जितनी मेहनत धान उगाने में उससे ज्यादा बैंक से पैसे निकालने में, सुबह से शाम लाइन लगकर भी नहीं मिल रहे पैसे - Farmers Worried In Korba

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 22, 2024, 1:50 PM IST

Updated : Mar 22, 2024, 5:00 PM IST

Farmers Worried In Korba

Farmers Worried In Korba कोरबा के किसान इन दिनों धान बेचने की राशि के लिए सहकारी बैंक के चक्कर लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि रोज बैंक के चक्कर लगाने के बाद भी पैसे नहीं दिए जा रहे जिससे कई जरूरी काम रुक गए हैं. इधर बैंक की अपनी दलील है.

कोरबा के किसानों की परेशानी कब होगी खत्म

कोरबा: सहकारी बैंक के खातेदार किसान अपने ही पैसे निकालने के लिए सुबह से शाम तक लंबी लाइन में लग रहे हैं. कुछ किसान तो ऐसे भी हैं, 70 किलोमीटर दूर से आकर बैंक से पैसे निकालने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि जितनी मेहनत से उन्होंने खून पसीने से सींचकर अपना धान उगाया, उससे ज्यादा पसीना अब वह समर्थन मूल्य के पैसे बैंक से निकालने के लिए बहा रहे हैं.

11 समितियों के 19000 बैंक खाते : सहकारी बैंक की कोरबा शाखा में 11 समितियों के लगभग 19 हजार खाते हैं. लेकिन इनकी सुविधा के लिए एक एटीएम भी चालू नहीं किया जा सका है. इन खातेदारों को सुविधा उपलब्ध कराने में प्रबंधन पीछे है. इस कारण हो रही अव्यवस्था से खातेदारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. किसानों की ओर से बेची गई धान की राशि सहकारी बैंक में ही ट्रांसफर की जा रही है लिहाजा किसानों को इसी बैंक से पैसे निकालने की मजबूरी है. बड़ी संख्या में किसान बैंक पहुंचने पर शाखा के बाहर लंबी कतार लग रही है.

अपने पैसे के लिए परेशान हो रहे किसान: किसान जूता, चप्पल, झोला और पत्थर तक रखकर खुद को कतार में बनाए रखते हैं. कई ऐसे किसान हैं, जो सहकारी बैंक के कोरबा शाखा में लेनदेन के लिए लगभग 70 से 80 किलोमीटर दूर से भी पहुचंते हैं. सरकार ने धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया, लेकिन जरूरत के समय किसानों के हाथ में यह पैसे उपलब्ध हो जाएं. इसकी व्यवस्था अब तक नहीं की है. जिससे किसान अपने ही पैसे बैंक से निकालने के लिए बेहद परेशान है.

केस 1 :2 हफ्ते से आ रहा, पैसे नहीं मिले, रॉड, सीमेंट के दाम भी बढ़ गए : करतला क्षेत्र से कोरबा पहुंचे किसान हीरालाल पटेल ने बताया "मैं यहां 40 किलोमीटर दूर से पहुंचा हूं. 240 क्विंटल धान बेच चुका हूं. धान बेचकर जो समर्थन मूल्य मिला उसमें से कुछ पैसे मैंने निकाल लिए हैं. लेकिन वह पैसे भी मैंने 12 बार में निकाले हैं. इस समय मुझे डेढ़ लाख रुपए की जरूरत है. मैं पिछले कई दिनों से लगातार बैंक जाकर सुबह से शाम तक कतार में लग रहा हूं लेकिन शाम को पैसे खत्म हो जाने की बात कह दी जाती है. इस समय घर बना रहा हूं तो पैसे की जरूरत हैं. दो हफ्ते पहले सीमेंट के दाम ₹280 प्रति बोरी थी. अब इसके दाम बढ़ाकर ₹310 हो गए हैं. लोहे के रॉड के दाम भी बढ़ गए हैं. दाम बढ़ने से मुझे ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे. लेकिन पैसे नहीं दिए जा रहे हैं. जितनी मेहनत खेत में धान उगाने में नहीं लगी थी. उससे ज्यादा मेहनत बैंक से पैसे निकालने में लग रही है. खेत में तो हम खाना लेकर जाते हैं और शाम तक घर लौट जाते हैं. लेकिन यहां तो सुबह से शाम तक भूखे-प्यासे धूप में खड़े रहने के बाद भी पैसे नहीं मिल रहे हैं. हम बहुत परेशानी में है."

