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पीला गमछा पहनने पर पुलिस अभद्रता: ओपी राजभर के पहचानने से इनकार पर जिलाध्यक्ष का इस्तीफा, कहा-मुझे नहीं जानते तो कार्यकर्ताओं को क्या पहचानेंगे

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 16, 2024, 7:04 AM IST

पीला गमछा पहन थाने पहुंचे कार्यकर्ता से पुलिस अभद्रता मामले में नया मोड़ आ गया है. ओपी राजभर के पहचानने से इनकार पर आहत जिलाध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं संग इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने क्या कुछ कहा चलिए जानते हैं.

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फर्रुखाबाद जिलाध्यक्ष का इस्तीफा.

फर्रुखाबाद: यूपी के फर्रुखाबाद जिले में पीला गमछा पहन थाने पहुंचे सुभासपा कार्यकर्ता से पुलिस अभद्रता मामले में नया मोड़ आ गया है. मंत्री ओपी राजभर के फर्रुखाबाद जिलाध्यक्ष को पहचानने से इनकार के बाद फर्रुखाबाद जिलाध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं संग पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि चार साल से वह पार्टी में हैं, जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ही उन्हें व कार्यकर्ताओं को नहीं पहचानते तो फिर पार्टी में रहने से क्या फायदा? उन्होंने कहा कि इस्तीफा उन्होंने राष्ट्रीय़ अध्यक्ष के बयान से आहत होकर दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसी पार्टी में रहने का क्या फायदा.

सुभासपा के पूर्व जिलाध्यक्ष संजेश कश्यप ने बताया कि 11 मार्च को पार्टी के कार्यकर्ता से पुलिस ने अभद्रता की थी. इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर का बयान सामने आया था कि वह जिलाध्यक्ष को पहचानते नहीं है. उन्होंने कहा कि चार सालों से पार्टी से जुड़ा हुआ है. पूरी निष्ठा से काम कर रहा हूं. जब राष्ट्रीय अध्यक्ष जिलाध्यक्ष को नहीं पहचानते तो कार्यकर्ताओं को क्या पहचानेंगे. बताया कि उनके बयान से आहत होकर कार्यकर्ताओं के साथ में इस्तीफा दे रहा हूं.

ओपी राजभर ने कहा था कि पीला गमछा पहन थाने जाना
योगी कैबिनेट में शामिल होने के बाद सुभासपा चीफ ओमप्रकाश राजभर ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि जब भी थाने में जाओ तो सफेद नहीं पीला गमछा डालकर जाना. इससे दारोगा को तुम्हारी शक्ल में ओमप्रकाश राजभर दिखेगा. इसी जोश में नवाबगंज पुलिस थाने में पीला गमछा डालकर पहुंचे राजभर की पार्टी के एक कार्यकर्ता की दारोगा ने हेकड़ी निकाल दी और गमछा-मोबाइल फोन रखवा लिया था. इस घटना से नाराज सुभासपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाने के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था. इस कृत्य का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

इस मामले में सीओ अरुण ने बताया था कि 10 मार्च को एक प्रार्थना पत्र की जांच के प्रकरण में एक व्यक्ति संतराम पुत्र राधेश्याम को थाने पर बुलाया गया था. इसी कारण एक राजनीतिक दल के कुछ तथाकथित पदाधिकारियों द्वारा समूह बनाकर थाने पर आकर दबाव बनाने का प्रयास किया गया था. राजनीतिक दल के तथाकथित पदाधिकारी को कानून के शासन के बारे में शिष्ट शब्द में समझा कर वापस कर दिया गया. किसी प्रकार के दुर्व्यवहार की बात असत्य है.

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