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मरकर भी जिंदा है देवास का इंजीनियरिंग छात्र, अंगदान से बचाईं चार जिंदगियां, किडनी महिला को प्रत्यारोपित

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 2, 2024, 12:53 PM IST

Indore Student Organ Donation
देवास इंजीनियरिंग छात्र ने अंगदान से बचाईं चार जिंदगियां

Indore Student Organ Donation : देवास के एक इंजीनियरिंग छात्र का सड़क हादसे में ब्रेन डेड हो गया. परिजनों ने उसके अंगदान कर नेक काम किया. एक महिला को उसकी किडनी प्रत्यारोपित की गई. गमगीन परिजन यह सोचकर संतोष मना रहे हैं कि उनके बेटे की किडनी और आंखें किसी और शरीर में तो जिंदा रहेंगी.

देवास। देवास के रहने वाले इंजीनियरिंग छात्र 21 वर्षीय देवांश जोशी 27 फरवरी को पैदल अयोध्या के लिए अपने साथियों के साथ निकले. देवांश श्रीराम लला के दर्शन करने जा रहे थे. लेकिन सांची के पास उसका रोड एक्सीडेंट हो गया. उसे भोपाल के बंसल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. यहां से उसे बॉम्बे हॉस्पिटल इंदौर लाया गया. लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. देवांश को ब्रेन डेड हो गया. इसके बाद परिजनों से देवांश के अंगदान कराने का आग्रह एक सामाजिक संस्था ने किया.

इंदौर में ग्रीन कॉरिडोर बनाया, लीवर टांसप्लांट

देवास के शिव शक्ति नगर निवासी देवांश जोशी के परिजनों को चिकित्सक डॉ. अमित जोशी एवं सामाजिक संस्था मुस्कान ग्रुप द्वारा अंगदान का आग्रह किया गया. उन्हें समझाया गया कि आपके बेटे के अंग से मानवजाति का भला होगा. उसके अंग से किसी को जीवन मिल जाएगा. स्वीकृति मिलते ही अंगदान की दिशा में तैयारियां प्रारंभ की गईं. चार सदस्यीय चिकित्सक दल द्वारा शुक्रवार को इंदौर में 53 वां ग्रीन कॉरिडोर बनाकर देवांग के लीवर को चोइथराम अस्पताल पहुंचाया गया. बॉम्बे हॉस्पिटल में मरीज को किडनी प्रत्यारोपित की गईं. आंखें और त्वचा भी दान की गईं.

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बॉम्बे हॉस्पिटल में 42 वर्षीय महिला को किडनी प्रत्यारोपित

देवांश को जन्म से ही एक ही किडनी थी, जिसे बॉम्बे हॉस्पिटल में एक 42 वर्षीय महिला को प्रत्यारोपित की गई. जीएसटीआई इंदौर में इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के इस होनहार छात्र के माता-पिता ने इतना भर कहा "हमारे बेटे को तो बचाया नहीं सका मगर वह किसी और के शरीर में जिंदा रहेगा. इससे बढ़कर क्या हो सकता है." इंदौर सांसद शंकर लालवानी व संभागआयुक्त मालसिंह की सतत मॉनिटरिंग में इंदौर समिति का सोसाइटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के सचिव डॉ. संजय दीक्षित एवं नोडल ऑफिसर डॉ मनीष पुरोहित के समन्वय में इंदौर एक बार फिर परोपकार की राह दिखाई गई.

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