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डिजिटल हो रहा प्रचार, व्यापारी निराश, चंबल में प्रत्याशियों ने प्रचार सामग्री से क्यों बनायी दूरी - gwalior lok sabha chunav 2024

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 22, 2024, 10:26 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 8:55 AM IST

मध्य प्रदेश के चंबल अंचल में लोकसभा चुनाव का माहौल नजर नहीं आ रहा है. जिसकी एक बड़ी वजह कहीं न कहीं प्रचार सामग्री का जमीन पर न होना माना जा रहा है. जहां वोटरों का कहना है कि अब चुनाव में पहले जैसी रोनक नहीं रही. वहीं प्रचार सामग्री तैयार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि प्रत्याशियों ने अब तक सामग्री के लिए उनसे संपर्क ही नहीं किया है. पढ़िये पीयूष श्रीवास्तव की खास रिपोर्ट...

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जमीनी स्तर पर नजर नहीं आ रहा चुनाव का प्रचार

जमीनी स्तर पर नजर नहीं आ रहा चुनाव का प्रचार

ग्वालियर। एक जमाने में जब चुनाव की घोषणा हो जाती थी तब शहर-गांव के गली कूचों तक में राजनैतिक दलों के झंडे बैनर नजर आने लगते थे. दीवारों पर प्रत्याशी को वोट देने के लिए विज्ञापन छापे जाते थे. लेकिन जैसे-जैसे सोशल मीडिया की भूमिका राजनैतिक दलों के बीच बढ़ ही है, वैसे-वैसे प्रचार प्रसार भी अब डिजिटल मीडिया तक ही सीमित नजर आने लगा है. बड़ी-बड़ी रैलियां, सभाओं के फोटो फेसबुक, वॉट्सऐप, एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तो दिखाई दे रही है लेकिन शहर में ना तो कोई होर्डिंग पर प्रत्याशी का चेहरा है न ही किसी घर या दुकान पर राजनैतिक दल का झंडा. खासकर 2024 के लोक सभा चुनाव में वह माहौल नजर नहीं आ रहा क्योंकि अब तक प्रत्याशियों ने प्रचार सामग्री से दूरी बनाई हुई है. यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि उन व्यापारियों का कहना है जो प्रचार सामग्री तैयार करते हैं

SLOW DEMAND ELECTION MATERIAL
चंबल में प्रत्याशियों ने प्रचार सामग्री से बनाई दूरी

प्रचार सामग्री बनाने वालों की बढ़ी टेंशन

ग्वालियर चम्बल अंचल में चार लोक सभा क्षेत्र है और हर बार लोकतंत्र के इस पर्व में राजनैतिक दलों से खड़े हुए प्रत्याशी प्रचार सामग्री की ख़रीदी समय से पहले ही कर लिया करते थे ग्वालियर के रहने वाले धर्म सिंह गोयल न सिर्फ़ ग्वालियर बल्कि पूरे चम्बल क्षेत्र की एकमात्र डीलर हैं जो पिछले 50 वर्षों से प्रचार की सामग्री तैयार करते हैं. इस लोकसभा चुनाव के लिए भी व्यापारियों ने करीब एक से डेढ़ करोड़ रुपए का माल तैयार कर रखा है, लेकिन अब उनके माथे पर भी चिंता की लकीरें खींचने लगी हैं. क्योंकि अब तक इस तैयार प्रचार सामग्री को खरीदने के लिए कोई ग्राहक नहीं आया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए धर्म सिंह गोयल ने बताया कि जब भी चुनाव आते हैं तो वह चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों को झंडा, बैनर, टोपी, मफलर जैसी प्रचार सामग्री उपलब्ध कराते हैं. लेकिन इस बार बाजार ठंडा नजर आ रहा है.

SLOW DEMAND ELECTION MATERIAL
दुकानों में प्रचार सामग्री की भरमार

23 अप्रैल के बाद संपर्क कर सकते हैं प्रत्याशी

प्रचार सामग्री व्यापारी धर्म सिंह गोयल का कहना है कि इस बार लोकसभा चुनाव का समय बहुत गलत रखा गया है. क्योंकि यह फसल की कटाई का सीजन है जिसकी वजह से राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को वर्कर नहीं मिल रहे है. वहीं किसान और मजदूर भी इन दोनों खेती में व्यस्त हैं, क्योंकि कटाई का समय चल रहा है. वहीं, उम्मीदवारों का भी यह कहना है कि अब तक उनमें अस्थिरता है वह इस बात को लेकर है कि कौन नेता कब किस पार्टी में चला जाए कोई नहीं कह सकता. कह सकते हैं कि उम्मीदवारों को यही उम्मीद नहीं है कि कौन नेता उनके साथ है कौन उनके साथ नहीं रहेगा. इसलिए वह 23 तारीख का इंतजार कर रहे हैं. सभी का कहना है कि आपसे 23 तारीख के बाद संपर्क करेंगे कि कितना मटेरियल चाहिए.

