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नकली कैंसर दवा मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उनका बैकग्राउंड आया सामने, कई राज्यों में फैलाया है जाल

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 13, 2024, 8:22 PM IST

Fake cancer medicine case in Delhi: दिल्ली में कैंसर की नकली दवा के सिंडिकेट का भंडाफोड़ होने के मामले में कई नई जानकारियां निकलकर सामने आई हैं. इसमें गिरोह के तार कई राज्यों से जुड़े होने के साथ आरोपियों के बारे में कई जानकारी सामने आई है.

Fake cancer medicine
Fake cancer medicine

नई दिल्ली: दिल्ली क्राइम ब्रांच द्वारा कैंसर की नकली दवाओं की आपूर्ति करने वाले सिंडिकेट का सोमवार को पर्दाफाश किया गया था. अब इस मामले में अन्य जानकारी सामने आई है. दिल्ली क्राइम ब्रांच की स्पेशल सीपी शालिनी सिंह और डीसीपी क्राइम ब्रांच अमित गोयल ने बताया कि इस सिंडीकेट के तार कई राज्यों तक फैले हैं. वहीं, सिंडिकेट का एक सदस्य बिहार में छिपा है, जिसके लिए एक टीम को बिहार भेजा गया है. उसे पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच की टीम बिहार में लगातार छापेमारी कर रही है.

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपी कैंसर अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाली कीमोथेरेपी में इस्तेमाल इंजेक्शन की खाली शीशियों में एंटी फंगल दवा भरकर दिल्ली, हरियाणा व बिहार सहित अन्य राज्यों के दवा विक्रेताओं या कैंसर के मरीजों से सीधे संपर्क कर उन्हें सस्ते दामों में बेच दिया करते थे. यह लोग करीब पिछले दो साल से इस धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे थे. इनकी निशानदेही पर चार ब्रांड के 140 भरे हुए इंजेक्शन बरामद किए गए, जिनकी कीमत करीब 1.75 करोड़ रुपये है.

साथ ही दो भारतीय ब्रांड की करीब चार करोड़ रुपये की कैंसर की नकली दवा बरामद की गई है. आरोपी खास तौर पर नेपाल व अफ्रीकी देशों से कैंसर के इलाज के लिए दिल्ली आने वाले मरीजों को शिकार बनाते थे. ये नकली दवाएं दिल्ली के मोती नगर स्थित एक फ्लैट में बनाई जाती थी.

साथ ही आरोपियों के बारे में भी खुलासा किया गया है. पता चला है कि सिंडीकेट का मास्टरमाइंड विफल यूपी के बागपत जिले का रहने वाला है और पहले थोक बाजार से स्थानीय मेडिकल स्टोर्स तक दवाओं की आपूर्ति करता था. वहीं, आरोपी सूरज विफल का सहयोगी है और वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल का निवासी है. वह विफल के फ्लैट में केयर टेकर और हेल्पर के रूप में काम करता था. उसके अलावा आरोपी नीरज भी बागपत का ही रहने वाला है और वह 2006 से 2022 तक दिल्ली और गुरुग्राम के प्रतिष्ठित अस्पतालों के ऑन्कोलॉजी विभाग में प्रबंधक के रूप में काम कर चुका है.

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आरोपी परवेज पूर्वी दिल्ली के प्रतिष्ठित कैंसर अस्पताल का फार्मासिस्ट रह चुका है और फिलहाल डॉक्टर फार्मेसी नाम से एक दवा की दुकान भी चलाता है. इसी दुकान में आरोपी कोमल तिवारी उसका पार्टनर है और वह इंजेक्शन की मांग पर विफिल जैन और दो अन्य ग्राहकों को इन इंजेक्शनों की खाली और भरी हुई शीशियों की आपूर्ति करता था. वह दिल्ली के प्रतिष्ठित कैंसर अस्पताल की साइटोटॉक्सिक मिश्रण इकाई में कार्यरत था. इसके अलावा आरोपी अभिनय कोहली पेशे से फार्मासिस्ट और कैंसर अस्पताल की साइटोटॉक्सिक एडमिक्सचर यूनिट में कार्यरत था, जबकि आरोपी तुषार चौहान दिल्ली में लैब टेकनिशियन था और भागीरथ प्लेस में नकली दवा की आपूर्ति करने का काम कर रहा था.

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