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कहीं आपके बच्चे को भी तो नहीं मोबाइल की लत, संस्कारों से दूर कर रहा सोशल मीडिया एडिक्शन, करें यह उपाय

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 2, 2024, 6:59 AM IST

children social media addiction
children social media addiction

आजकल हर बच्चा मोबाइल का इस्तेमाल करने लगा है. इसके दुष्परिणाम (children social media addiction) भी सामने आने लगे हैं. बाल आयोग इसे लेकर स्कूलों में बच्चों की काउंसलिंग करा रहा है. जिससे उनके मनोभाव को समझा जा सके.

लखनऊ : सोशल मीडिया का इस्तेमाल हर उम्र के लोग कर रहे हैं. छोटे बच्चे भी अब इसकी जद में आ गए हैं. इसकी वजह से वे पारिवारिक संस्कारों से दूर हो रहे हैं. सही और गलत का ज्ञान न होने के कारण वे कई बार चौंकाने वाली घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं. हाल ही में बाल आयोग में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. प्रयागराज के कैंट क्षेत्र में छोटे भाई ने बड़े भाई की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने मोबाइल का इस्तेमाल करने से मना किया था. ऐसी घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए बाल आयोग ने एक मार्च से स्कूलों में अभियान की शुरुआत की है. बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें जागरूक किया जा रहा है.

गंभीर अपराध कर रहे बच्चे : उत्तर प्रदेश बाल आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि यह बहुत ही गंभीर विषय है कि वर्तमान में बच्चे मोबाइल फोन की एडिक्शन में बहुत ही गंभीर अपराध कर दे रहे हैं. मोबाइल में हर तरह की जानकारी है. हर तरह की वीडियो उपलब्ध हैं. इंटरनेट के कारण हर चीज बहुत ही आसानी से मोबाइल फोन में हो जाती है.

फिल्मों में हिंसा का पड़ रहा असर : बच्चे फिल्मों में मारपीट देखते हैं. किडनैपिंग देखते हैं, यही सब चीजें उनके दिमाग में बैठ जाती हैं. कभी-कभी यह बच्चे ऐसे अपराध कर बैठते हैं कि इसकी सजा के लिए उन्हें बाल कारावास में भी भेजा जाता है. सुचिता चतुर्वेदी ने कहा कि प्रयागराज के कैंट क्षेत्र में एक मामला हुआ. 16 साल के छोटे भाई ने 21 साल के बड़े भाई की हत्या कर दी.

कमरे में बंद करने से छोटे भाई की मौत : वजह ये थी कि छोटे भाई को ऐसा लगता था कि मम्मी-पापा उससे अधिक प्यार न करके बड़े भाई से अधिक प्यार करते हैं. इसी तरह हमीरपुर से भी एक मामला सामने आया. इसमें एक भाई ने अपने छोटे भाई को कमरे में बंद कर दिया. माता-पिता किसी फैमिली फंक्शन में गए थे. जब तक लौटे तो देखा कि छोटे लड़के की दम घुटने से मौत हो चुकी थी.

children social media addiction
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मन पर पड़ रहा मोबाइल का असर : उत्तर प्रदेश बाल आयोग की सदस्य ने बताया कि सोचने वाली बात यह है कि यह बच्चे इतनी सी उम्र में हत्या करने के बारें में कैसे सोच सकते हैं. मोबाइल में जो चीज देख रहे हैं वह उनके दिमाग में बहुत अच्छी तरह से बैठ रहा है. बाल सुधार गृह में बहुत से ऐसे बच्चे आते हैं, जिन्हें सरकार द्वारा किसी अपराध के बाद बाल सुधार गृह में भेजा जाता है.

दोनों बच्चों को समान प्यार करें माता-पिता : उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है कि बच्चों की पैरेंटिंग बहुत अच्छी होनी चाहिए. माता-पिता को अपने दोनों ही बच्चों के साथ बिल्कुल भी भेदभाव नहीं करना चाहिए. वर्तमान की यही आवश्यकता है. अगर आपके दो बच्चे हैं तो आप एक ही समय पर दोनों को नया कपड़ा दिलाए. एक ही समय पर दोनों को प्यार करें.

अगर बच्चा गलती कर रहा है तो उसे मारने या चिल्लाने की बजाय उसे प्यार से बैठकर समझाएं कि वह दोबारा वह गलती न करें. आजकल बच्चे बहुत एग्रेसिव हो रहे हैं. उनका इगो बहुत जल्दी हर्ट हो जाता है इसलिए अब पेरेंटिंग में बदलाव की आवश्यकता है. अब वह जमाना गया जब माता-पिता आंख दिखाते थे तो बच्चा सहम जाता था. अब बच्चों को प्यार से समझाने बुझाने की जरूरत है.

children social media addiction
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बाल आयोग ने की मुहिम की शुरुआत : उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने अपने स्तर से एक मुहिम की शुरुआत की है. बाल आयोग के सदस्य व मनोरोग विशेषज्ञ की टीम स्कूलों में जाकर बच्चों की काउंसलिंग कर रही है. काउंसलिंग के दौरान बच्चों से बात की जा रही है. उस दौरान बच्चे अपने मन की बात काउंसलर से बता रहे हैं.

माता-पिता भी मोबाइल में व्यस्त : बलरामपुर अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ का कहना है कि बच्चे बहुत एग्रेसिव हो रहे हैं. माता-पिता डांट दे रहे हैं तो वह आत्महत्या जैसे कदम भी उठा रहे हैं. मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से बच्चे संस्कारों से दूर हो रहे हैं या फिर माता-पिता भी मोबाइल फोन में या अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त है कि बच्चों पर अधिक ध्यान नहीं दे रहे हैं.

पैरेंटिंग में लाना होगा बदलाव : उन्होंने कहा कि दिक्कत यह नहीं है कि बच्चे बिगड़ रहे हैं. दिक्कत तो यह है की माता-पिता पहले की तरह आज भी बच्चों को पालना चाह रहे हैं. अब बच्चों को पालने का तरीका बदलना होगा. माता-पिता को थोड़ा एडवांस होना होगा. बच्चों की मोबाइल फोन की लत सुधारने के लिए माता-पिता को खुद भी मोबाइल फोन का त्याग करना होगा.

अधिक से अधिक समय बच्चों के साथ बिताना होगा. उनके साथ खेलें, उनसे बातें करें. उनके मन की बात को जानने की कोशिश करें. उनके साथ फ्रेंडली रहे. इसके अलावा बच्चे का होमवर्क कराएं. उसे मोबाइल फोन न देकर अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें. जब माता-पिता स्वयं किताबें पढ़ेंगे तो उनके बच्चे भी माता-पिता की तरह किताबें पढ़ना पसंद करेंगे.

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