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Holi 2024 Kab Hai: इस दिन होगा होलिका दहन और इस डेट को मनाया जाएगा रंगों का त्योहार

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 22, 2024, 6:07 PM IST

Holi 2024 Date, Holika Dahan 2024 Date and Time, holi 25 march 2024, holika dahan 2024 shubh muhurat: होला का पर्व पारंपरिक तौर पर दो 2 दिन मनाया जाता है. पहले दिन होलिका दहन और दूसरे दिन रंगों के साथ. इस बार होली की तारीख को लेकर थोड़ी असमंजस बना हुआ है कि होली 24 या 25 मार्च कब है. आइए जानते हैं कब है होलिका दहन और कब मनाई जाएगी होली. पढ़ें पूरी खबर...

Holi 2024 Kab Hai
सांकेतिक तस्वीर.

कुल्लू (Himachal Pradesh): फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है और हिंदू धर्म में होली के त्योहार का अपना विशेष महत्व है. रंगों के त्योहार के नाम से जाने वाली होली देश में दो दिनों तक मनाई जाती है और लोग धार्मिक कार्यों के साथ-साथ रंगों के साथ होली का त्योहार धूमधाम के साथ मनाते हैं. ऐसे में इस साल होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा, क्योंकि 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि शुरू होगी और 24 मार्च को रात के समय ही होलिका का दहन किया जाएगा. होलिका का दहन करने के बाद ही देश में होली का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है.

Holi 2024 Kab Hai
24 मार्च को सुबह 9:26 पर पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है.

25 मार्च को मनाया जाएगा रंगों का त्योहार

फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को मनाई जाएगी, क्योंकि 24 मार्च को सुबह 9:26 पर पूर्णिमा तिथि शुरू हो रही है. पूर्णिमा तिथि का समापन 25 मार्च को किया जाएगा. ऐसे में 24 मार्च की रात को होलिका दहन किया जाएगा और 25 मार्च को प्रदोष काल में खत्म हो रहा है. 25 मार्च को ही रंगों का त्योहार पूरे देश भर में मनाया जाएगा.

Holi 2024 Kab Hai
25 मार्च को मनाया जाएगा रंगों का त्योहार

कैसे करें होलिका पूजन

आचार्य विजय कुमार का कहना है कि होलिका पूजन के लिए भक्त पूर्व या उत्तर दिशा की ओर अपना मुख करके बैठें और गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाई जानी चाहिए. इसके अलावा भगवान नरसिंह का भी ध्यान करना चाहिए और उनकी भी विधि विधान के साथ पूजा की जानी चाहिए. होलिका दहन वाले स्थान पर भक्त के द्वारा पहले होलिका की पूजा कर उसे चावल अर्पित करें और उसके बाद प्रहलाद की पूजा कर उसके नाम से फूल अर्पित करें. अंत में भगवान नरसिंह का नाम लेकर पांच अनाज उन्हें चढ़ाए और अंत में कच्चा सूत्र लेकर होलिका की परिक्रमा करें.

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