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अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण की फाइल LDA से गायब, अवर अभियंता ने नहीं लौटाई, हाईकोर्ट ने मांगे नाम - High Court News

अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण की फाइल LDA से गायब हो गई है. अवर अभियंता ने फाइल लौटाई नहीं है. हाईकोर्ट ने सभी जिम्मेदारों के नाम मांगे हैं.

High Court News
High Court News (photo credit: etv bahrat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 16, 2024, 8:42 AM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एलडीए की ओर से स्वीकार किया गया है कि एक अपार्टमेंट व एक अवैध होटल के ध्वस्तीकरण सम्बंधी फ़ाइल गायब हो गई है. कहा गया है कि उक्त फ़ाइल अवर अभियंता (एनफोर्समेंट) को फ़ाइल दिए जाने के बाद उसने इसे लौटाया नहीं है. इस पर न्यायालय ने उक्त अवर अभियंता समेत सभी जिम्मेदार अफसरों के नाम मांगे हैं जिन्हें ध्वस्तीकरण आदेश पर अमल कराना था. न्यायालय ने मामले को 27 मई को पहले केस के तौर पर सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.

अंतरिम आदेश के बावजूद हुसैनगंज इलाके में एक अपार्टमेंट व एक अवैध होटल का निर्माण कर लिया गया जबकि उक्त निर्माण के सम्बंध में एलडीए द्वारा कोई नक्शा नहीं पास किया गया है. न्यायालय ने यह भी पाया था कि वर्ष 2014 में दाखिल उक्त जनहित याचिका पर अब तक एलडीए द्वारा कोई जवाब नहीं दाखिल किया गया. न्यायालय के सख्त रुख को देखते हुए, एलडीए की ओर से लघु जवाबी शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया. साथ ही एलडीए के अधिवक्ता ने फ़ाइल के गायब होने की बात बताई. इस पर न्यायालय ने उपरोक्त आदेश देने के साथ ही एलडीए से पूछा है कि वह जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करने जा रहा है, भले ही वे सेवानिवृत्त हो चुके हों.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष एलडीए की ओर से स्वीकार किया गया है कि एक अपार्टमेंट व एक अवैध होटल के ध्वस्तीकरण सम्बंधी फ़ाइल गायब हो गई है. कहा गया है कि उक्त फ़ाइल अवर अभियंता (एनफोर्समेंट) को फ़ाइल दिए जाने के बाद उसने इसे लौटाया नहीं है. इस पर न्यायालय ने उक्त अवर अभियंता समेत सभी जिम्मेदार अफसरों के नाम मांगे हैं जिन्हें ध्वस्तीकरण आदेश पर अमल कराना था. न्यायालय ने मामले को 27 मई को पहले केस के तौर पर सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है.

अंतरिम आदेश के बावजूद हुसैनगंज इलाके में एक अपार्टमेंट व एक अवैध होटल का निर्माण कर लिया गया जबकि उक्त निर्माण के सम्बंध में एलडीए द्वारा कोई नक्शा नहीं पास किया गया है. न्यायालय ने यह भी पाया था कि वर्ष 2014 में दाखिल उक्त जनहित याचिका पर अब तक एलडीए द्वारा कोई जवाब नहीं दाखिल किया गया. न्यायालय के सख्त रुख को देखते हुए, एलडीए की ओर से लघु जवाबी शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया. साथ ही एलडीए के अधिवक्ता ने फ़ाइल के गायब होने की बात बताई. इस पर न्यायालय ने उपरोक्त आदेश देने के साथ ही एलडीए से पूछा है कि वह जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करने जा रहा है, भले ही वे सेवानिवृत्त हो चुके हों.

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