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खर्च की गाड़ी खींचने के लिए हिमाचल को मिली कर्ज की मंजूरी, दिसंबर तक लिया जा सकेगा 6200 करोड़ का लोन - Himachal Loan Approval

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 29, 2024, 2:27 PM IST

Himachal Pradesh Loan Limit
Himachal Pradesh Loan Limit

Himachal Pradesh Loan: हिमाचल प्रदेश को मौजूदा वित्त वर्ष में दिसंबर तक 6200 करोड़ के लोन की मंजूरी मिल गई है. केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली लोन लिमिट संबंधी ये मंजूरी अन्य राज्यों के मुकाबले हिमाचल को करीब एक महीने पहले मिली है. जानें पूरा मामला

शिमला: हिमाचल को अपनी आर्थिक गाड़ी खींचने के लिए केंद्र से लोन लिमिट संबंधी मंजूरी मिल गई है. वेतन-पेंशन सहित रोजमर्रा के खर्च को लेकर चिंता में डूबी हिमाचल सरकार को केंद्र से दिसंबर 2024 तक 6200 करोड़ रुपए के लोन लेने की मंजूरी मिल गई है. इस साल की शुरुआत में ही हिमाचल सरकार आर्थिक संकट में फंस गई थी. आलम ये था कि एक समय तो मार्च महीने की सैलरी तक देने का संकट आ गया था. तब हिमाचल सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का लोन लिया था और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र से लोन लिमिट के लिए एडवांस में मंजूरी के लिए आवेदन किया था. केंद्र सरकार राज्यों को स्टेट जीडीपी का तीन फीसदी अमाउंट लोन के रूप में लेने की मंजूरी देती है. हिमाचल के लिए मार्च से दिसंबर 2024 तक ये रकम 6200 करोड़ रुपए बनी है. ऐसे में हिमाचल सरकार 2024 दिसंबर तक 6200 करोड़ रुपए का कर्ज ले सकेगी.

आचार संहिता के बीच मिली मंजूरी

हिमाचल में देश के अन्य राज्यों की तरह चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू है. इस आचार संहिता के बीच हिमाचल को लोन संबंधी मंजूरी मिली है. हिमाचल सरकार के वित्त विभाग ने लोन ऑथराइजेशन के लिए मार्च में ही कसरत शुरू कर दी थी. वैसे तो केंद्र से ये मंजूरी सभी राज्यों को मई महीने में मिलती है, लेकिन हिमाचल ने अपनी परिस्थितियों का हवाला देते हुए केंद्र से इसे अग्रिम तौर पर जारी करने के लिए आग्रह किया था. राज्य सरकार के वित्त विभाग के आग्रह पर केंद्र ने कुछ दस्तावेज पूरे करने के लिए निर्देश दिए थे. उन निर्देशों को राज्य सरकार ने समय से पहले पूरा कर दिया. इस तरह हिमाचल को ये मंजूरी अप्रैल महीने के आखिरी सप्ताह में मिल गई.

अब राज्य सरकार को दिसंबर 2024 तक कर्ज लेने के लिए अलग-अलग मंजूरी लेना जरूरी नहीं है. अब दिसंबर 2024 तक 6200 करोड़ रुपए की लिमिट हिमाचल के पास है. यदि पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो ये लिमिट 6008 करोड़ रुपए की थी. हिमाचल सरकार एडवांस में ही 1000 करोड़ का लोन ले चुकी है. लिहाजा अब 5200 करोड़ रुपए की लिमिट बाकी है. राज्य सरकार के वित्त विभाग ने मार्च में 1000 करोड़ रुपए के लोन के लिए आवेदन किया था और ये रकम 3 अप्रैल को खजाने में आई थी.

जनवरी से मार्च की तिमाही में अलग से मिलती है मंजूरी

केंद्र सरकार राज्यों को वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च महीने के लिए अलग से अनुमति देती है. उसके बाद नौ महीनों यानी मार्च से दिसंबर के लिए स्टेट जीडीपी के तीन फीसदी के अनुसार लोन लिमिट तय होती है. सत्ता में आने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने 14 हजार करोड़ रुपए कर्ज ले लिया है. अब हालात ये हैं कि राज्य सरकार के पास नए वेतन आयोग के बकाया एरियर और डीए की किस्तों के भुगतान के लिए कोई रकम नहीं है. कर्ज लेकर वेतन व पेंशन आदि देने की नौबत है. इस वित्त वर्ष की बात करें तो राज्य सरकार को वेतन आयोग के एरियर का भुगतान करने की चुनौती है. सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले न्यूनतम एरियर जारी करने की अधिसूचना तो जारी की थी, लेकिन उसका विरोध होने पर वापिस ले लिया गया.

सत्ता में आने के बाद से ही मुश्किल में सुखविंदर सरकार

राज्य की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. हिमाचल के पास खुद के संसाधन न के बराबर हैं. राज्य की आय आबकारी विभाग और टूरिज्म सेक्टर के अलावा बागवानी से है, परंतु ये नाकाफी हैं. मदद के लिए राज्य केंद्र की उदार आर्थिक सहायता पर निर्भर है. यदि लोन लिमिट की बात करें तो पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 के लिए जनवरी से दिसंबर 2023 तक हिमाचल सरकार की लोन लिमिट 6600 करोड़ रुपए थी. इस लिमिट में से राज्य सरकार जनवरी 2024 तक 6300 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी थी. आर्थिक संकट से निपटने के लिए राज्य ने केंद्र सरकार से लोन लिमिट बढ़ाने का आग्रह किया था. मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने जनवरी महीने में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में खुद जाकर लोन लिमिट की औपचारिकताएं पूरी की थी. इससे हिमाचल के संकट का अंदाजा लगाया जा सकता था. प्रक्रिया के अनुसार राज्यों को केंद्र से अंतिम तिमाही के लिए एक्स्ट्रा लोन लिमिट मिलती है. हिमाचल की तरफ से केंद्र द्वारा मांगे गए दस्तावेज और उधारी का कैलेंडर यानी बोरोइंड कैलेंडर सबमिट करने पर राज्य को अब एडवांस मंजूरी मिली है. राज्य सरकार को कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर हर महीने 1500 करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने पड़ते हैं. हिमाचल सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है. छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद सालाना वेतन का खर्च 15,669 करोड़ रुपए पहुंच चुका है.

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