ETV Bharat / state

कानून के गलत प्रयोग पर रद नहीं किया जा सकता वैध मध्यस्थता अवार्ड: HC - High court news

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 6:55 AM IST

हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि कानून के गलत प्रयोग पर वैध मध्यस्थता अवार्ड रद नहीं किया जा सकता है.

High court news
High court news (photo credit: etv bharat gfx)

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि मध्यस्थता अवार्ड को कानून के गलत प्रयोग या साक्ष्य के पुनः परीक्षण के आधार पर तब तक रद्द नहीं किया जा सकता, जब तक वह अवैध न हो. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि धारा 37 के तहत अपीलीय कार्यवाही की रूपरेखा को ध्यान में रखना होगा क्योंकि यह अधिनियम की धारा 34 के तहत चुनौती के दायरे तक ही सीमित है.

मामले के तथ्यों के अनुसार राज्य सरकार ने निर्माण कार्य का टेंडर निकाला. सबसे कम बोली वाले दावेदार नाथ कंस्ट्रक्शन ने अपीलार्थी के साथ एक समझौता किया. दावेदार को नौ महीने के भीतर काम पूरा करना था लेकिन एक्सटेंशन के बाद इसे तीन साल में पूरा किया गया. कार्य में एक विवाद उत्पन्न हुआ जिसके कारण मध्यस्थता हुई. मध्यस्थ ने ब्याज के साथ लगभग 17 लाख रुपये का अवार्ड दिया. अपीलकर्ता ने अधिनियम की धारा 34 के तहत इसे चुनौती दी लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट के अनुसार प्रतिद्वंद्वी पक्षों के बीच विवाद की जड़ यह थी कि मध्यस्थ ने अपीलार्थी एवं आपत्तिकर्ता की आपत्तियों पर विचार किए बिना उक्त राशि का फैसला करते समय अवैधता की थी या नहीं. हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलार्थी द्वारा की गई आपत्तियां विशिष्ट और बिना विवरण के थीं और वाणिज्यिक न्यायालय के समक्ष अधिनियम की धारा 34 के तहत आवेदन में केवल इतना ही कहा गया है कि निर्णय अस्पष्ट और अनुचित है. हाईकोर्ट ने आगे कहा कि वर्तमान कार्यवाही में भी न तो कोई सामग्री रिकॉर्ड पर रखी गई है और न ही कोई तर्क दिया गया है कि तथ्यात्मक आधार एवं बुनियाद क्या है, जो अवार्ड को अवैध बनाता है.

हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार जब अपीलार्थी एवं आपत्तिकर्ता ने दावेदार-प्रतिवादी के दावे को न तो विशेष रूप से प्रस्तुत किया, न ही उसका खंडन किया और न ही अपने मामले को सही परिप्रेक्ष्य में प्रमाणित किया तो जाहिर तौर पर अवार्ड को ख़राब नहीं कहा जा सकता.

हाईकोर्ट ने दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के मामले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पक्षों के बीच सहमत प्रक्रिया के अनुसार नामित मध्यस्थता न्यायाधिकरण के सदस्य इंजीनियर हैं और उनके अवार्ड की उसी तरह से जांच नहीं की जानी चाहिए, जैसा कि एक कानूनी रूप से प्रशिक्षित दिमाग द्वारा तैयार किया गया है। केवल आरोप तब तक पर्याप्त नहीं होगा जब तक कि यह दलील और रिकॉर्ड से प्रमाणित न हो जाए.

ये भी पढे़ंः रोड शो के बाद पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में 17 मिनट तक की पूजा, भगवान भोलेनाथ को कराया पंचामृत स्नान

ये भी पढ़ेंः PM मोदी के नामांकन में शामिल होंगे 12 सीएम और 20 केंद्रीय मंत्री, वाराणसी में मेगा रोड शो

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.