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सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन पर झारखंड ने की अगुआई, रांची में 14-15 फरवरी को देश का पहला इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 13, 2024, 2:03 PM IST

International conference in Ranchi. झारखंड के कई जिलों में कोल माइनिंग का कार्य होता है. ऐसे में उन जिलों में कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है. इससे निपटने के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है. जिसके तहत रांची में दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा.

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International Conference In Ranchi

सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन पर रांची में होने वाले इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस की जानकारी देते चेयरमैन एके रस्तोगी.

रांची: झारखंड जैसे राज्य में कार्बन उत्सर्जन को कम कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए एक वृहद कार्य योजना बनाई जा रही है. इसके तहत आगामी 14-15 फरवरी को रांची में अंतरराष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. झारखंड देश का पहला राज्य है जहां पर्यावरण को बचाने के लिए सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन पर इतनी गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है. विजन डॉक्यूमेंट के बाद यह दो दिवसीय सम्मेलन कई मायनों में अहम होगा. सेंटर फॉर इंवायरमेंट एंड इनर्जी डेवलपमेंट यानी सीड और यूएनडीपी के सहयोग से झारखंड सरकार के टास्क फोर्स सस्टेनेबल जस्ट ट्रांजिशन के द्वारा विभिन्न सत्रों में आयोजित होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस की जानकारी देते हुए टास्क फोर्स के चेयरमैन एके रस्तोगी ने कहा कि झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है जहां इस गंभीर विषय पर टास्क फोर्स बनाया गया और इस तरह का आयोजन किया जा रहा है.

देश-विदेश के 300 से अधिक डेलीगेट्स लेंगे भाग

राजधानी रांची के होटल रेडिशन ब्लू में आयोजित होनेवाले दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 300 डेलीगेट्स के साथ 50 विशेषज्ञ शामिल होंगे और विषय पर अपनी राय रखेंगे. अंतरराष्ट्रीय स्तर के 40 ऑर्गेनाइजेशन से जुड़े प्रतिनिधि इसमें हिस्सा लेकर अपना अनुभव साझा करेंगे. दो दिवसीय इस कॉन्फ्रेंस में भविष्य का रोडमैप तैयार कर 2070 तक लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प दुहराया जाएगा.

झारखंड राज्य के लिए अहम होगी यह कॉन्फ्रेंस

जस्ट ट्रांजिशन को लेकर भविष्य की कार्य योजना बनाने में गंभीरता दिखा रहा झारखंड के लिए यह कॉन्फ्रेंस अहम माना जा रहा है.दो दिनों तक विशेषज्ञों की ओर से आठ विषयों पर चर्चा की जाएगी. इसमें लाइवलीहुड, कोल ट्रांजिशन, क्लाइमेट फाइनांस, रिवोल्यूशनरी ट्रांसपोर्ट जैसे विषय शामिल हैं.

कोयला खदानों वाले जिलों में कार्बन उत्सर्जन और वायु प्रदूषण चरम पर

गौरतलब हो कि झारखंड के 24 में से 16 जिलों में कोल माइनिंग होता है. जिसके बल पर देश को 30 प्रतिशत कोयला की आपूर्ति झारखंड करता है. इन जिलों में कार्बन उत्सर्जन और पर्यावरण प्रदूषण चरम पर है. विशेषज्ञों का मानना है कि इन जिलों में यही स्थिति बनी रही तो भविष्य में ना केवल खेतीयोग्य उपजाऊ जमीन बंजर हो जाएगी, बल्कि नदी-नाले का स्वरूप भी बदल जाएगा. इसके अलावे वर्षापात की अनियमितता और मौसम में बदलाव देखने को मिलेंगे. ऐसे में समय रहते यदि इस पर प्रयास शुरू हो जाएं तो हम भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं.

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