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हिमाचल के पूर्व डीजीपी संजय कुंडू को सुप्रीम कोर्ट से राहत, कारोबारी निशांत पर जानलेवा हमले से जुड़े मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर रोक - Former Himachal DGP Sanjay Kundu - FORMER HIMACHAL DGP SANJAY KUNDU

Himachal Ex DGP Sanjay Kundu gets relief from Supreme Court: हिमाचल प्रदेश के पूर्व डीजीपी संजय कुंडू को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. कारोबारी निशांत पर जानलेवा हमले से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है.

संजय कुंडू को सुप्रीम कोर्ट से राहत
संजय कुंडू को सुप्रीम कोर्ट से राहत (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 1, 2024, 7:32 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार के पूर्व डीजीपी संजय कुंडू को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा पर जानलेवा हमले से जुड़े मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने 23 सितंबर को एक फैसला दिया था. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में जबरन वसूली से जुड़ी धाराओं को लगाने के निर्देश दिए थे. इस मामले में कुछ अन्य निर्देश भी 23 सितंबर को जारी किए गए थे. पूर्व डीजीपी संजय कुंडू ने हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल (एसएलपी) की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी की एसएलपी पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल के जिला कांगड़ा के पालमपुर से संबंध रखने वाले कारोबारी निशांत कुमार शर्मा पर जानलेवा हमला हुआ था. निशांत कुमार का आरोप था कि पुलिस उसके केस में एफआईआर नहीं कर रही है. निशांत ने इस मामले में हाईकोर्ट को मेल भी की थी. अदालत के निर्देश पर न केवल एफआईआर लिखी गई, बल्कि एक समय हाईकोर्ट ने तत्कालीन डीजीपी व कांगड़ा की एसपी को उनके पद से अन्यत्र भेजने के निर्देश भी दिए थे.

उस समय भी संजय कुंडू व कांगड़ा की एसपी शालिनी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. अब मामले में नया मोड़ उस समय आया, जब हाईकोर्ट में मौजूदा डीजीपी अतुल वर्मा ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की. उसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में जबरन वसूली की धाराओं को जोड़ने का आदेश दिया था. मामले की सुनवाई अब 4 नवंबर को होगी.

ये था हाईकोर्ट का आदेश: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले में 23 सितंबर को आदेश जारी करते हुए कहा था कि इस मामले में धारा-384 से 387 आईपीसी को जोड़ा जाए. अदालत ने कहा था कि इन धाराओं को मैक्लोडगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जाए. साथ ही इसकी एसआईटी जांच भी की जाए. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एसआईटी को डीजीपी की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में बताए गए सभी पहलुओं की आगे की जांच करने को भी कहा था. साथ ही मौजूदा डीजीपी अतुल वर्मा ने हिमाचल प्रदेश सशस्त्र पुलिस बटालियन के एक एसपी स्तर के अधिकारी को जांच में जोड़ने का अनुमोदन किया था, उसे भी राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी के सदस्य के रूप में जोड़ने के आदेश दिए थे.

अदालत का आदेश था कि इस संबंध में उचित अधिसूचना 3 दिन के भीतर जारी की जाए. हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में कभी भी रंगदारी, रंगदारी वसूलने का प्रयास, जमीन पर कब्जा करने आदि गंभीर आरोपों की जांच एसआईटी या अन्य जांच अधिकारियों ने नहीं की है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू की तरफ से दाखिल एसएलपी की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के उक्त आदेश पर रोक लगाई है.

हाईकोर्ट को निशांत ने की थी मेल: इस मामले में प्रार्थी निशांत ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को खतरा बताते हुए हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से अवगत करवाया था. इस ईमेल को आपराधिक रिट याचिका में तब्दील करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा प्रदान करने के आदेश दिए थे. इसके बाद पूर्व डीजीपी संजय कुंडू ने भी छोटा शिमला पुलिस स्टेशन में निशांत शर्मा के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई थी. दोनों मामलों की जांच के लिए कोर्ट ने एसआईटी का गठन कर जांच करने के आदेश दिए थे.

