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इंदौर नगर निगम में करोड़ों का घोटाला! लेखा विभाग की सतर्कता से 28 करोड़ का फर्जी भुगतान रुका, 5 एजेसिंयों के खिलाफ FIR - Indore nagar nigam crores Scam

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 18, 2024, 3:18 PM IST

Indore nagar nigam crores Scam
इंदौर नगर निगम में करोड़ों का घोटाला

नगर निगम इंदौर में 28 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ है. हालांकि लेखा विभाग ने समय रहते बिल रोक लिए, इस कारण ये राशि घोटालेबाजों तक नहीं पहुंच सकी. माना जा रहा है कि इससे पहले भी ऐसे ही घोटाले हुए. एक-एक करके सभी मामलों की जांच शुरू हो गई है. 5 निर्माण एजेंसियों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है.

इंदौर। मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के गृह नगर इंदौर नगर निगम में करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है. मामले के अनुसार 5 एजेंसियों को फर्जी तरीके से बीते 5 साल में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए भुगतान होता रहा. जबकि संबंधित कामों का ठेका इन एजेंसियों को मिला ही नहीं. हाल ही में इन एजेंसियों ने पुरानी ड्रेनेज लाइन डालने के 20 कामों के लिए करीब 28 करोड़ के बिल फिर प्रस्तुत किया तो इस मामले का खुलासा हुआ. अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पूरे मामले की जांच के लिए प्रमुख सचिव नगरी. प्रशासन को पत्र भेजा है. नगर निगम आयुक्त ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं.

एजेंसियों ने फर्जी हस्ताक्षर से भुगतान आदेश जारी किए

दरअसल, हाल ही में इंदौर नगर निगम के लेखा विभाग में 5 ठेका एजेंसी मैसर्स नींव कंस्ट्रक्शन प्रोयरायटर मोहम्मद साजिद, मैसर्स ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रोयरायटर मोहम्मद सिदिकी, मैसर्स किंग कंस्ट्रक्शन प्रोपरायटर मो. जाकिर, मैसर्स क्षितिज इंटरप्राइजेस प्रोपरायटर, मैसर्स जहान्वी इंटरप्राइजेस प्रोपरायटर राहुल वडेरा द्वारा करीब 28 करोड़ के कामों के लिए भुगतान के आदेश नगर निगम को लेखा शाखा को मिले. एक साथ 28 करोड़ के भुगतान आदेश को लेकर जब शंका हुई तो मामले की जांच शुरू हुई. पता चला कि एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत किए गए भुगतान आदेश फर्जी हस्ताक्षर एवं कूटरचित तरीके से तैयार किये गये हैं, जिनका ड्रेनेज विभाग में कोई रिकार्ड ही नही है. इसके बाद नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा द्वारा कार्यपालन यंत्री ड्रेनेज, सहायक आयुक्त विधि, सहायक लेखापाल एवं आईटी के विशेषज्ञ की टीम गठित की गई.

घोटाले की राशि 50 करोड़ तक पहुंच सकती है

इसके बाद इन पांचों एजेंसियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. बताया जा रहा है कि ऑर्डर से पहले ये एजेंसियां बीते 5 सालों से नगर निगम के ठेकों के लिए सक्रिय थीं, जिन्हें पूर्व में भी करोड़ों रुपए का भुगतान होना बताया जा रहा है. यह भी बताया जा रहा है कि ये करीब 50 करोड़ रुपए का घपला है. जबकि नगर निगम 28 करोड़ के बिल ही रोक पाई है. अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है. इस मामले में पता चला है कि नगर निगम के 5 ठेकेदारों द्वारा 20 ड्रेनेज कार्यों के फर्जी वर्क आर्डर अनुबंध मेजरमेंट बुक बिल पे ऑर्डर आदि दस्तावेज कूटरचित और नकली तैयार करके तैयार कर ऑडिट विभाग में प्रस्तुत किए.

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वर्क आर्डर से लेकर अधिकारियों के हस्ताक्षर तक नकली

खास बात यह है कि इन पांचों ठेका एजेंसियों ने जिन कामों के लिए बिल प्रस्तुत किए, उनके ठेके इन एजेंसी को मिले ही नहीं थे. इतना ही नहीं ना तो संबंधित दिनांक में काम के टेंडर निकले थे ना ही ठेकों में काम के बदले इतनी बड़ी राशि का कोई जिक्र था. इसके बावजूद फर्जीवाड़ा करने वाली ठेका एजेंसी ने पे ऑर्डर, नोटशीट व अन्य सभी दस्तावेज में फर्जी हस्ताक्षर नकली तरीके से तैयार किए. इधर, इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद उन अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं, जिनकी इस पूरे प्रकरण में मिलीभगत बताई जा रही है.

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