किसी प्रत्याशी ने नहीं दिया अब तक एक भी ऑर्डर

अकेले ग्वालियर की बात करें तो यहां से बीजेपी ने भारत सिंह और कांग्रेस ने प्रवीण पाठक जैसे नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है. जिनके लिए लोकसभा का चुनाव पहली बार है और ऐसे में अपना प्रचार प्रसार काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. लेकिन इन सभी नेताओं ने अब तक कोई भी आर्डर नहीं लगाया है. व्यापारी गोयल का कहना है कि उन्हें अब तक किसी से कोई आर्डर नहीं मिला है. सिर्फ एक व्यक्ति जो मुरैना से कांग्रेस प्रत्याशी हैं सत्यपाल सिंह नीटू सिर्फ उनके लिए फिलहाल सामग्री तैयार की जा रही है.

पिछले चुनावों से सूना है इस बार मार्केट

वहीं, पिछले चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में हालात ठंडा नजर आ रहे है. ऐसे में ईटीवी भारत ने जब उनसे पूछा कि पिछले चुनाव और आज के हालातों में कितना अंतर है. इस बात पर धर्म सिंह गोयल का कहना है कि लगभग 6 महीने पहले जब विधानसभा के चुनाव हुए थे उसे दौरान उन्होंने 5 से 7 प्रत्याशियों को प्रचार सामग्री उपलब्ध कराई थी और इसके लिए लगभग उन्होंने उसे सीजन में करीब एक करोड़ का व्यापार किया था. उससे पहले जब लोकसभा चुनाव हुए थे तब भी 50 लाख से 75 लाख रुपए के करीब बिजनेस हुआ था. देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में 50 लाख से एक करोड़ रुपए का बिजनेस बहुत आम बात होती है. क्योंकि लोकसभा चुनाव में हर प्रत्याशी 20 से 25 लख रुपए का माल अमूमन ले ही लेता है.

करोड़ों का माल तैयार, बिक्री की स्थिति अब तक साफ नहीं

धर्म सिंह गोयल ने यह भी बताया है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के मध्य नजर पहले से ही तैयारी कर ली थी. उन्होंने डेढ़ से 2 करोड रुपए का माल तैयार कर रखा था लेकिन उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं कि इस बार उनका बिजनेस 25 लाख के आसपास भी जा पाएगा. उन्होंने इस बात की भी उम्मीद जताई है कि 23 अप्रैल के बाद जब उनके पास ऑर्डर आएंगे तब स्थिति स्पष्ट हो सकेगी.

प्रचार सामग्री पर हावी नहीं हो सकता सोशल मीडिया

वहीं, जिस तरह सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार में बढ़ोतरी राजनीतिक दलों द्वारा देखी जा रही है इससे जमीनी प्रचार प्रसार पर कितना असर देखा जा रहा है. जब यह सवाल हमने धर्म सिंह गोयल से किया तो उनका कहना था कि, सोशल मीडिया की अपनी भूमिका है, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की अपनी भूमिका है, लेकिन जो जमीनी स्तर पर प्रचार प्रसार है इन व्यापारियों का व्यवसाय है उसकी अपनी महत्वता है. उन्हें यह प्रचार प्रसार सामग्री तो लेनी ही पड़ेगी उन्हें स्टिकर झंडा तो लेना ही पड़ेगा. इसलिए सोशल मीडिया का इस व्यवसाय पर ज्यादा असर नहीं होता. उनका यह भी मानना है कि सोशल मीडिया पर 90% तो झूठ परोसा जाता है.

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वोटर का विजन तैयार करने में मददगार प्रचार सामग्री

बहरहाल राजनीतिक दल चाहे जितना सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं लेकिन ग्रामीण और शहरी आंचल में अपने उम्मीदवारों का चेहरा लोगों के जहन में बैठाने के लिए चुनाव का अपना माहौल तैयार करने के लिए प्रचार प्रसार की सामग्री महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ऐसे में इन दलों के द्वारा यदि बैनर पोस्टर और झंडों की अनदेखी की जा रही है तो कहीं ना कहीं इसका असर उनके माहौल पर भी देखने को मिल सकता है. क्योंकि सोशल मीडिया हर वोटर के दिल तक पहुंचाने का जरिया बन पाए इस बात की संभावना काफी कम नजर आती है.

Last Updated :Apr 23, 2024, 8:55 AM IST
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