ये भी पढ़ें: रिटायर पटवारी को दी थी री-इंगेजमेंट, सुक्खू सरकार ने किया तबादला तो हाईकोर्ट ने लगाई रोक, चार हफ्ते में मांगा जवाब

शिमला: हिमाचल सरकार के पूर्व डीजीपी संजय कुंडू को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. पालमपुर के कारोबारी निशांत कुमार शर्मा पर जानलेवा हमले से जुड़े मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने 23 सितंबर को एक फैसला दिया था. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में जबरन वसूली से जुड़ी धाराओं को लगाने के निर्देश दिए थे. इस मामले में कुछ अन्य निर्देश भी 23 सितंबर को जारी किए गए थे. पूर्व डीजीपी संजय कुंडू ने हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल (एसएलपी) की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी की एसएलपी पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल के जिला कांगड़ा के पालमपुर से संबंध रखने वाले कारोबारी निशांत कुमार शर्मा पर जानलेवा हमला हुआ था. निशांत कुमार का आरोप था कि पुलिस उसके केस में एफआईआर नहीं कर रही है. निशांत ने इस मामले में हाईकोर्ट को मेल भी की थी. अदालत के निर्देश पर न केवल एफआईआर लिखी गई, बल्कि एक समय हाईकोर्ट ने तत्कालीन डीजीपी व कांगड़ा की एसपी को उनके पद से अन्यत्र भेजने के निर्देश भी दिए थे.

उस समय भी संजय कुंडू व कांगड़ा की एसपी शालिनी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी. अब मामले में नया मोड़ उस समय आया, जब हाईकोर्ट में मौजूदा डीजीपी अतुल वर्मा ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की. उसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में जबरन वसूली की धाराओं को जोड़ने का आदेश दिया था. मामले की सुनवाई अब 4 नवंबर को होगी.

ये था हाईकोर्ट का आदेश: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मामले में 23 सितंबर को आदेश जारी करते हुए कहा था कि इस मामले में धारा-384 से 387 आईपीसी को जोड़ा जाए. अदालत ने कहा था कि इन धाराओं को मैक्लोडगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जाए. साथ ही इसकी एसआईटी जांच भी की जाए. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एसआईटी को डीजीपी की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में बताए गए सभी पहलुओं की आगे की जांच करने को भी कहा था. साथ ही मौजूदा डीजीपी अतुल वर्मा ने हिमाचल प्रदेश सशस्त्र पुलिस बटालियन के एक एसपी स्तर के अधिकारी को जांच में जोड़ने का अनुमोदन किया था, उसे भी राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी के सदस्य के रूप में जोड़ने के आदेश दिए थे.

अदालत का आदेश था कि इस संबंध में उचित अधिसूचना 3 दिन के भीतर जारी की जाए. हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में कभी भी रंगदारी, रंगदारी वसूलने का प्रयास, जमीन पर कब्जा करने आदि गंभीर आरोपों की जांच एसआईटी या अन्य जांच अधिकारियों ने नहीं की है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू की तरफ से दाखिल एसएलपी की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के उक्त आदेश पर रोक लगाई है.

हाईकोर्ट को निशांत ने की थी मेल: इस मामले में प्रार्थी निशांत ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा को खतरा बताते हुए हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से अवगत करवाया था. इस ईमेल को आपराधिक रिट याचिका में तब्दील करते हुए हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर एसपी शिमला और एसपी कांगड़ा को प्रार्थी को उचित सुरक्षा प्रदान करने के आदेश दिए थे. इसके बाद पूर्व डीजीपी संजय कुंडू ने भी छोटा शिमला पुलिस स्टेशन में निशांत शर्मा के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज करवाई थी. दोनों मामलों की जांच के लिए कोर्ट ने एसआईटी का गठन कर जांच करने के आदेश दिए थे.

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