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घर बना रहा हूं कैसे माल खरीदूं

केस 2 : 3 दिन से लगातार बैंक आ रहा, सामने होली, लेकिन पैसे नहीं मिले : गांव पंडरीपानी से बैंक पहुंचे किसान नंदझरोखा पटेल ने बताया "मैं यहां से 30 किलोमीटर दूर से पहुंचा हूं और तीन दिनों से लगातार बैंक आ रहा हूं. जिसका प्रमाण भी मेरे पास मौजूद है. यह जो पर्ची मेरे हाथ में है ये तीन दिन पुरानी है. पैसे निकालने के लिए इसे जमा किया था. लेकिन आज तक पैसे नहीं मिले हैं. मैंने आरटीजीएस के लिए कहा था लेकिन वह भी नहीं हुआ है. दिन के 11:15 बजे ही बैंक का गेट बंद कर दिया जा रहा. यह कहां का नियम है ? मजबूरी में यहां खाता संचालित करना पड़ रहा है. क्योंकि हम सरकार को धान बेचते हैं. सारे काम छोड़कर बैंक आना पड़ता है. मेरे खाते में 5 लाख रुपये है. जिसमें से मुझे 1 लाख निकालना है. लेकिन वह राशि मुझे नहीं मिल रही है. सामने होली का त्यौहार है, मेरे खेत में कुछ मजदूर भी काम करते हैं. जिन्हें मुझे पैसे देने हैं. बैंक से अगर पैसे नहीं मिलेंगे तो लोगों को पैसे कहां से देंगे."

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पैसे नहीं मिल रहे काम कैसे होगा
केस 3 : घर में बच्चों की शादी है, लेकिन नहीं मिल रहे पैसे : गांव भैसमा से सहकारी बैंक पहुंचे किसान रघुवर प्रसाद ने बताया "मैंने 101 क्विंटल धान बेचा है. जिसके बदले में लगभग डेढ़ लाख रुपए मुझे सरकार से मिले हैं. इसमें से 50 हजार रुपये निकालना है. कुछ पैसे पहले निकाले हैं. लेकिन 20 से 25 हजार रुपए ही एक बार में दिए जा रहे हैं. जरूरत के अनुसार पैसे नहीं मिल रहे हैं. जबकि सुबह से ही आकर लंबी कतार में लग गया हूं. मेरा कहना यह है कि बैंक की एक और शाखा भैसमा के आसपास खोल दी जाती तो हमें सुविधा होती, सुबह से शाम तक कतार में नहीं लगना पड़ता. घर में शादी है लेकिन ठीक समय में जरूरत के मुताबिक पैसे नहीं मिल पा रहे हैं."
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कई दिनों से बैंक के लगा रहे चक्कर लेकिन नहीं मिल रहा धान बेचने का पैसा

एक साथ आते हैं हजारों किसान, जितने की जरूरत उतने पैसे नहीं आ रहे बैंक : सहकारी बैंक कोरबा शाखा की मैनेजर सरिता पाठक का कहना है कि "एक साथ हजारों किसान बैंक पहुंच जाते हैं. जबकि समितिवार अलग-अलग दिन तय किया गया है. किस समिति के किसानों को किस दिन बैंक आना है इसके लिए दिन तय है. हमारे पास कर्मचारियों की कमी है, हम लगातार तीन काउंटर से किसानों को पैसे दे रहे हैं. इसमे समय तो लगता ही है एक साथ सबको पैसे नहीं दिए जा सकते. हमारे यहां कोरबा की डिमांड प्रतिदिन साढ़े 9 करोड़ रुपए की है. लेकिन हमें इतने पैसे रोज नहीं मिल रहे. एक्सिस बैंक से कैश उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन वहां से हमें पूरी राशि नहीं की जाती. अन्य बैंकों से भी सहायता नहीं मिल रही है. इसकी जानकारी हमने लीड बैंक प्रबंधक और कलेक्ट्रेट को भी दी है, इसके बाद भी पर्याप्त पैसों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. जिसके कारण हमें किसानों को कम पैसे देने पड़ते हैं. ताकि सभी किसानों को कुछ न कुछ पैसे मिल जाए."

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बैंक में आपूर्ति के मुताबिक नहीं आ रहे पैसे

सहकारी बैंक की मैनेजर ने किसानों से अपील की है कि वह समिति के लिए तय दिन में ही बैंक आएं. जितनी जरूरत है फिलहाल उतने पैसे ही निकालें. उनके पैसा बैंक के खाते में है. जो पूरी तरह से सुरक्षित है.

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Last Updated :Mar 22, 2024, 5:00 PM IST
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