पटना: बिहार के शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव केके पाठक को लेकर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. अब निर्दलीय विधान पार्षद महेश्वर सिंह ने केके पाठक के कार्य शैली को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कहने के बाद भी केके पाठक उनकी बात को नहीं मान रहे हैं. इसका मतलब मुख्यमंत्री से ज्यादा पावरफुल केके पाठक हैं. यही कारण है कि वह मुख्यमंत्री के बातों को भी अनसुना कर रहे हैं.
केके पाठक के कार्यशैली पर सवाल: निर्दलीय विधान पार्षद महेश्वर सिंह ने कहा कि ये बात बिहार की जनता ने भी देखा है की किस तरह मुख्यमंत्री से बड़े केके पाठक हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह केके पाठक ने सदन में नीतीश कुमार की घोषणा के बाद भी स्कूलों के समय सारणी में बदलाव करने से इनकार कर दिया. उससे तो यही साबित होता है कि वह सबसे ज्यादा पावरफुल हैं. उन्होंने कहा कि एसीएस द्वारा टीचरों को गाली दिए जाने वाले वीडियो को लेकर कहा अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
"केके पाठक ने सदन में नीतीश कुमार की घोषणा के बाद भी स्कूलों के समय सारणी में बदलाव करने से इनकार कर दिया. उससे तो यही साबित होता है कि वह सबसे ज्यादा पावरफुल हैं. मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी आदेश नहीं बदला जाता है. इसका मतलब साफ है कि मुख्यमंत्री से बड़ा बिहार में अगर कोई है तो वह केके पाठक है."- महेश्वर सिंह, निर्दलीय विधान पार्षद
'आखिर बड़ा कौन सीएम या केके पाठक': महेश्वर सिंह ने कहा कि हम लोग भी जब स्कूल में पढ़ाई करते थे.सुबह 10 से 4 बजे तक की पढ़ाई होती थी, लेकिन के के पाठक 9 से 5 बजे तक शिक्षकों को विद्यालय में रहने का आदेश देते हैं. मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी आदेश नहीं बदला जाता है. इसका मतलब साफ है कि मुख्यमंत्री से बड़ा बिहार में अगर कोई है तो वह केके पाठक है. वे उनकी बात को अनसुनाकर अपनी मर्जी का काम कर रहे हैं.
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