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सिंहभूम में कमल खिलाना गीता के लिए बड़ी चुनौती, जोबा को लंबा अनुभव, दोनों का क्या है प्लस और माइनस प्वाइंट, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े - Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 2, 2024, 6:30 PM IST

LOK SABHA ELECTION 2024
LOK SABHA ELECTION 2024

सिंहभूम लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. एक तरफ बीजेपी की गीता कोड़ा हैं जो सिटिंग सांसद हैं. तो दूसरी तरफ झामुमो की टिकट पर इंडिया गठबंधन की उम्मीदवार जोबा मांझी हैं

रांची: झारखंड की सिंहभूम लोकसभा सीट कुछ मायनों में बेहद खास बन गई है. यह सीट हार और जीत से ज्यादा प्रतिष्ठा का केंद्र बन गई है. इसकी वजह हैं गीता कोड़ा. कांग्रेस की सीटिंग सांसद होने के बावजूद भाजपा की टिकट पर मैदान में उतरी हैं. लिहाजा, भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लग गयी है. दूसरी ओर कांग्रेस से सीट लेने की वजह से झामुमो को भी अग्नि परीक्षा से गुजरना है. क्योंकि सिंहभूम लोकसभा में आने वाली सभी छह विधानसभा सीटें इंडिया गठबंधन के पाले में हैं. झामुमो ने सारे समीकरणों को आंकने के बाद कोल्हान की अपनी कद्दावर नेता जोबा मांझी को गीता कोड़ा के सामने खड़ा किया है. इस सीट पर जनजातीय समीकरण और अनुभव की परीक्षा होनी है. यहां 13 मई को मतदान होना है.

LOK SABHA ELECTION 2024
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जोबा मांझी मनोहरपुर से विधानसभा का चुनाव 1995 से अब तक जीतती आ रही हैं. सिर्फ 2009 के चुनाव में उनकी शिकस्त हुई थी. वह अलग-अलग सरकारों में मंत्री भी रह चुकी हैं. यह सीट सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है. अब सवाल है कि दो महिलाओं की लड़ाई में किसका पलड़ा भारी दिख रहा है. इसका जवाब पूर्व के चुनावी आंकड़ों से बहुत हद तक निकाला जा सकता है.

चुनावी समीकरण को समझने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि सिंहभूम में करीब 29 प्रतिशत आदिवासी हैं. इनमें 56 प्रतिशत 'हो' आदिवासी हैं. इसी समाज से होने के कारण इस वोट बैंक पर गीता कोड़ा की अच्छी पकड़ मानी जाती है. वहीं जोबा मांझी संथाल समाज की हैं. लेकिन कोल्हान में झामुमो की मजबूत पकड़ जोबा को मजबूती दे रही है. जोबा के कंधों पर 1991 में झामुमो प्रत्याशी कृष्णा मार्डी की जीत को दोहराने की जिम्मेदारी है.

सिंहभूम की सभी विस सीटें हैं इंडिया गठबंधन के पाले में

सिंहभूम में विधानसभा की कुल छह सीटें हैं. सभी सीटें एसटी के लिए रिजर्व हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में सभी छह सीटों (सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर) में से पांच सीटों पर झामुमो और सिर्फ सीट यानी जगन्नाथपुर से कांग्रेस के सोनाराम सिंकु की जीत हुई थी. इस लिहाज से जोबा मांझी का पलड़ा भारी दिख रहा है. पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं गीता कोड़ा का मुकाबला भाजपा के लक्ष्मण गिलुआ से हुआ था.

सरायकेला में भारी अंतर से पिछड़ीं थी गीता

सिंहभूम की सभी छह विधानसभा सीटों की बात की जाए तो गीता कोड़ा को सरायकेला में 77, 644 वोट, चाईबासा में 91, 678 वोट, मझगांव मं 88, 418 वोट, जगन्नाथपुर में 57, 056 वोट, मनोहरपुर में 58, 264 वोट, चक्रधरपुर में 58, 485 वोट के अलावा पोस्टल बैलेट के 270 वोट यानी कुल 4, 31,815 वोट मिले थे.

गीता को जगन्नाथपुर में भी मिली थी टक्कर

इसकी तुलना में भाजपा प्रत्याशी रहे लक्ष्मण गिलुआ को सरायकेला में 1,40,603 वोट, चाईबासा में 37,982 वोट, मझगांव में 29,092 वोट, जगन्नाथपुर में 44,148 वोट, मनोहरपुर में 52,152 वोट, चक्रधरपुर में 55,182 वोट और पोस्टल बैलट के 501 यानी कुल 3,59,660 वोट हासिल हुए थे. इस लिहाज से गीता कोड़ा 72,155 वोट से अंतर से चुनाव जीत गईं. गौर करने वाली बात है कि पिछले चुनाव में गीता कोड़ा सिर्फ सरायकेला में 62,959 वोट के अंतर से पिछड़ी थीं.

चाईबासा और मंझगांव ने पार कराई थी गीता की नैया

गीता कोड़ा की डूबती नाव को चाईबासा और मझगांव के वोटरों ने सहारा दिया था. चाईबासा में उन्हें 53,696 वोट और मझगांव में 59,326 वोट की बढ़त मिली थी. जबकि उनके गढ़ कहे जाना वाले जगन्नाथपुर में 12,908 वोट, मनोहरपुर में 6,112 वोट, चक्रधरपुर में महज 3,303 वोट की बढ़त मिली थी.

सीएम चंपाई के हाथ में है सरायकेला की कमान

गौर करने वाली बात है कि जिस सरायकेला में पिछली बार भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण गिलुआ को 62, 959 वोट की बढ़त मिली थी, वहां की कमान बतौर सीएम चंपाई सोरेन के हाथ में हैं. लाजमी है कि इसका प्रभाव वोट प्रतिशत पर पड़ सकता है. ऊपर से जगन्नाथपुर को छोड़कर सभी अन्य पांच विधानसभा सीटें झामुमो के पास है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक झामुमो के शीर्ष नेतृत्व ने अपने सभी पांच विधायकों को स्पष्ट कर दिया है कि जोबा मांझी के पक्ष में वोट दिलाने के लिए कोई कमी नहीं होनी चाहिए. जानकारी के मुताबिक जिस विधानसभा क्षेत्र से जोबा मांझी को कम वोट मिलेंगे, वहां के विधायक को आगामी विधानसभा चुनाव का टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है. क्योंकि बड़ी मुश्किल से झामुमो ने यह सीट कांग्रेस से ली है.

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