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दारू के मिनिमम गारंटी कोटे से अधिक शराब उठाने पर हाईकोर्ट की रोक, आबकारी विभाग को अदालत ने दिए ये आदेश - High Court Decision on Liquor

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 23, 2024, 10:26 PM IST

High Court Decision on Liquor Ban: हिमाचल के हाईकोर्ट ने शराब को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने न्यूनतम गारंटी कोटे से अधिक शराब उठाने की मांग पर रोक लगा दी है. मामले में अगली सुनावाई 23 जुलाई को होनी है.

High Court Decision on Liquor Ban
शराब उठाव को लेकर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला (फाइल फोटो)

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने न्यूनतम गारंटी कोटे से अधिक शराब उठाने की मांग करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने आबकारी एवं कराधान विभाग को आदेश दिए कि वह प्रार्थी मेसर्ज नरेंद्र कुमार और मीरा ठाकुर को न्यूनतम गारंटी कोटे से अधिक शराब उठाने के लिए बाध्य न करें. शराब के खुदरा कारोबारी प्रार्थी के अनुसार शराब के ठेके की नीलामी पूरी होने के बाद सरकार ने न्यूनतम गारंटी कोटे के तहत उठाई जाने वाली शराब की मात्रा बढ़ा दी.

06 मार्च 2023 को सरकार ने कारोबारी सत्र 2023- 24 के लिए राज्य आबकारी नीति स्वीकृत की थी. इसके बाद अप्रूव्ड आबकारी नीति के तहत ठेके आबंटन करने के लिए कुछ शर्तों का निर्धारण किया गया. सोलन जिला के लिए ठेके आबंटन करने हेतु आवेदन आमंत्रित करने के बाद बोली की तारीख 17 मार्च 2023 रखी गई. इसके तहत खुदरा कारोबार के लिए शराब उठाने की न्यूनतम मात्रा सालाना तौर पर निर्धारित की गई, जिसे मिनिमम गारंटी कोटा कहा गया.

प्रार्थी का कहना था कि नियमानुसार इस वार्षिक कोटे को मासिक आधार पर 12 भागों में बांटा जाना था और ऐसा न करने वाले पर जुर्माने का प्रावधान भी दिया गया है. इन शर्तों को मानते हुए प्रार्थी ने 13.69 करोड़ की बोली लगाई और सोलन क्षेत्र के लिए उसे सफल बोलीदाता घोषित किया गया. इसके बाद 27 मार्च 2023 को एक कार्यवाही अचानक जारी करते हुए न्यूनतम गारंटी कोटे को एकतरफा बढ़ा दिया गया. प्रार्थी ने इसे आबकारी नीति के खिलाफ बताते हुए याचिका दायर की है.

सरकार का कहना था कि वह शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए आबकारी नीति के तहत ही शराब उठाने की न्यूनतम मात्रा कभी भी बढ़ा सकती है. सरकार का यह भी कहना था कि प्रार्थी को 26 अप्रैल 2023 को लाइसेंस जारी किया गया था, इसलिए वह बढ़ा हुआ न्यूनतम कोटा उठाने के लिए बाध्य है. मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने आबकारी नीति का अवलोकन करने पर पाया कि विभाग एकतरफा आदेश जारी कर न्यूनतम कोटा नहीं बढ़ा सकती. कोर्ट ने प्रार्थी को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि शराब की जिस न्यूनतम मात्रा के लिए प्रार्थी ने बोली में भाग लेकर सफलता पाई, उसकी शर्तों के विपरीत अब सरकार न्यूनतम कोटे की मात्रा एकतरफा नहीं बढ़ा सकती.

ऐसा करने की छूट देने से विभाग ऐसी न्यूनतम मात्रा का निर्धारण भी कर सकता है जिसे बोलीदाता को उठाना असंभव हो जाए और ऐसा न करने पर उसे जुर्माना भरकर कोटा उठाने को विवश भी किया जा सकता है. कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को मनमाना पाया और प्रार्थी से न्यूनतम कोटे से अधिक शराब उठाने की मांग करने पर रोक लगा दी. मामले पर सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की गई है.

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