देहरादून: योजनाओं के लिए बजट लेकर उसे पूरा खर्च न करना वन विभाग की आदत में शुमार हो गया है. उधर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होने से बजट लैप्स की यह संस्कृति विभाग में बढ़ी है, लेकिन, अब शासन ने ऐसे अफसर को चिन्हित करने और उन पर नकेल कसने का पूरा इरादा बना लिया है. शायद इसीलिए बजट मिलने के बाद भी खर्च न करने वाले अधिकारियों की जानकारी वन विभाग से तलब कर ली है.
उत्तराखंड वन विभाग ऐसी कई चुनौतियों से गुजर रहा है जिसके लिए सरकार और शासन भी चिंतित दिखाई देते हैं. राज्य में फॉरेस्ट फायर से लेकर मानव वन्य जीव संघर्ष और वृक्षारोपण की अपनी कई चुनौतियां हैं. गंभीर बात यह है कि इतने महत्वपूर्ण कामों की जिम्मेदारी वाला वन महकमा बजट खर्च में फिसड्डी साबित हो रहा है. बड़ी बात यह है कि योजनाओं के लिए मिलने वाला बजट पूरी तरह खर्च ना करना अब अधिकारियों की आदत में शुमार होने लगा है. पिछले सालों में भी वन विभाग द्वारा पूरा बजट नहीं खर्च किए जाने की बात सामने आती रही है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी विभाग बड़ा बजट खर्च नहीं कर पाया है.
जानकारी के अनुसार विभाग ने करीब 200 करोड़ रुपए का बजट खर्च नहीं किया है. यह स्थिति तब है जब प्रदेश में तमाम विभाग बजट की कमी के कारण कई महत्वपूर्ण योजनाओं को आगे नहीं बढ़ा पाते हैं. उधर इससे उलट उत्तराखंड वन विभाग अपने बजट को ही पूरी तरह खर्च नहीं कर पा रहा. हैरानी की बात यह है कि इस तरह की स्थिति के बाद भी कभी किसी अधिकारी पर कोई बड़ी कार्रवाई भी नहीं हुई है. हालांकि, इस बार शासन ने वन विभाग के अधिकारियों के इस रवैये को गंभीर माना है. वन मुख्यालय से बजट खर्च में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को चिन्हित कर उनका नाम शासन को भेजे जाने के भी निर्देश दे दिए गए हैं.
उत्तराखंड वन विभाग में नियोजन और कैम्पा के अधिकारी की बजट को लेकर सबसे अहम जिम्मेदारी होती है. इस पद पर गिरिजा शंकर पांडे लंबे समय तक रहे हैं. उधर मुख्यालय स्तर पर यदि बजट आवंटित हुआ है तो फिर किस स्तर से बजट खर्च नहीं हुआ. इसकी भी जानकारी शासन द्वारा मांगी गई है. जानकारी के अनुसार 100 करोड़ का बजट अकेले कैंपा में ही खर्च नहीं हो पाया है. इसमें पौधारोपण, मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने से जुड़ी योजना और फॉरेस्ट फायर को लेकर जरूरी काम शामिल हैं.
शासन ने इस मामले में प्रमुख वन संरक्षक वन मुख्यालय को पत्र भेज कर ऐसे अधिकारियों का विवरण मांगा गया है जिनके स्तर पर बजट खर्च करने में लापरवाही की गई है. शासन का सख्त रवैया देखकर यह लगता है कि अब ऐसे अफसर को आसानी से छोड़ने के मूड में शासन नहीं है. शासन की तरफ से इस सख्ती के जरिए भविष्य में बजट खर्च को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होने की स्थितियां भी पैदा की जा रही हैं. उत्तराखंड वन मुख्यालय के अधिकारी इसलिए भी सकते में हैं क्योंकि इस बार प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने खुद इसे गंभीरता से लिया है.