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मंडी जिला की पांगणा पंचायत के प्रधान का चुनाव रद्द करने को HC ने ठहराया सही, नामांकन में दी थी झूठी जानकारी - PANGNA PANCHAYAT PRADHAN ELECTION

हाईकोर्ट ने पांगणा पंचायत के प्रधान के चुनाव को रद्द करने से जुड़े फैसले को सही ठहराया है.

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 17, 2024, 9:43 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी जिला की पांगणा पंचायत के प्रधान के चुनाव को रद्द करने से जुड़े फैसले को सही ठहराया है. प्रधान बसंत लाल पर नामांकन के दौरान अपने बारे में झूठी और गुमराह करने वाली जानकारी देने का आरोप था. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने ग्राम पंचायत पांगणा के प्रधान के तौर पर बसंत लाल के चुनाव को उचित ही रद्द किया गया है.

बसंत लाल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपना नामांकन पत्र दाखिल करते समय गलत आचरण किया था और अपने आपराधिक इतिहास के बारे में भ्रामक जानकारी दी थी. हाईकोर्ट ने फैसले में बताया कि इस मामले में प्राधिकृत अधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी ने भी याचिकाकर्ता के प्रधान ग्राम पंचायत पांगणा के चुनाव को रद्द घोषित करने को उचित ठहराया है इसलिए इस याचिका में कोई योग्यता न पाते हुए प्रार्थी की याचिका को खारिज किया जाता है.

ये है पूरा मामला

याचिकाकर्ता बसंत लाल सहित कुल छह उम्मीदवारों ने 17 जनवरी 2021 को ग्राम पंचायत पांगणा के प्रधान पद का चुनाव लड़ा था. याचिकाकर्ता बसंत लाल को 474 मतों के साथ निर्वाचित घोषित किया गया. उसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 365 वोट मिले. इसके अलावा कुल 241 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर घोषित उम्मीदवार ने चुनाव याचिका दाखिल करके याचिकाकर्ता के चुनाव को चुनौती दी.

आरोप था कि बसंत लाल एक आपराधिक मामले में शामिल था. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 447, 143, 149 और 427 भारतीय वन अधिनियम की धारा 32 और 33 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. बसंत लाल ने जानबूझकर इस तथ्य को छुपाया और अपने नामांकन पत्र के साथ झूठा शपथ पत्र दिया कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है.

याचिकाकर्ता के चुनाव को रद्द घोषित करने और उसे चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की प्रार्थना की गई. इस मामले में पहले उपमंडल अधिकारी (नागरिक) करसोग ने चुनाव याचिका में कार्यवाही का संचालन किया और 25 अप्रैल 2022 को चुनाव याचिका स्वीकार कर ली गई.

इसके बाद सुनवाई हुई और याचिकाकर्ता का चुनाव रद्द घोषित कर दिया गया. इस निर्णय के खिलाफ याचिकाकर्ता बसंत लाल ने 5 मई 2022 को अपील दायर की, जिसे 1 मई 2023 को खारिज कर दिया गया. इन फैसलों को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मामले में 18 मई 2023 को हाईकोर्ट से अंतरिम राहत पाने के बाद याचिकाकर्ता प्रधान पद पर बना हुआ था. अब हाईकोर्ट ने उसके चुनाव को रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल पर्यटन निगम में नई भर्तियों पर HC की रोक, दयनीय वित्तीय स्थिति पर दी चेतावनी; सुधार नहीं किया तो संपत्तियों पर जड़ देंगे ताला

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंडी जिला की पांगणा पंचायत के प्रधान के चुनाव को रद्द करने से जुड़े फैसले को सही ठहराया है. प्रधान बसंत लाल पर नामांकन के दौरान अपने बारे में झूठी और गुमराह करने वाली जानकारी देने का आरोप था. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने ग्राम पंचायत पांगणा के प्रधान के तौर पर बसंत लाल के चुनाव को उचित ही रद्द किया गया है.

बसंत लाल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपना नामांकन पत्र दाखिल करते समय गलत आचरण किया था और अपने आपराधिक इतिहास के बारे में भ्रामक जानकारी दी थी. हाईकोर्ट ने फैसले में बताया कि इस मामले में प्राधिकृत अधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी ने भी याचिकाकर्ता के प्रधान ग्राम पंचायत पांगणा के चुनाव को रद्द घोषित करने को उचित ठहराया है इसलिए इस याचिका में कोई योग्यता न पाते हुए प्रार्थी की याचिका को खारिज किया जाता है.

ये है पूरा मामला

याचिकाकर्ता बसंत लाल सहित कुल छह उम्मीदवारों ने 17 जनवरी 2021 को ग्राम पंचायत पांगणा के प्रधान पद का चुनाव लड़ा था. याचिकाकर्ता बसंत लाल को 474 मतों के साथ निर्वाचित घोषित किया गया. उसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 365 वोट मिले. इसके अलावा कुल 241 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर घोषित उम्मीदवार ने चुनाव याचिका दाखिल करके याचिकाकर्ता के चुनाव को चुनौती दी.

आरोप था कि बसंत लाल एक आपराधिक मामले में शामिल था. उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 447, 143, 149 और 427 भारतीय वन अधिनियम की धारा 32 और 33 के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. बसंत लाल ने जानबूझकर इस तथ्य को छुपाया और अपने नामांकन पत्र के साथ झूठा शपथ पत्र दिया कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है.

याचिकाकर्ता के चुनाव को रद्द घोषित करने और उसे चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की प्रार्थना की गई. इस मामले में पहले उपमंडल अधिकारी (नागरिक) करसोग ने चुनाव याचिका में कार्यवाही का संचालन किया और 25 अप्रैल 2022 को चुनाव याचिका स्वीकार कर ली गई.

इसके बाद सुनवाई हुई और याचिकाकर्ता का चुनाव रद्द घोषित कर दिया गया. इस निर्णय के खिलाफ याचिकाकर्ता बसंत लाल ने 5 मई 2022 को अपील दायर की, जिसे 1 मई 2023 को खारिज कर दिया गया. इन फैसलों को याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. मामले में 18 मई 2023 को हाईकोर्ट से अंतरिम राहत पाने के बाद याचिकाकर्ता प्रधान पद पर बना हुआ था. अब हाईकोर्ट ने उसके चुनाव को रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है.

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