विभाग ने खानापूर्ति करने के लिए टंकी का निर्माण तो करवा दिया.लेकिन घरों में पाइप लाइन पहुंचाने का काम नहीं करवाया.जिससे अब ये टंकी किसी काम की नहीं है.

शिकायत के बाद भी अधिकारी मौन : ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच,सचिव और विभाग से कई बार इसकी शिकायत की गई. लेकिन जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी.जिसके कारण 3 हजार की आबादी वाला बोरी गांव पीने के पानी के लिए तरस रहा है.

'' टंकी का निर्माण हुए एक साल हो गया. लेकिन उसमें अभी तक पानी नहीं आ रहा है.एक पुरानी टंकी है उसी से गुजारा हो रहा है.उस टंकी से भी कभी पानी आता है कभी नहीं आता है. जिसके कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.'' ग्रामीण

जल जीवन मिशन के तहत हर घर साफ पानी के उद्देश्य को लेकर केंद्र सरकार ने योजना लाई थी.लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण योजना राजनांदगांव जिले में फेल साबित हो रही है.कहीं टंकी बन चुकी है तो कनेक्शन नहीं पहुंचा.तो कहीं बिना टंकी बनाए पहले ही कनेक्शन कर दिए गए हैं.ऐसे में ये योजना सिर्फ खानापूर्ति बनते जा रही है.

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राजनांदगांव में जल जीवन मिशन फेल

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एक साल बाद भी नहीं मिला पानी : विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की उदासीनता के कारण बोरी गांव के लोगों को जल जीवन मिशन के तहत पानी नसीब नहीं हुआ. बोरी गांव में जल जीवन मिशन के तहत लगभग 1 करोड़ 6 लाख रुपए की लागत से टंकी का निर्माण करवाया गया था.लेकिन टंकी बनने के एक साल बाद भी गांव में पानी नलों के माध्यम से नहीं पहुंचा.जिसमें अधिकारियों की उदासीनता साफ दिख रही है.

पुरानी टंकी से ग्रामीणों का हो रहा है गुजारा : राजनांदगांव शहर के करीबी गांव बोरी में 1 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर टंकी का निर्माण करवाया गया था.ताकि लोगों को साफ पानी मिले.लेकिन आज तक गांव में साफ पानी नहीं आया.लोग पानी के दूसरे स्त्रोतों पर निर्भर हैं.इस गांव में पीएचई विभाग ने खानापूर्ति करने के लिए टंकी का निर्माण तो करवा दिया.लेकिन घरों में पाइप लाइन पहुंचाने का काम नहीं करवाया.जिससे अब ये टंकी किसी काम की नहीं है.

शिकायत के बाद भी अधिकारी मौन : ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच,सचिव और विभाग से कई बार इसकी शिकायत की गई. लेकिन जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी.जिसके कारण 3 हजार की आबादी वाला बोरी गांव पीने के पानी के लिए तरस रहा है.

'' टंकी का निर्माण हुए एक साल हो गया. लेकिन उसमें अभी तक पानी नहीं आ रहा है.एक पुरानी टंकी है उसी से गुजारा हो रहा है.उस टंकी से भी कभी पानी आता है कभी नहीं आता है. जिसके कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.'' ग्रामीण

जल जीवन मिशन के तहत हर घर साफ पानी के उद्देश्य को लेकर केंद्र सरकार ने योजना लाई थी.लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण योजना राजनांदगांव जिले में फेल साबित हो रही है.कहीं टंकी बन चुकी है तो कनेक्शन नहीं पहुंचा.तो कहीं बिना टंकी बनाए पहले ही कनेक्शन कर दिए गए हैं.ऐसे में ये योजना सिर्फ खानापूर्ति बनते जा रही है.

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