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क्या आपके कान में भी बजती है सीटी, वक्त रहते समझे गंभीर बीमारी का संकेत

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 26, 2024, 1:43 PM IST

Ear Sounding Problems: अगर आपके कानों में दिल की धड़कन अगर महसूस होने लगे या कानो में सीटी जैसी आवाज सुनाई देने लगे तो इसे हल्के में ना लें, तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें. क्योंकि ये एक गंभीर बीमारी का लक्षण है और इसे नजरअंदाज करना आपके लिए घातक हो सकता है.

Ear Sounding Problems
क्या है टिनिटस बीमारी

What Is Tinnitus Disease: कानों में असामान्य आवाजों को महसूस करना सामान्य बात नहीं होती, ये गंभीर बीमारी का इशारा है. क्योंकि अगर आपको अपने कानों में धड़कन या हवा जैसी या किसी सीटी की जैसी अवाज लगातार सुनाई देती है तो ये टिनिटस नाम की बीमारी के लक्षण हैं. टिनिटस बीमारी को आमभाषा में कई बार कान बजने की समस्या भी कहा जाता है. जिसका इलाज समय पर ना हो तो आपको लंबे समय तक परेशान होना पड़ सकता है. इससे आपके सुनने की क्षमता पर बुरा असर हो सकता है. साथ ही यह ट्यूमर या दिल की बीमारी का भी संकेत हो सकता है.

क्या है टिनिटस बीमारी?

टिनिटस डिसीज कान से संबंधित बीमारी है. ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ रवींद्र शर्मा का कहना है कि, इस बीमारी में आमतौर पर मरीज के कानों में सामान्य सुनने की क्षमता से अलग आवाजें सुनाई देने लगती है. उन्हें खुद की धड़कन, सीटी बजने या सांय-सांय जैसी अवज का अहसास होता है. हालांकि यह बीमारी आम है. लेकिन इसे नजर अन्दाज करने पर आप सुनने की क्षमता भी खो सकते हैं.

टिनिटस डिजीज के लक्षण

इस बीमारी के कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे की कान में झनझनाहट, या सीटी की आवाज लगातार सुनाई देना है. इसके साथ ही सिर में तेज सिरदर्द होना भी टिनिटस का इशारा करता है. इन लक्षणों का अहसास होते ही चिकित्सकीय सलाह जरूरी है.

टिनिटस बीमारी के होने की वजह

ये बीमारी कई कारणों से हो सकती है. जिनमें कान का मेल सबसे कॉमन है, इसके साथ साथ कान के पर्दे में छेद होना, कान में पस पड़ना या कान में गंभीर चोट या किसी तरह का इन्फेक्शन या फिर ट्यूमर भी इस बीमारी का जनक हो सकता है.

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क्या है इस इस बीमारी का इलाज

डॉ रवींद्र के अनुसार, ''टिनिटस में इलाज समस्या की गंभीरता पर डिपेंड करता है. जिसके लिये कुछ टेस्ट कराने होते हैं इनसे पता चलता है कि टिनिटस कितना गंभीर असर आपके सुनने की क्षमता पर डाल रहा है. जिसके लिये ब्लड टेस्ट के साथ साथ कान, गला, सिर और धड़ का कम्प्लीट टेस्ट एनालिसिस कराया जाता है. कान में किसी ट्यूमर की आशंका के आधार पर सीटी स्कैन भी कराया जाता है. यदि समस्या हल्की होती है साउंड थेरेपी के जरिए मरीज का इलाज किया जाता है. कान में ट्यूमर होने या नसों की दिक़्क़त होने पर सर्जिकल ट्रीटमेंट देने आवश्यक हो जाता है. हालांकि यदि यह बीमारी अगर हल्की हो तो कई बार खुद बा खुद भी ठीक हो जाती है. लेकिन अगर एलबीए समय तक आप इसके लक्षण महसूस कर रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.''

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी विशेषज्ञ की जानकारी के आधार पर है इसमें भिन्नता होने पर ETV भारत ज़िम्मेदार नहीं होगा.

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