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बलौदाबाजार के किसानों को नहीं मिली धान खरीदी के अंतर की राशि, कलेक्टर को दिया आवेदन - paddy purchase difference amount

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 21, 2024, 10:54 PM IST

Farmers not get paddy purchase difference amount
किसानों को नहीं मिली धान खरीदी के अंतर की राशि

Balodabazar Farmers not get paddy purchase difference amount: बलौदा बाजार में धान किसानों के खाते में अंतर की राशि नहीं आई है. किसान गुरुवार को जिला कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंचे. किसानों की शिकायत के बाद कलेक्टर ने शासन तक उनकी बात पहुंचाने की बात कही है.

बलौदाबाजार के किसानों को नहीं मिली धान खरीदी के अंतर की राशि

बलौदा बाजार: छत्तीसगढ़ में साय सरकार के 100 दिन पूरे हो गए हैं. बीजेपी लगातार अपनी उपलब्धियां गिना रही है. इस बीच बलौदाबाजार के धान किसानों की शिकायत है कि उनके खाते में धान खरीदी की अंतर की राशि नहीं आई है. ये किसान गुरुवार को अपनी शिकायत लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां किसानों ने कलेक्टर से अपनी शिकायत की. साथ ही जल्द अंतर राशि भुगतान करने की मांग की.

जानिए पूरा मामला: दरअसल, ये वो किसान हैं, जिन्होंने दुधाधारी मठ ट्रस्ट की खेत रेगहा में लेकर धान बोवाई कर सोसायटी में बेचा था. इनका भुगतान इन्हें मिल चुका है. हालांकि अंतर की राशि नहीं मिली है. इसके लेकर ये किसान आज कलेक्टर से मिले और अंतर की राशि दिलाने का निवेदन किया. इस पर कलेक्टर ने शासन के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि, "शासन से यदि आदेश जारी होता है तो निश्चित ही आपके खाते में पैसा आ जायेगा."

जानिए क्या कहते हैं किसान: इन किसानों का कहना है कि "जब धान बेचे थे तो उसकी रकम खाते में आ गई है, पर अब जब अंतर की राशि के भुगतान की बारी आई, तो नियमों का हवाला दिया जा रहा है. जबकि पूर्व सरकार में हमें बोनस की राशि का भी भुगतान हुआ था. फिर यह तो धान बिक्री की रकम है. यह किसानों का हक है. उनको मिलना चाहिए."

यह फैसला शासन स्तर का है. रेगहा, कुता या किराए की खेती का भुगतान नहीं होता है. किसानों ने भुगतान करने को लेकर आवेदन किया है, जिसको राज्य शासन को भेजा जायेगा. उसके बाद जैसा निर्देश प्राप्त होता है, आगे काम किया जायेगा. -एल चौहान, कलेक्टर

बता दें कि दुधाधारी मठ के अन्तर्गत सैकड़ों किसान हैं. इसके अलावा विभिन्न स्कूल भी है, जिनकी जमीन भी किसान किराए पर लेते हैं और धान बोते हैं. धान की कीमत भी उन्हीं के खाते में आती है. पर इस बार राशि न मिलने से किसान परेशान है.

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