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धनबाद में सरकारी अस्पताल के डायलिसिस सेंटर्स बीमार, कैसे बचेगी किडनी के मरीजों की जान!

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 14, 2024, 6:40 PM IST

Dialysis service stopped in SNMMCH of Dhanbad
धनबाद के SNMMCH में डायलिसिस की व्यवस्था बंद

World Kidney Day 2024. 14 मार्च को पूरी दुनिया विश्व किडनी दिवस मना रहा है. किडनी के मरीज के लिए डायलिसिस इलाज की एक अहम कड़ी है. लेकिन सरकारी अस्पतालों में जब ये व्यवस्था बंद हो जाए तो ऐसे मरीजों को कितनी परेशानी होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन धनबाद सदर अस्पताल और SNMMCH में कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः धनबाद में सरकारी अस्पताल के डायलिसिस सेंटर्स बीमार!

धनबादः आज विश्व किडनी डे है. डायलिसिस के जरिए किडनी मरीजों की जिंदगी बचाई जाती हैं. धनबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल SNMMCH डायलिसिस सेंटर में पिछले दिनों आग लगने के बाद यहां डायलिसिस की व्यवस्था बंद कर दी गई है. दूसरी तरफ सदर अस्पताल में भी डायलिसिस यूनिट पीपीपी मोड पर चल रहा है.

धनबाद के एसएनएमएमसीएच में डायलिसिस के लिए पहुंचने वाले मरीज अब शहर के सदर अस्पताल में पीपी मोड में चल रहे डायलिसिस यूनिट पहुंच रहें है. जिस कारण अतिरिक्त बोझ सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर पर पड़ रहा है. यह डायलिसिस सेंटर डीसीडीसी हेल्थ सर्विसेज कंपनी के द्वारा पीपीपी मोड पर चलाया जा रहा है. लेकिन सबसे बड़ी बात की धनबाद सदर अस्पताल में स्थित इस डायलिसिस सेंटर की साल 2023 के सितंबर महीने में ही करार खत्म हो चुका है. मरीजों की परेशानी को देखते हुए इस डायलिसिस सेंटर को चलाया जा रहा है.

सदर अस्पताल डायलिसिस केंद्र के इंचार्ज मोहम्मद हुसैन ने बताया कि एनएमएमसीएच में आग की घटना के बाद से किडनी के मरीजों की संख्या में यहां इजाफा हुआ है. यहां पर धनबाद के साथ साथ गिरिडीह, जामताड़ा व अन्य जिलों के किडनी के मरीज डायलिसिस के लिए पहुंचते हैं. वैसे सभी डायलिसिस के लिए पहुंचने वाले मरीज अब हमारे डायलिसिस सेंटर में पहुंच रहे हैं. पहले जहां मरीजों की संख्या 17 से 18 थी, अब एसएनएमएमएमसीएच में डायलिसिस यूनिट बंद होने के बाद यहां मरीजों की संख्या बढ़कर 28 से 30 पहुंच गई है. ऐसे में यहां 24 घंटे डायलिसिस सेवा दी जा रही है, लोगों को परेशानी ना हो इसका ख्याल रखा जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि डीसीडीसी हेल्थ सर्विसेज के द्वारा इस डायलिसिस यूनिट का यहां संचालन किया जा रहा है. पिछले साल सितंबर महीने में ही कंपनी का सरकार से करार खत्म हो चुका है. फिर से रिन्यूअल कराने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अब तक रेन्युअल नहीं हो सका है.

वहीं एसएनएमएमसीएच से डायलिसिस के लिए सदर अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों का कहना है कि यहां अगर व्यवस्था नहीं रहती तो उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसके लिए उन्हें प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता, जहां अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे. लेकिन यहां निशुल्क व्यवस्था के कारण उन्हें काफी सहूलियत मिल रही है और किडनी के मरीजों की जान भी बच रही है. मरीज के परिजनों ने डायलिसिस सेंटर की करार को फिर से रिन्यूवल कर व्यवस्था को सुचारू रखने की अपील सरकार से की है.

डायलिसिस क्यों जरूरीः

किडनी के मरीजों के लिए डायलिसिस बहुत ही जरूरी है. इसके माध्यम से शरीर से खून को निकालकर एक मशीन के माध्यम से शुद्ध किया जाता है. इसके बाद दोबारा से शुद्ध रक्त को डायलिसिस मशीन की मदद से शरीर में वापस डाल दिया जाता है. रक्त से अशुद्धियां, अन्य लवण के साथ साथ उसमें मौजूद अतिरिक्त पानी निकाल दिया जाता है. किडनी फेल्योर यानी गुर्दा काम न करने वाले मरीजों के लिए डायलिसिस एक प्रक्रिया है. जिससे उनका इलाज के साथ साथ उनकी जान बचाने में भी मददगार साबित होती है. हालांकि डायलिसिस में यह बदलाव चिकित्सक की सलाह पर किया जाता है. वैसे तो हफ्ते में 3 बार भी किया जा सकता है. इसमें सेशन लंबे होते हैं और हर सत्र 6 से 8 घंटे तक डायलिसिस की प्रक्रिया चलती है.

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